Friday, April 1, 2011

वो रो रहा था,पैर पकड़ कर गिड़ग़िड़ा रहा था और मैं समझ नही पा रहा था कि उसे माफ़ करना चहिये या नही?

कल दोपहर को अचानक वरिष्ठ पत्रकार ने मुझे फ़ोन किया और कहा ज़ल्दी घर आओ और फ़ोन काट दिया।किसी अनिष्ठ कि चिंता से घबराकर उनके घर की ओर भागा।रास्ते मे दूसरा काल आया और फ़िर उधर से वही घबराई हुई आवाज़ आई कि पचास हज़ार रूपये लेकर आओ तत्काल आओ और फ़ोन फ़िर कट।मैंने रफ़्तार बढाई और सीधे पंहुचा उनके घर।वे बरामदे में ही खड़े हुये थे।मैं सीधे उनके पास पहुंचा और शायद यही मुझसे गलती हो गई।बाहर खड़ा एक बैगधारी फ़ोटोग्राफ़र मुझे देखते ही वंहा से भाग गया।
अंदर एक पुलिस वाला था और वो वरिष्ठ पत्रकार से तीन लाख रूपये की डिमांड कर रहा था।मैने जैसे ही उनसे पूछा कि क्या हुआ भैया तो घटना बताने के साथ ही वो पुलिस वाला मुझसे उलझने लगा और उसने मुझे थाने चलने के लिये कहा।अब तक़ मेरा गुस्सा वैसे भी आसमान पर पंहुच गया था।ऐसा लग रहा था कि साले को पटक-पटक कर पीटूं।जैसे-तैसे मैने गुस्से को निगला और उससे कहा चल कौन से थाने चलेगा तो चल।अब तक़ उसे भी शायद एह्सास हो गया था कि इस बार गलत नम्बर डायल हो गया है।उसने मुझे अपना कार्ड दिखा कर एक बार और धौंस जमाने की कोशिश की मगर इस बार मैनें जब कार्ड ही छीन लिया तो वो घबरा गया और अपनी मोटर सायकल उठा कर भागने लगा।तब मैने और भैया ने उसे रोका और उसके साथियों के नाम पूछे और उन्हे हमारे हवाले करने के लिये कहा।इस पर उसने अंजान बनने की कोशिश की तब मैने सीधे आई जी मुकेश गुप्ता को फ़ोन लगा दिया।उन्होने मामला सुनते ही तत्काल कार्रवाई के लिये पुलिस कि टीम वंहा भेज दी।
आई जी मुकेश गुप्ता का नाम सुनते ही उस पुलिस वाले को जैसे सांप सूंघ गया और उसकी अकड़ पता नही कंहा गायब हो गई।अचानक़ वो लेट गया और उसने मेरे पैर पकड़ लिये।अब वो अकड़ नही रहा था गिड़गिड़ा रहा था।उसने मुझसे कहा मेरे बाप मुकेश गुप्ता मुझे छोड़ेगा नही,वो मुझे बर्खास्त कर देगा।मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं।और दुनिया भर की बात करने लगा।मुझे भी खराब लगने लगा था।इस बीच एड़िशनल एस पी और सी एस पी का भी फ़ोन आ चुका था और थानेदार भी पंहुच गया।मुकेश गुप्ता ने मुझसे पुलिस के पंहुचने के बारे मे जानकारी भी ली।पहली बार पुलिस को मैं इतनी तेज़ी से काम करते देख रहा था,कारण चाहे मुकेश गुप्ता हो या मैं,मुझे पुलिस की तत्परता बहुत अच्छी लगी।
