Thursday, September 29, 2011
बचपन की कहानियों में राक्षस की जान मिट्ठू में होती थी वैसे ही कांग्रेस की जान लगता है कि चिदम्बरम में है!
बचपन में अधिकांश कहानियों मे राक्षस हुआ करते थे.और राक्षस को मारने राजकुमार भी होते थे.राक्षस और राजकुमार में जब फायनल फाइट होती थी तो सब राक्षस की ताक़त से हैरान रह जाते थे.एक से एक तीर-तलवार के वार,गदा से गदागद और फिर भी राक्षस का बाल भी बांका नही होता था.राजकुमार भी पसीने-पसीने,हैरान-परेशान.फिर कोई धीरे से राजकुमार के कान में फुसफुसाता और राजकुमार राक्षस को छोड कर बगल के पेड पर लटके पिंजरे के मिट्ठू की गरदन मरोडता और उधर राक्षस टें बोल देता.मेरे खयाल से चिदम्बरम ही वो मिट्ठू है इसिलिये उसे बचाने में कांग्रेस पूरी ताक़त लगा रही है.
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7 comments:
गजब का उदाहरण दिया. तो आपने ऐय्यारी से ओतप्रोत उपन्यास भी बालकाल में पढ़े हैं!
बेशक!
एक बार तो वोटों की गिनती में ये हार ही गये थे, लेकिन करिश्मा हो गया कि दोबारा गिनती में जिता दिये गये!
पता नहीं क्या किसमें है।
ऐसा कौन राजकुमार है जो इस मिट्ठू के जरिये इस काँग्रेस रूपी राक्षस को ही मार डाले?
बेहतरीन...... सच कह रहे हो आप। स्थिति देखकर तो ऐसा ही लगता है।
सिर्फ एक ही उल्लू काफी है बर्बाद गुलिस्तां करने को....... हर शाख पर उल्लू बैठा है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा...... ?????
लेकिन कांग्रेस की जान तो सोनिया में है।
MAJA a GAYA
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