सारे प्रदेश अभी इंजिनीयरिंग कालेज के छात्रों के सामूहिक बलात्कार की दहशत से उबर भी नही पाया था कि उसी मामले की पीड़ित महिला की महिला थाने में पिटाई के मामले ने सभी को सोचने पर मज़बूर कर दिया।सामूहिक बलात्कर का दंश झेल रही एक युवती के ज़ख्म अभी हरे ही थे कि उसपर महिला पुलिस ने मल्हम लगाने की बजाये और कुरेद दिया।महिला पुलिस को अब उस पूरे मामले पर शक़ हो रहा है,और वो इस मामले में फ़रार आरोपियों को पकड़ने की बजाये युवती से ये कहलाने पर उतारू हो गई है कि बलात्कार हुआ ही नही है।
अरे कम से महिला होने के नाते तो उस बेचारी का दर्द समझ लिया होता।अधिकांश पुलिस वाले भ्रष्ट होते हैं,ये तो सभी जानते है,मगर महिला पुलिस वो पुरूष पुलिस को भी पीछे छोड़ देगी ऐसा किसी ने नही सोचा होगा।
बदनामी के रोज़ नये रिकार्ड़ बना रही पुलिस की वर्दी पर ये दाग कुछ ज्यादा ही भद्दा है और बदबू भी दे रहा है।हैरानी की बात है कि पुलिस आधा दर्ज़न इंजिनीयरिंग स्टूडेंट्स के गैंग रेप के मामले में फ़रार चार आरोपियोम की गिरफ़्तारी के लिये मुस्तैदी दिखाना छोड़ उस मामले को ही गलत साबित करने के लिये मुस्तैदी दिखाती नज़र आई।ना तो पुलिस ने लड़की की मेड़िकल रिपोर्ट हासिल करने में तत्परता दिखाई और ना ही फ़रार आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिये उसने उन लड़कों के घर वालों पर दबाव बनाया।जो काम उसे करना चाहिये था वो तो किया नही,हां विधानसभा के बजट सत्र की शुरूआत को ध्यान में रखकर पूरे मामले को झुठा साबित करने में पुरी ताक़त झोंक दी।ये सब किया सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकारी आकाओं को खुश करने के लिये,उन्हे विधानसभा में विपक्ष के आरोपों से बचाने के लिये।किया भी किसने? महिला पुलिस ने, महिला के साथ और वो भी महिला थाने में।है ना हैवानियत की हद्।उसे न्याय तो दिला नही रहे हैं,दोषियों को सज़ा भी नही दिला रहे हैं,उल्टे मामले को ही गलत साबित कर रहे हैं।इसे कहते है पुलिस?क्यों आप क्या कहते हैं?बताईयेगा ज़रूर्।
15 comments:
शर्मनाक।
हद है हैवानियत की
खबर पढ़ कर सुबह से दिमाग घूमा हुआ है
जरूर पुलिस को कहीं से ऐसा करने का निर्देश भी प्राप्त हुआ होगा। उन्हें उजागर कीजिए।
यह हरामी के पिल्ले जरुर किसी नेता के पिल्ले होंगे, ओर यह पुलिस वाली उन नेता कि....? जिस दिन इस के कीडे पडेगे उस दिन बहुत देर हो चुकी होगी, लानत हे ऎसी पुलिस पर
दुखद है|
बेहद शर्मनाक है वाकया।
हौलनाक !
छत्तीसगढ़ में शिक्षा का तेजी से व्यावसायीकरण हुआ है, चना-मुर्रा की तरह खुले विश्वविद्यालय के लगाम लगने के बाद इसी तर्ज पर इंजीनियरिंग कालेज खुल गए हैं। शिक्षा संस्थान अपनी साख जताने, वाणिज्यिक परिसर जैसी भव्य भवन, विशाल कैम्पस और दूसरे ग्लैमर के पीछे भाग रहे हैं। संस्थानों में धन का निवेश भी अत्यधिक हुआ है, यदि ऐसी बदनामी होती रही तो अगले साल अभिभावक अपने बच्चों को यहां प्रवेश नहीं दिलायेंगें, हो सकता है सरकार उनकी मान्यता रद्द कर दे, ग्रामीणों के विरोध के कारण संस्था बंद करनी पड़ जाए जिससे धनपतियों का निवेश प्रभावित होगा।
इन सब कारणों से निवेशक अपनी राजनैतिक पहुंच से पुलिस के द्वारा ऐसा खेल खेल गए, किन्तु शुक्र है सत्ता पार्टी के धरसीवां विधायक एवं जनता ने विरोध को मुखर किया।
my god
oh my god
इंजिनियरिंग के छात्र हैं और इनके बाप कोई ऐरे-गैरे तो होंगे नहीं।
ये उल्टे लडकी पर ही चोरी आदि का इल्जाम लगवाकर जेल में बन्द करा देंगें।
शर्म आती है ऐसी महिला पुलिस पर भी
प्रणाम
दुहरा दुर्भाग्य है
धिक्कार है...धिक्कार...
इसी का नाम दुनिया है...:(
पुसाद्कर जी ! लड़कों से ज्यादा भयानक रेगिंग लडकियां करती हैं ...और मर्दों से ज्यादा महिलाओं का उत्पीडन महिलायें करती हैं .....अजीब त्रासदी है. एक महिला की कुंठा दूसरी महिला पर कहर बन कर टूटती है ...फिर वह पुलिस आंटी ही क्यों न हों.
बहरहाल ...इस सब प्रकरण से हमारे सभ्य समाज की घृणित तस्वीर उभर कर सामने आयी है ...जो गिरेवान में झाँकने को मजबूर करती है हमें. जैसा कि आपने कहा कि इस कुकृत्य में से कई बातें बहस के लिए तैयार हैं ....हमें वैयक्तिक प्रेम संबंधों की भारतीय मर्यादाओं का भी ध्यान रखना होगा .....हमारी धरती की खुशबू कुछ अलग ही है ...इसकी तासीर भी जुदा है ...यह देश अमेरिका और योरोप नहीं बन सकेगा....बनना चाहिए भी नहीं ......हमारी अपनी पृथक पहचान है.
अभी तो पीडिता को न्याय दिलाने की बात है .......समाज को ही आगे आना होगा.
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