थानेदार सेंगर ने आते ही उसे अपने कब्ज़े में लिया और उससे ज़ुबानी कई सारे अवैध रिश्ते बना डाले और फ़िर हम लोगों से घटनाक्रम पूछा।इस बीच उस पुलिस वाले का बार-बार मेरे पैरों मे लोट-पोट होना जारी था।मैने बला टालने के लिये कहा कि अब मैं कुछ नही कर सकता ये थानेदार जाने।मनोज सेन यही नाम बताया था उस पुलिस वाले ने,अब वो थानेदार के पैरों मे लेटने लगा।उसने हमसे पूछा कि आप लोग क्या चाहते है?हमने कहा कि हमे उन फ़र्ज़ी पत्रकारो को सज़ा दिलाना है बस।तो थनेदार ने मनोज से कहा कि तुम अपने साथियों के नाम बता दो साब लोग तुम्हे छोड़ सकते हैं।इस पर वो फ़िर रोने गिड़गिड़ाने लगा और मुझे भी दया आ ही गई।मैने भी थानेदार से कहा कि देख लो भई ये तुम्हारे विभाग का मामला है अगर ये फ़र्ज़ी पत्रकारों को पकड़वा देता है आप लोग जैसा उचित समझे करिये।
थानेदार ने उसे अपनी जीप मे ठूंसा और दुनिया भर के गलत-सलत रिश्तेदारियां बनाते हुये वंहा से थाने निकल गया।मैं भी अब अपने काम पर निकल रहा था कि फ़ोन बज़ा।उधर से आई जी मुकेश गुप्ता थे।उन्होने सीधे मुझसे कहा कि अनिल ये क्या बात हुई?तुम एफ़आईआर क्यों नही लिखवा रहे हो?मेरे मुंह से निकल गया वो रो रहा था उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं,नौकरी चली जाये…………मेरी बात बीच मे ही काट कर मुकेश गुप्ता ने कहा कि नौकरी तो उसकी जायेगी ही।मैं ऐसे लोगों को छोड़ता नही हूं लेकिन तुम ये बताओ कि तुम फ़र्ज़ी पत्रकारों के खिलाफ़ कार्रवाई चाह्ते हो मगर दोषी पुलिस वाले के खिलाफ़ नही?ये कौन सा तरीका है तुम्हारा?तुम्हारे प्रोफ़ेशन में साफ़ सुथरे लोग होना चाहिये और पुलिस में ऐसे अपराधी बने रहे?तुम ने तो लड़ झगड़ के बचा लिया अपने सीनियर को,कितने लोग ऐसा कर पाते हैं?फ़िर ये बच जायेगा तो कितनो को और लूटेगा?मुझे समझ में नही आ रहा था कि क्या करूं?एक तरफ़ उस पुलिस वाले का रोना-धोना और दूसरी तरफ़ आईजी की बातें।मैने कहा मैं एफ़आईआर करवा रहा हूं।जा रहा हूं सीधे थाने।उधर से चिर-परिचित अंदाज़ में आवाज़ आई गुड।मै अपने सीनियर के साथ थाने पहुंचा और सारी कार्रवाई की।कल सारी रात उस घटनाक्रम को लेकर बेचैन रहा आज सुबह से अखबारों मे छप जाने के बाद खबर पढ कर फ़ोन आने लगे और जब सबने कहा कि ठीक किया।ऐसे लोगों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई होनी चाहिये।एक कैमरा या वीडियो कैमरा लेकर ब्लैकमैलिंग अब चाकू की नोक पर लूट से ज्यादा आसाम और आम हो गई है।इस पर रोक लगाना ज़रूरी है।अब जाकर मुझे थोड़ा ठीक लगा है और ये मैं आप सब के सामने रख रहा हूं।मैने सही किया या गलत आप लोगों की क्या राय है बताईयेगा ज़रूर्।

