Sunday, March 20, 2011

चेहरे पे दिखावे का तसव्वुर मगर आंखों में आंसूओ सैलाब था!

[rikshavala.jpg]प्रेस क्लब में इस साल होली मिलन समारोह नही मनाया गया।प्रदेश का सबसे बड़ा होली मिलन समारोह,जिसमे मुख्यमंत्री से लेकर आम आदमी शामिल होते हैं,और जंहा कोई बड़ा छोटा नही होता खुल कर होलियास होती है और जिसे जो कहना है वो कह देता है।कोई बुरा भी नही मानता।जनता और नेताओं के बीच का पुल सा बन जाता था मिलन समरोह।अचानक उसका स्थगित हो जाना किसी को भी समझ में नही आया।ठीक उस समय जब होली मिलन समारोह चलता रहता था,प्रेस क्लब खचाखच भरा रहता था,उस समय इस साल वंहा सन्नाटा पसारा हुआ था।गिनती के लोग वंहा जमा थे और बीते सालों के मिलन समारोह को याद कर रहे थे।                                                                                                                                                अचानक एक आवाज़ आई आड़े ड़े ड़े, आअड़े,ड़े ड़े ड़े।मैंने देखा दरवाज़े पर मधु खड़ा था।चेहरे पर वही शरारती मुस्कान और जोश से भरा हुआ मधु!मैं देख कर हैरान रह गया।वो होली मनाने प्रेस क्लब आ गया था।मैं उठा और एह्फ़ाज़ भी।मैंने जैसे ही उससे पूछा कैसे हो मधु,उसका जवाब था आअड़े ड़े ड़े ड़े ड़े,आड़े ड़े ड़े ड़े  ड़े।मै खामोश रह गया।मेरे पास और कुछ कहने को शब्द ही नही था।हमेशा आग उगलने वाली ज़ुबान शायद जम गई थी या उसे लकवा मार गया था,मधु से भी ज्यादा हालत खराब थी मेरी ज़ुबान की।मधु ने झुक कर प्रणाम करने की कोशिश की मगर मैने उसे बीच में ही थाम कर गले से लगा लिया।एक पल के लिये लगा कि मधु की आंखों गिली हो रही है और उसकी नज़रों में आंसूओं के समंदर को ठाठ मारता देख मुझे लगा शायद मेरी आंखो का बांध भी टूट कर रहेगा।मगर वाह रे मधु।एक पल में सब कुछ पी गया।शायद अब उसे आदत सी हो गई है।इच्छाशक्ति का इससे बड़ा उदाहरण मैने शायद ही कंही देखा होगा।दूसरे ही पल मधु ने ठहाका लगाया और होली है कहना चाहा,मगर उसकी ज़ुबान पर अब उसका बस नही चलता इसलिये उसके मुंह से फ़िर निकला आड़े ड़े ड़े ड़े।                                                                                                                                                                मैने और एह्फ़ाज़ ने लाकर उसे कुर्सी पर बिठाया।मैने कहा मधु पिछ्ले पांच-सात दिनों से सब तुमको ही याद कर रहे हैं।तुम्हारे बिना होली मिलन समारोह मनाना मेरे लिये संभव नही था।सब तुम्हे मिस कर रहे थे,सो एस साल होली मिलन कैंसल कर दिया।उसके चेहरे पर हमेशा पसरे रहने वाली मुस्कुराहट एक पल के लिये बुझती सी नज़र आई मगर दूस्रे ही पल उसने हाथ उठाने की कोशिश की और फ़िर वही आअड़े ड़े ड़े।पता नही वो क्या कहना चाह रहा था मगर मुझे ऐसा लगा कि उसने कहा हो कोई बात नही अगले साल मना लेंगे।और यही सोच कर मैने भी उससे कहा की मधू अगली बार धूमधाम से मनायेंगे,और फ़िर मधु का ठहाका और आड़े ड़े ड़े ड़े।       होली के किसी भी गीत,संगीत,नगाड़े या फ़ाग की मस्ती से ज्यादा मीठा और मदमस्त करने वाला लग रहा था मधु का वो आड़े आअड़े ड़े ड़े।                                                                                                                            मन बेहद खट्टा हो चला था।दिखाने के लिये हंसना पड़ रहा था।उसके बड़े भाई विजय ने भी कहा कि आप लोगों को याद कर रहा था और यंहा आने की ज़िद कर रहा था इसलिये ले आया।आप लोग हंसिये-मज़ाक करिये,मैं तो रो भी नही पाता।और सच में मुझे लगा कि रोना कि कितना कठीन है।आंसू साले आंखों के किनारों से टकरा-टकरा कर लौट जा रहे थे।शायद उनमे मधु की मुस्कुराहट और ठहाकों का सामना करने की हिम्मत ही नही थी।  