Tuesday, April 26, 2011

प्रभू अपन अपना एक चैनल शूरू कर देते है और एक अख़बार भी!

क्यों बे अपने दुश्मनो से निपटने का कोई आईडिया आया तेरे खुराफ़ाती दिमाग मे?आया है महाराज,एकदम धांसू आईडिया आया है।सुनकर आप भी वो लम्बू के लड़के की तरह पांव हिलायेंगे।अबे कुछ बतायेगा भी या…बताता हूं महाराज।अपन अपना खुद का एक न्यूज़ चैनल डाल लेते है और एक अख़बार भी शुरू कर देते हैं।उससे क्या फ़ायदा होगा बे।मैने कहा महाराज चौबीस घण्टे सातो दिन सबसे अलग और सबसे पहले अपन अपने बारे मे ही ठेलेंगे और दुश्मनो को भकाभक पेलेंगे।चल बे,साले मै देवता हूं कोई टटपूंजिया नही।


जिसे मै धांसू आईडिया समझ रहा था उसे भ्रष्टराष्ट्र ने एक झटके मे रिजेक्ट कर दिया।मेरा दिमाग खराब हो गया,मै बोला क्या खराबी है इसमे।इस पर करिया हंसा और बोला इतने सालों से जिस धंदे मे है उसके बारे मे मुझसे पूछ रहा है।मैने कहा ये मनमोहन स्टाईल मे टरकाओ मत्।साफ़ साफ़ बताओ क्या प्राब्लम है।करिया बोला,पहला प्राब्लम तो तू है बे।मै क्यों?क्यों अख़बार और चैनल चालू होंगे तो उनको तू ही देखेगा ना।ये भी कोई पूछने की बात है महाराज।यही तो मै नही चाहता। तेरे अंदर का कीड़ा फ़िर से जाग गया तो मेरे ही चमचो को पेल देगा। अरे नही महाराज।मै तेरे चक्कर मे आने वाला नही बे।तुम पत्रकारो का कोई भरोसा है क्या?ये तो फ़ाल्तू की बात कर रहे हो महाराज्।फ़ाल्तू नही बे,मै तो पूरे मीडिया कि विश्वसनीयता की बात कर रहा हूं।याद है सेलून मे जब तू बाल कटवा रहा था तब बगल की कुर्सी पर बाल कटवा रहे झिंगुर से बच्चे ने क्या कहा था।माल नही मिला होगा तो दिखा रहे है साले।कहा था ना।मैने कहा बाद मे उसने मुझसे माफ़ी भी तो मांगी थी।माफ़ी तो तुम लोगो के कर्फ़्यू मे हाथ-पैर तोड़ने के बाद नेता लोग भी मांग लेते है,लेकिन हाथ पैर तो टूट ही जाते है ना।

मैने कंझा कर कहा कि महाराज ये ईधर-उधर की बाते छोड़ो और बताओ कि मेरे आईडिया मे क्या… मै सच कह रहा हूं बे।तुम लोगो की विश्वसनीयता कम हुई है।अपने चैनल और अख़बार मे चाहे जितना दिखा ले,पब्लिक सयानी हो गई है। बिरयानी के साथ मिनरल वाटर मांगती है।समझा।अबे साऊथ वाली अम्मा का चैनल चीख-चीख कर कहता रहा कि अम्मा की पार्टी जीत रही है।क्या हुआ जीती।सारे एक्ज़िट पोल ली ऐसी की तैसी कर देती है, पब्लिक।एक से एक आंकड़ेबाज,फ़ंडेबाज,लफ़्फ़ाज़ और जाने क्या क्या लोग चिल्लाते है बाज़ार मे ये होगा,वो होगा,क्या होता है।तेरे ही शहर का था ना बे, हर्षद।हां महाराज और उसका छोटा भाई हितेश मेरे साथ ही पढता था।साले एक झटका दिया था उसने आजतक़ उथ्ल-पुथल ज़ारी है।ये चैनल और अख़बार पढ कर लोग बाज़ार मे रूपया तो क्या उनकी सलाह पर घर से छाता लेकर भी नही निकलते बे।तू भी तो लिखता था ना मौसम का हाल्।तो उसमे मेरा क्या दोष है महाराज।जैसा मौसम विभाग वाले बताते थे वैसा लिखता था।अबे वो सब छोड़ कितनी बार पानी गिरा है जब तूने लिखा। छोड़ो ना महाराज,आप भी। अबे सुन छोड़ो छोड़ो क्या कर रहा है।साले तुम लोग लिखते हो बारिश होगी तो धूप निकलती है।मानसून तक़ तुम लोगो के हिसाब से नही आता।जब लिखते हो अच्छी फ़सल होगी तो अकाल पड़ जाता है।जिस पार्टी को तुम लोग सपोर्ट करते हो उसका लाल लाईट जल जाता है।इस चुनाव मे थर्ड फ़्रंट के बाद फ़ोर्थ फ़्रंट भी बना दिया था तुम लोगो ने।क्या हुआ थर्ड फ़्रंट तो ले देकर थर्ड डिवीजन पास भी हो गया और फ़ोर्थ फ़्रंट का तो बाजा बज गया तुम लोगो की पब्लीसिटी से।