18 comments:

shubham news producer said...

Ekdam sahi kiye bhaiya apne

Ise log ke liye thana hi thik hai
pata nahi kitne logo ko apne thag ka sikar banaya hoga un logo ne. shukr hai ap aur varisth patrakar ji ke sahyog se itna bada apradhi pakda gaya.

dsdewangan said...

aapne bilkul thik kiya bhaiya. inki saja yahi honi chahiye. un farji patrakaro ko bhi jald se jald arrest kar saja dilani hogi.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

एकदम ठीक किया आपने.

Ashish Shrivastava said...

अपराधी को सजा मिलनी चाहिए !

Udan Tashtari said...

बिलकुल सही किया...तभी इस तरह के लोगों को अक्ल आयेगी.

Anonymous said...

सही गलत तो तात्कालिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

वैसे आईजी सा'ब का प्रश्न भी सटीक है।

Arunesh c dave said...

अनिल भैया समस्या यही है अधिकारी हो या आम नागरिक दोषी के पैरो मे लोटते ही वह दया का सागर बन जाता है भारत मे ऐसे ही दयावानो के कारण आज ये भयंकर समस्यायें पैदा हुई हैं कोई भी मानवता के नाते कड़ी कारवाई नही करना चाहता पर गीता का संदेश यही है अधर्म का नाश करना ही होगा और अधर्मियों को मरना ही होगा आज एक पर की दया उदाहरण बन कर समाज पर नासूर बन कर छा जाती है ।

नीरज मुसाफ़िर said...

बहुत अच्छा किया। ऐसा ही होना चाहिये।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सिद्धान्त: ठीक है थोड़ी कम सजा में काम चल जायेगा. लेकिन उन सफेदपोशों के विरुद्ध क्या होगा जो कई दफा बड़ी ऊंची ऊंची कुर्सियों पर बैठते हैं. आईजी साहब भले मानुष हैं, जो तुरन्त कार्रवाई की. और वैसे तो आपने भी देखा ही होगा कि हर चौराहे पर वसूली होती है, ऐसे में कौन जिम्मेदार होता है और कितनों के विरुद्ध कार्रवाई हो पाती है.

प्रवीण पाण्डेय said...

आपने ठीक ही किया, समझदार को इतने में ही समझ में आ जाता है।

रवि रतलामी said...

एकदम ठीक किया आपने. लोग जब फंस जाते हैं तो सभी बाल बच्चों की दुहाई देते हैं, क्या सरकारी वेतन उन्हें अपने बाल बच्चों के लिए कम पड़ता है. हद है.

Smart Indian said...

आई जी साहब की बात सही है। अपराध किसी भी स्तर पर हो उसे रोके जाने की आवश्यकता है, और अपराधी को सज़ा मिलनी ही चाहिये।

Anonymous said...

one thing i dont understand mr anil,what actually the so called senior reporter was doing which was so terrible that he asked for 50000 rs........is their somthng more,something hidden in your version......did you get those reporters versions?issue doesnt look like as is been presented.

Pratik Maheshwari said...

सरजी, मेरे ख्याल से आपने सही ही किया..
आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी?

हर अपराधी को अगर यह बोल के छोड़ा जाए कि उसका घर-परिवार है तो दुनिया का बंटाधार हो जाएगा.. इसलिए इस पीड़ित नस को कहीं न कहीं तो काटना ही होगा..

आभार

Arvind Mishra said...

जो परिस्थितियाँ बनी उसमें यही निर्णय सबसे उचित था -मगर घटना का सबब क्या था अआपने र्हीक सेस्पष्ट नहीं किया या मैं ही समझ नहीं पाया !

Unknown said...

thik kiya apne bhiya,kyoki wo police wala jise loot raha tha uske bhi to bibi bachhe hai,bus in laphjo se kisi ko kya maph ker dena chahiye ki mere bibi bachhe hai mujhe chhod do,ye to in apradhiyo ka hathiyar hai bhaiya.imotional hathiyar

Madhur said...

आप दमदार पत्रकार भी है और दमदार इंसान भी इसलिए परिस्थिति ठीक से सम्भाल ली , वर्ना अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते हैं .

rajeev juneja said...

anil bhaiya aap ne bilkul thik kiya,ise insaan daya ke patra nahi hote.