सच मे इतना कठीन समय और असमंजस की स्थिती कभी नही आई थी।रोना चाह रहा था मगर आंसू नही निकल रहे थे और हंसना नही चाह रहा था मगर मधु के ठ्हाकों पर हंसी तमाम बंधन तोड़ कर ओंठो पर पसर जा रही थी।                                                                                                                                                   आप लोगों को लग रहा होगा कि ये मधु कौन है।मधु हमारे प्रेस क्लब का सदस्य है और होली मिलन समारोह कोम रंगारंग,शानदार और यादगार बनाने वाली टीम का सबसे सक्रिय सदस्य्।बारह सालों से लगातार नानसेंस टाईम्स के प्रकाशन का ज़िम्मा भी उसके कंधों पर रहता था।होली आते ही वो शुरू हो जाता था।उसकी टीम अनिल तिवारी एहफ़ाज़ रशीद ,राघवेन्द्र मोहन मिश्रा गुरुजी और चेले चपाटों की फ़ौज़ के साथ वो नानसेंस टाईम्स के लिये भिड़े रहता था।हर बार मैं उससे कहता था कि मधु देखो कोई नाराज़ ना हो जाये।उसकी पूरी टीम उसी की तरह बेपरवाह किस्म की थी।एकदम बिन्दास्।सब साले करते वही थे जो उनके मन में रहता था।बस सामने में कहते थे आप चिंता मत करो भैया हम लोग भी इस बात को समझते हैं।और बाद मे जब उनसे पूछों क्यों बे ये उसको ये क्यों लिख दिया।तो सबका जवाब एक सा रहता था।अरे छोड़े साले को होली क्या अपन उसके लिये मनाते हैं।आप भी ना भैया,भगाओ साले को। और फ़िर मस्ती खुमारी और रंगो की दीवानगी देखते ही बनती थी।                                                                                                                                                इस बार मगर वैसा कुछ भी नही हुआ,ना मंत्री-संत्री और ना कोई कंत्री-जंत्री,ना गुलाल और फ़ाग।ना नेताओं पर कटाक्ष और ना ही अपने अध्यक्ष यानी मेरी ऐसी-तैसी करने का सिलसिला।कुछ नही बस एक मनहूस सा सन्नाटा सा पसरा था जिसे तोड़ा मधु ने। पता नही मधु में इतनी हिम्मत कैसे आई और कंहा से आई।जिस मुश्किल घड़ी मे हंसना तो दूर रोना भी कठीन हो वंहा उसका बात बात पे ठहाके लगाना…………………। पता नही क्या-क्या दिमाग मे उमड़ता-घुमड़ता रहा, आखिर में ज़ब डा सक्सेना और जयंती भंसाली मेरे मित्र वंहा आये  तो उनके बहाने मैं प्रेस कलब से बाहर निकल आया। मधु का सामना करना का साह्स मुझमे शायद रहा नही था।मधु को कुछ समय पहले पैरेलीसिस का अटैक आया था।वो कोमा में चला गया था। नागपुर मे उसकी खोपड़ी का आप्रेशन भी हुआ और वंहा की एक हड्डी काट कर पेट में रख दी गई।मधु ने वो जगह भी दिखाई।बड़ी मुश्किल से वो वापस लौटा शायद यमराज भी उसके ठहाकों और आड़े ड़े ड़े से डर गया हो गया।रात को लिखने बैठा तो मेरे हाथ कांप गये और आज सुबह से लिखने की कोशिश कर रहा था और अब जाकर लिख पाया,पता नही बहुत कुछ छूट सा गया है लगता है।बहरहाल इतना ही।मधु एण्ड पार्टी ने पिछले साम मेरा क्या हाल किया था आप भी देखिये।ri

9 comments:

अनूप शुक्ल said...

बहुत संवेदनशील पोस्ट! आपके दोस्त की बेहतरी की कामना करता हूं। होली मुबारक!

प्रवीण पाण्डेय said...

जीना इसी का नाम है।

निवेदिता श्रीवास्तव said...

बेहद मर्मस्पर्शी लेखन ।
आपके मित्र के स्वास्थ्यलाभ की कामना करती हूं..

राज भाटिय़ा said...

होली की हार्दिक शुभकामनायें ...

Rahul Singh said...

जारी रहे ये सिलसिला.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही मार्मिक, होली पर्व की घणी रामराम.

Smart Indian said...

हृदयस्पर्शी प्रविष्टि, मधु को मंगलकामनायें!

Ashok Pandey said...

हमारी भी आंखें भर आयीं। आप के मित्र के लिए शुभकामनाएं।

cgswar said...

बेहद सजीव चित्रण....ऐसा लगा ये सब हमारी आंखों के सामने घटि‍त हुआ है...