Saturday, May 19, 2012
क्या विदेशी बाला से छेडछाड के अलावा देश में कोई और समस्या है ही नही?थू है देशी भांड मीडिया पर.
एक विदेशी क्रिकेटर और एक विदेशी बाला के बीच के मामले को देशी मीडिया ने इतना तुल दिया जैसे ये रूपये के लगातार गिरने,महंगाई के लगातार बढने,पुलिस वालो को अपराधियों द्वारा ट्रकों से कुचल कर मारने और जंगल में अगवा कर नक्सलियो द्वारा मार डालने से ज्यादा गंभीर मामला हो.हैरानी की बात तो ये है कि उस विदेशी बाला को महिला आयोग के बारे में पता तो चला ही उसका पता भी चल गया.वो न केवल वंहा पहुंची बल्कि उनके पहले सारा का सारा मीडिया वंहा पहले से तैनात था.आखिर सबके सब वंहा पहले से कैसे?खैर जितना दम लगाया इस मामले में खुद ट्रायल कर फैसला देने में उसे अदालत ने नकार दिया और ज़मानत दे दी.फोर्सफुल एन्ट्री का आरोप खारिज़ हो गया.एक बात और पूरे मामले में बुरी तरह घायल कहे जाने वाले कथित मंगेतर को अभी तक़ नही दिखाया गया कि वो कितना घायल है.फिर ये तो साफ हो गया है कि वो विदेशी बाला उसका मंगेतर और आरोपी क्रिकेटर एक साथ होटल आये थे.कमरे में साथ गये थे.शराब साथ पी.गिलास पकडे हुये फुटेज सीसीटीवी के यही कह रहे हैं.फिर वे उसे अपने साथ कमरे में लेकर क्यों गये?फिर एक चैनल ने तो ललित मोदी को ढूंढ कर ले आये और उससे बहस ऎसी जैसे उस विदेशी बाला के देशी वकील हो.बेशर्मी की हद तक़ इस मामले को खुद की प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया.अरे देश में और भी समस्या है भैया.नक्सलवाद की आग में झुलसते प्रदेश हैं!महंगाई की आग में झुलसता देश है!बेरोजगारी की भट्टी में भुन रही जवानी है!चारो ओर भ्रष्टाचार की कहानी है!सीमा पार का आतंक है!राजनीति पर रोज लग रहा हैकलंक है!अफसर मस्त है,जनता साली त्रस्त है!और ये मीडिया लगा हुआ है विदेशी बाला से छेड्छाड के मामले में घण्टो से बहस करने में.देश में रोज़ एक नही दर्ज़नों देशी महिलाओ से छेड्छाड नही बल्कि उनकी इज़्ज़त लुट रही है.इस पर बहस कब करोगे?नही करोगे?क्योंकि वंहा से विग्यापन जो नही मिलने वाला.बस अफसोस ही कर सकते हैं,और वही कर रहे हैं.
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2 comments:
एक दम सही शीर्षक दिया है पोस्ट को.
यह देखकर यह कहने में संकोच नहीं होता कि हमारा देशी मीडिया मूर्ख है, और तुर्रा यह कि लालची भी।
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