Sunday, June 19, 2011

ऐसे मे कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार?अफ़वाह पर ही टूट पड़ते हैं पीएमटी का फ़र्ज़ी पर्चा खरीदने!क्या ऐसे ही डाक्टर बनाओगे?

छत्तीसगढ में जो ना हो वो कम ही है।कल ही यंहा के एक कस्बे में पीएमटी का पर्चा बिकने की खबर फ़ैली और वंहा की एक धर्मशाला में भीड़ लग गई डाक्टर बनने और बनाने वालों की।बात पुलिस तक़ पंहुची और वंहा जब छापा मारा गया तो 80 लोग पकड़ाये।खरीदने बेचने वाले ,दोनो शामील थे।उससे पहले ना जाने कितनों ने खरीद कर क्या-क्या सपने देख लिये होंगे?हो सकता है कई ने तो ख्वाब मे आपरेशन तक कर डाला होगा।एक पर्चा एक लाख रूपये से लेकर चार लाख रूपये तक़ में बिका।पुलिस के पंहुचते ही अफ़रातफ़री मची और वो गोरखधंधा बंद हुआ।   अब सवाल ये उठता है कि हाल ही में सारे देश में भ्रष्टाचार मिटाने के लिये आंदोलन की शुरूआत हुई।एक माहौल भी बना।हर कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बयानबाज़ी करता नज़र आया,बहस करता नज़र आया।ऐसा लगने लगा था कि शायद जनता जाग रही है?और कुछ दिन बीते नही है कि चल पड़े यंहा के लोग फ़र्ज़ी पर्चा खरीदने।वो भी पीएमटी का।क्या ऐसे ही बनना है डाक्टर?क्या अपने बच्चों को पेपर खरीद कर बनाओगे डाक्टर?क्या ये भ्रष्टाचार नही है?क्या इतनी ज़ल्दी भूल गये भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम को?                                                                          खैर जाने दिजीये।वैसे भी इस देश मे जिसके पास रुपया है,वो बड़े से बड़े कालेज मे डोनेशन देकर पढ ही सकता है और डाक्टर क्या जो चाहे बन सकता है?सिस्टम ही गड़बड़ है तो क्या किया जा सकता है?लेकिन इस घटना ने ये तो साबित कर ही दिया है,फ़ायदा नज़र आये तो अच्छे से अच्छे लोग सब अचार चटनी छोड़ कर दौड़ पड़ते है,मलाई खाने।क्यों गलत तो नही कहा मैनें।आपको क्या लगता है इस तरह का बर्ताव जब आम तक़ आक आदमी करता रहेगा,क्या भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना संभव होगा?

9 comments:

Unknown said...

बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलया कोय।
जो दिल खोजा आपना मुझसा बुरा न कोय॥

Arunesh c dave said...

सब इमानदार हो जायें मुझे छोड़कर यह मूल मंत्र है भारतीयों का ।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

दिक़्कत ये है कि यही पर्चा ख़रीदने वाले तो हमारा इलाज करने यहीं रूक जाते हैं दूसरे विदेश चले जाते हैं...

प्रवीण पाण्डेय said...

देश का गौरव बनेंगे ये सब।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सब कुछ नकली है जी।
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पितृ-दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
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भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

लोग कहते हैं कि नई पीढ़ी से उम्मीद है. ऐसी नयी पीढ़ी से पीड़ा ही मिल सकती है.
किसने कह दिया भ्रष्टाचार मिट जायेगा और कौन मिटाना चाहता है.
अन्ना आगे बढ़े, रामदेव जी आगे बढ़े.. लेकिन यहां के लोगों पर कोई असर दिखा.. काफी लोग भ्रष्टाचार खत्म होने पर दुखी होंगे और जो सुखी होंगे वे बेचारे समझ नहीं पाते कि क्या कर सकें, असहाय हैं, असमर्थ हैं.
एक ही तरीका है कि नया दल बने और ऐसे लोगों के वोट पाये जायें तभी कुछ होगा अन्यथा.

Rahul Singh said...

न परचा फर्जी था, न बात अफवाह. हकीकत सामने है, लेकिन सरकार तो मानों कोसने के लिए ही बनाई है हमने, सब कुछ उस पर डाला और निश्चिंत हुए.

Arvind Mishra said...

और लोग चाहते हैं कि इसे रोकने सरकारें आगे आयें :(

Bharat yogi said...

हां भैय्या गरीब आदमी को तो अपने बच्चो को स्कूल में भेजना ही नहीं चाहिए। क्योकी डाक्टर,इंजिनियर बनाने के लिए पहले ही रिश्वत तय है। जो पेट काटकर अपने बच्चे को अक्षर ज्ञान करा रहा है वह नौकरी के लिए कहां से इतने रूपए लाएगा। गरीब का बच्चा पैदा ही होता है मजदूर बनाने सरकार की इस नीति से तो एसा ही लगता है। मेरी बातो का कोई अन्यथा न ले लेकिन में माटी पुत्र हूं मेरी मिट्टी का मेरे को दर्द है। यहां बैंक लूटते है तो बिहारी,यहां पीएमटी पेपर बेचते है तो बिहारी यहीं जमीनों पर कब्जा जमाया जाता है तो बिहारी,यहां शराब का ठेका लिया जाता है तो बिहारी क्या बिहार ने गलत कामो का फैक्ट्री खोलकर हमे महाराष्ट्र की तर्ज पर छत्तीसगढ़ नव निर्माण सेना बनाने और राज ठाकरे जैसे किसी नेता को यहां के शांत राजनीति में लाने के लिए मजबूर कर रहा है। देखो एसा न हो जाए