महाराज अब आये ना सही लाईन पर अपन अपना चैनल और अख़बार अपनी पब्लिसिटी के लिये चलायेंगे।अबे ज्यादा श्याना मत बन।ऐसे अख़बार रेल्वे स्टेशन,बस स्टैण्ड मे एमरजेंसी मे बच्चों की पोट्टी पोछने के ही काम आते हैं।महाराज।चिल्ला मत बे।मै सरकार और दूसरे भगवानो की तरह बहरा और अंधा नही हूं समझा।महाराज इससे…सुन तू ये आईडिया तो ड्राप ही कर दे।सारी दुनिया मे माऊथ पब्लिसिटी मे अपना नम्बर वन है बे।बिना किसी को अद्धी पौव्वा पिलाये अपने लोगो की खबर फ़्रंट पेज पर छा जाती है।देखा नही था क्या बे किडनी चोर डाक्टर को।साले इतने दिन तो सोनिया गांधी का विदेशी मुल का मुद्दा नही चला था।और टाईटल देखा था किडनी किंग,जैसे कोई राजा महाराजा हो।महाराज आप तो जबरन मामले को तोड़-मरोड़ रहे हो।अबे मै क्या साले तुम लोगो की जात वाला हूं जो ऐसी गंदी हरक़त करूंगा।मै सच कह रहा हूं,सच, शत-प्रतिशत्।इसको किसी चैनल की पंच लाईन मत समझ लेना।

मेरा कहना था महाराज,मैने लास्ट ट्राई मारते हुये थोड़ा टोन चेंज़ किया।क्या कहना है बे तेरा।महाराज आप की चल तो रही है मगर लोग ये तो नही जान्ते ना कि आप ही असली सरकार हो।क्या मतलब बे।मेरा मतलब ये है काम सब आपका कर रहे है मगर नाम दूसरो का हो रहा है ना। अब बताईये जब आप मेरे पास आये थे तब मै भी नही पहचानता था आपको। आपके बारे मे ब्लाग पर लिखा तो सभी लोग आपके बारे मे जानना चाहते थे। अबे चुप साले वो सब स्याने है सब जानते है और शरीफ़ बनने के चक्कर मे अंजान बन रहे है। और सुन ब्लाग जगत के सभी खांटी लोग मेरे फ़ालोअर है।फ़िर भी महाराज आपकी अपनी भी तो पहचान होना चाहिये ना।कल को आप का मोम का पुतला बनाना होगा तो क्या जानी लिवर का फ़ोटो देख कर बनायेंगे।करिया थोड़ा सा सिरियस लगा।मैने लोहा गरम देखकर शोले के ठूठ्वे ठाकुर के डायलाग को याद किया और मार दिया हथौड़ा।मैने कहा न कोई आपकी मूरत है और न कोई सूरत देखा हैं।न कोई मंदिर है और ना ही कोई आश्रम-वाश्रम्।लोकल बाबा लोगो तक़ का फ़ाईव स्टार आश्रम रहता है फ़िर आप तो सुपर-डुपर हिट भगवान हो।ऐसा लगा कि भ्रष्टराष्ह्ट्र रो पड़ेंगे।उन्होने कहा बस मुझे मालूम था तू ही मेरे बारे मे कुछ करेगा।कुछ कर,कुछ सोच्।क्या सोचा और क्या किया इसके लिये आपको भी करना पड़ेगा कल तक़ का इंतज़ार्।

9 comments:

Learn By Watch said...

बहुत मारक व्यंग्य लिखा है :D मान गए,

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ, कमाल लिखते हैं आप

आप इस लेख में व्यंग्य,हास्य,हास्य-व्यंग्य टैग का प्रयोग भी करते तो बहुत बेहतर होता,

पाठकों पर अत्याचार ना करें ब्लोगर
अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!

Satish Saxena said...

इस चैनल में एक छोटी मोटी नौकरी मेरे लिए भी प्रभु .....

Atul Shrivastava said...

वाह।
गजब का संवाद।
भ्रष्‍ट्रराष्‍ट्र भी आपके चक्‍कर में आ रहे हैं धीरे धीरे।
ढालिए सांचे में।
इस अखबार-चैनल को हम भी अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं।

Arunesh c dave said...

हम भी इंतजार मे हैं ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

कभी कहा जाता था कि तोप हो मुकावित तो अखबार खोल लें, पर अब तो चैनल खोल सकते है :)

KISHORE DIWASE said...

नारायण... नारायण...अनिल भाई,आपका कालम पढने के बाद देवर्षि नारद अपनी वीना की झंकार करते हुए भगवान विष्णु के पास पहुच चुके है. रास्ते में उन्हें सत्य साईं बाबा भी मिले थे.भभूत और मूर्ती निकलने वाले कुछ चमत्कार भी दिखाए. मीडिया वालो की तरफदारी कर रहे थे सत्य साईं बाबा क्योकि खूब छापा और दिखाया है उन्होंने.खैर... हो सकता है कि दिवंगत अखबार मालिको और पत्रकारों ने भी मीडिया की मौजूदा हालत पर प्रभु तो कुछ ब्रीफिंग दे दी हो. साथ भी अखबार और चैनल खोलने पर भी राय दी होगी . इंशाल्लाह हो सकता है कि अखबार या चैनल के लिए वे कुछ चलता पुर्जा पत्रकारों को वहा बुला न लें .. पूरा मजा लेते हुए कल का इन्त्त्जार रहेगा.

अनूप शुक्ल said...

आइडिया अच्छा है जी। अब खोल ही लिया जाय चैनल!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

झकास आइडिया है भाई।

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देखिए ब्‍लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्‍वासी आज भी रत्‍नों की अंगूठी पहनते हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

आधुनिक निर्वाण का यही मार्ग है प्रभु।