Friday, July 15, 2011

तो क्या सरकार को जगाने के लिये पाकिस्तान जैसे रोज़ धमाके होना ज़रूरी है?क्या इससे पहले कार्रवाई नही करेंगे राजा साब?

हमारे देश से ज्यादा तो पाकिस्तान में धमाके होते हैं।देखिये बयान एक पेपर टाईगर का।बेशर्मी और बेवकूफ़ी की मिसाल है ऐसी बयानबाज़ी।उदाहरण दिया तो किसका जिस पर हमारे देश के आतंकवादियों को शरण देने के आरोप हैं।आरोप इस्लिये कह रहा हूं ,कंही उन्हे बुरा न लग जाये कि और उन्हे ये ना लगे कि ये भी बिना ठोस सबूत के किसी मुस्लिम देश को बदनाम करने की भगवा साजिश है।क्या कहा जा सकता है इस देश के ज़िम्मेदार ठेकेदारों की लाचारी और चाटूकारिता पर्।अरे उदाहरण देना था तो देते अमेरिका का उदाहरण।कहते सीना ठोक कर कि हम घर में घुस कर मारेंगे दुश्मनों को।कहते कि मुम्बई में अब अगर दोबारा धमाका हुआ तो हम भी कई धमाके करवा देंगे।मगर अफ़सोस,देश की असंख्य जनता के ज़ख्मों पर मरहम लगाने की बजाय आपने अपने एक नेता को बचाने के लिये जनता के ज़ख्मों पर नमक-मिर्ची लगा दी।ठीक है कोई कुछ कह नही रहा है सबके सीने में धधक रहा गुस्सा ये कह रहा है कि अरे हिज़ड़ों,और कितना खून देखना है बहते हुये सड़को पर्?और कितनी लाशें गिनना है?मांस के लोथड़े देखने में मज़ा आता है क्या?क्या धमाकों के शिकार लोगों की चीखें,उनके रिश्तेदारों का रोना सुनकर शांति मिलती है क्या?क्या मुआवज़ा बांटने में ही आनंद आता है?और कितने धमाके होना चाहिये?और कितनी लाशें बिछ्ना चाहिये?और कितने परिवार उजड़ना चाहिये?और कितने बच्चे अनाथ और बहने विधवा होनी चाहिये?और कितनी जान की बलि चाहिये देश के ठेकेदारों,आप लोगों को?कब जागोगे?कब मारोगे?कब बचाओगे देश को?पकिस्तान जैसा हाल हो जायेगा तो फ़िर कौन बचा पायेगा?आयेगा अमेरिका जब मर्ज़ी घुस के मार के चला जायेगा।तब क्या तालियां बजाओगे?शर्म भी नही आती ऐसे गैर ज़िम्मेदाराना बयान देते हुये।और मुझे तो उन बेशर्मों से ज्यादा अपने ही भाई-बहनों पर शर्म आती है,कि आखिर वे इन कमीनो पर अपने तरकश में सज़े सवालों के तीर बरसाते क्यों नही?क्या एकाध राडिया केस और सामने आने वाला है?क्या कुछ बड़े  पत्रकार और नंगे होने वाले हैं?क्यों नही सवाल करते उनसे जनता की आवाज़ बनकर?उन पांच बड़े लोगों की तो बात करना ही बेकार है जो देश के सबसे हीमैन-सुपरमैन-बैटमैन-रैटमैन प्रधानमंत्री से मिलकर आयें हैं।उन्होने तो इस बारे में शायद पूछा ही नही होगा।लेकिन जो मैदान में है उनको तो ऐसी बक़वास करने वालों को नंगा करना चाहिये,या फ़िर उनसे बात ही नही करनी चाहिये।काहे उनकी बक़वास सुनाते हैं जनता को?क्या वो पेड़ न्यूज़ है?क्यों जनता के ज़ख्मों पर मरहम की जगह चमचों की जली-कटी सुनाते हैं।ये भी समझ से परे है?क्या उनकी बक़वास के बिना काऊंटर बाईट नही मिलेगी?क्या अनाप-शनाप बक़वास दिखाने पर ही लोग टी वी देखेंगे?समझ में नही आता कि इस बात का क्या मतलब है,मुम्बई फ़िर दौड़ने लगी है?मुम्बई की हिम्मत की दाद देनी होगी?और दौड़ेगी नही तो क्या रुक जायेगी?हिम्मत नही दिखायेगी तो घर कैसे चलेगा?हिम्मत की दाद देना ही तो हमारे बेशर्म नेताओं के हिम्मत की दाद दो,जो बिना डरे सबके सामने बक़वास करते है,हमारे भाई सुनते हैं और फ़िर स्टूडियो जाकर सारे देश को सुनाते हैं।ऐसा लगता है कि ये उन निकम्मे नेताओं के नौकर हैं,बस और कुछ नही।उनकी भी ज़िम्मेदारी उतनी है जितनी सरकार के ज़िम्मेदार लोगों की।जिस दिन वे उन लोगों कू बेनक़ाब करना शुरू करेंगे तब कंही उनकी बक़वास पर लगाम लगेगी और शायद तब कुम्भकरण जागेंगे भी।वरना कह्ते रहेंगे नेता पाकिस्तान से तो अच्छे हैं।

