Saturday, March 26, 2011
घर में स्थिती तनावपूर्ण किन्तु नियंत्रण मे बनी हुई है!
पता नही क्यों हमारे घर में अचानक तनाव फ़ैल गया है।दोनो बहुयें बेहद तनाव में है और उनके कारण दोनो भाई भी टेंशन में नज़र आ रहे हैं।दोनो बच्चे यानी एक भतीजी और दूसरा भतीजा भी टेंशन में है।गनिमत है बच्चों की दादी घर पर नही है,नही तो शायद मामला और बिगड़ सकता था।मेरी हालत भी सांप के मुंह मे छ्छूंदर जैसी हो गई है।मुझसे ना निगलते बन रहा है आउर ना ही उगलते।छोटी बहु कांचू ज्यादा टेंशन मे है और मंझली यानी प्राजकता उससे थोड़ी कम।बड़ी यानी अपनी तो है ही नही इसलिये टेंशन का सवाल ही नही उठता लेकिन दोनो बच्चों के कारण मैं भी टेंशन मे आ गया हूं।बच्चों की आजी यानी दादी यानी मेरी आई यंहा रहती तो मामला बड़ी आसानी से सुलझ जाता मगर वो भी नागपुर गई हुई है।इसलिये यंहा तनाव बना हुआ है हालाकिं स्थिती नियंत्रण में है।न न न न कोई ऐसी-वैसी बात नही है और ना ही घर पर कोई संकट आ पड़ा है।संकट तो बस दोनो बच्चों पर आया हुआ है।कल छोटे भतीजे ओम का रिज़ल्ट आने वाला है,बस इसिलिये घर में कोहराम मचा हुआ है।जितनी चिंता उसे नही है उससे ज्यादा उसकी मां यानी छोटी बहु को है।क्या बताऊंगी मैं अपने मायके वालों को और सहेलियों को।बस यही चिंता सता रही है उसे।लगभग यही स्थिती मंझली बहु की भी है।अरे अरे अरे,आप लोगों को तो बताना ही भूल गया कि मेरी भतीजी और भतीजा कोई मैट्रिक,पीएमटी या पीईटी या और कोई प्रतियोगी परीक्षा नही दिये हैं।भतीजा ओम क्लास वन मे है और भतीजी युती क्लास फ़ोर में है।कल ओम का रिज़ल्ट है और युती का अट्ठाईस को।दोनो से पूछो तो बस इतना बताते है कि पास हो जायेंगे बस्।और बस यही बात दोनो की माताओं को टेंशन में डाले हुये जिनके कारण मेरे दोनो भाई भी टेंशन मे है।सबको टेंशन मे देख कर जब मैने अपने भतीजे और भतीजी से कहा कि बेटा अच्छे से पढाई करना चाहिये।अच्छे नम्बरों से पास होना चाहिये तो उन्होने उल्टे मुझसे सवाल किया कि बाबा क्या आप जब छोटे थे तो खेलते नही थे क्या?इस सवाल का जवाब ढूंढते ढुंढते मैं भी टेंशन में आ गया हू।आपको इस सवाल का जवाब मिले तो मुझे भी बताना,ज़रूर्।
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12 comments:
बच्चों से ज्यादा टेंशन में उनके माता पिता हैं. फिर उनका यही टेंशन बच्चों पर उतरता है.
kyA khoob sawaal kiya...
ये पोस्ट पढा कर आपने हमें भी टेंशन में डाल दिया जी :)
प्रणाम
bahut se gharo main aaj kal yahi sab chal raha hai------
jai baba banaras....
इतना प्रतियोगी वातावरण देख हम भी टेशंनात्मक हो गये हैं।
आज के बच्चे नही यह हमारे बाप से भी बढ कर हे, इन्हे समझाओ उस से पहले यह हमे ही समझाने लग जाते हे
दूसरों की अपेक्षाएं और सवाल ज्यादा टेंशन देते हैं वर्ना आदमी बच्चों की तरह मस्त रह सकता है | बढ़िया लेख ..
ha ha ha
टीवी पर आने वाला वो एड याद आ गया...
जिसमें बच्चे का पिता परेशान होता है कि उससे बच्चे ने सवाल पूछ लिया...अकबर का बाप कौन था...
वही पिता अपने दोस्त से कहता है- अब मैंने कौन सी जिओग्राफी पढ़ी है जो मुझे पता होगा कि अकबर का बाप कौन था...
फिर एक दिन वही पिता इतराता हुआ बेटे से कहता है...मुझे पता चल गया है कि अकबर का बाप कौन है...राकेश रोशन...
जय हिंद...
घर घर की कहानी....
शब्दों का व्यवहार भी मनोभाव बनाता है- मूड, मूड, मूड और टेंशन, टेंशन, टेंशन.
अभी कल ही मुझे मालूम पड़ा की १२वि कक्षा (म.प्र.)के पेपर ५००० में कई बच्चो ने खरीदे तो मुझे तो बहुत टेंशन हो गया की जिन बच्चो ने मेहनत की उनके क्या ?
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