Friday, April 13, 2012
ऎसे में कौन साला मरना चाहेगा देश के लिये?एक नही 55 पुलिस वालों के हत्यारे को ओडिशा सरकार ने रिहा कर दिया एक इतालवी की रिहाई के लिये.
ऎसे में कौन साला मरना चाहेगा देश के लिये?एक नही 55 पुलिस वालों के हत्यारे को ओडिशा सरकार ने रिहा कर दिया एक इतालवी की रिहाई के लिये.उसके साथ और कई दुर्दांत और बर्बर ह्त्यारे भी रिहा हो गये.क्या यही देश का कानून है?क्या इसिलिये अपनी जान हथेली पर लेकर लड रहे है नक्सलियो से पुलिस वाले?क्या इसिलिये जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा अपनी जान को दांव पर लगा कर करते है सुरक्षा कर्मी कि उनके ह्त्यारे यूंही रिहा कर दिए जाये?क्या इसी तरह दबाव में काम करती रहेंगी सरकारे.और फिर वो इतालवी नागरिक है कौन?किसकी सलाह से जंगम में गया था?आखिर वो उस नक्सल प्रभावित इलाके में ढूंढ क्या रहा था?उसे भारत में पर्यटन के लिये सिर्फ वही इलाका मिला?है क्या वंहा देखने लायक?बहुत से सवाल है जो दिमाग खराब कर रहे है.बस मां बहन की गालिया भर बस नही लिख पा रहा हूं.मैं मुम्बई-दिल्ली का कोई फेमस सेलेब्रेटी होता तो वो भी कर देता.आखिर नक्सलियों से बातचीत में इस तरह की नपुंसकता क्यों?वे हमारे लोगो को बिना वजह,बिना हिचक मारे जा रहे है और हमे बार बार ये कहना पडता है कि इस समस्या का जवाब गोली से नही दिया जा सकता.आखिर क्यो?कल उन्होने बस्तर में बीमार बच्चों को इलाक के लिये शहर ला रही एम्बुलैंस पर तक़ फायरिंग कर दी.आधा दर्जन बीमार बच्चे और नर्स की तक़दीर अच्छी थी जो बाल बाल बचे.आखिर एम्बुलैंस तक़ पर फायरिंग करने वाले बेरहम हत्यारों पर रहम दिखा कर क्या जताना चाह्ती है सरकार?कल को इनका कोई रिश्तेदार बंधक हो जायेगा तो शायद ये उसकी रिहाई के बदले पूरे देश को ही बेच देंगे,वो भी हम आम जनता समेत.थू है साली ऎसी घटिया राजनीति पर.थू है साली तुष्टीकरण की नीति पर.थू है ऎसे सडेले सिस्टम पर.यही हाल रहा तो फिर कोई शहीद नही होना चाहेगा सडे-गले नेताओं की जान की सुरक्षा ले लिये.
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1 comment:
यही तो सत्ता के दल्ले चाहते हैं, की लोगों में शहादत, क्रांति और बदलाव की इच्छा मर जाए. चिदंबरम, सिब्बल, सोनिया...
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