7 comments:

Anonymous said...

वो भी क्या कार्रवाई कर लेता है!

Bharat yogi said...

भैय्या जब हम ऱाष्ट्रीयता की बात करते हैं भगवा साजिश का आरोप लग जाता है। क्या भारत में देश भकि्त की बाते करना भगवा आतंक है। इसके पीछे एक यह भी कारण है की भारत सिर्फ हिन्दूओं का भारत हो गया है। जबकि की आजादी की लड़ाई हिन्दू और मुसलमानो ने एक होकर लड़ा था। लेकिन आतंकवाद से लड़ते समय हम सभी फ्रंट पर अकेले नजर आ रहे हैं। देश के ईसाई और मुसलमान सड़को पर क्यो नहीं उतरते जो उतरते हैं उनमें भी राजनैतिक दलो के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता शामिल होते हैं। जिन्हें मैं सीधे तौर पर समाज का प्रतिनिधि नहीं मानता बलि्क यह उस राजनैतिक दल के अल्पसंख्य प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि होते हैं। आतंकवाद के खिळाफ मुसलमानो और ईसाईयों को भी दिल से खड़े होना चाहिए। ना की अखबारो में फोटो छपाने के लिए देश हित की लड़ाई में हम सब को एक होना पड़ेगा।

DUSK-DRIZZLE said...

NA MARDO KO JOS DILVANE SE KYA FAYDA
BHAIYA MALUM HAI- UPA MATLAB HAI- UNDER PRESSURE OF AMERICA.
SANJAY VARMA

Arunesh c dave said...

वाह वाह भैया अब दिया है बराबर मिला के मजा आ गया । इन हिजड़ो को तो दूसरो की आड़ लेने की आदत पड़ गयी है । भ्रष्टाचार पर बात करो तो कहते हैं भाजपा को देखो रामदेव अन्ना की बात करो तो संघ का नाम भजने लगते हैं सुप्रीम कोर्ट बत्ती दे तो इनको दखल नजर आने लगता है अब बम धमाके मे पाकिस्तान की बात कर रहे है

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

kuchh nahi, inke sage marne lage to ham bhi yahe kahenge...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

kuchh nahi, inke sage marne lage to ham bhi yahe kahenge...

KSR Murty said...

Anil sir solid blog post kiya hai.MERE ANDHAR KE KHUN KO KHAULA DIAY AAPNE.

THE GOVT. IS ONLY RESPONSIBLE FOR THIS TYPE OF BLASTS AND TERROR.
OUR HON'BLE PM SAYS IF WE UNITE THEN WE CAN FINISH THE TERRORISM , WE ALL ARE UNITED BUT OUR PRIME LEADERS ARE NOT UNITED WITH THE PUBLIC OF INDIA. THEY ONLY USE INDIAN PUBLIC TO TAKE THE VOTES AND BLOOD OF INNOCENT PUBLIC.

WHY OUR HON'BLE PM DID NOT SAY THAT WE ALL WILL UNITE AND DISTRIBUTE THE SCAM AMOUNT AND SWISS BANK BLACK MONEY. FOR MONEY MAKING ONLY PRIME LEADERS AND POLITICIANS FOR GIVING BLOOD AND LIFE IS OF OUR INNOCENT PUBLIC OF INDIA