Wednesday, June 27, 2012
मानसून तुम भी साले पाकिस्तानी आतंकवादी से कम नही हो.आते हो तो फटे तलक बरसते हो और नही आते हो तो भी कयामत बरपा देते हो
मानसून तुम भी साले पाकिस्तानी आतंकवादी से कम नही हो.आते हो तो फटे तलक बरसते हो और नही आते हो तो भी कयामत बरपा देते हो.तुम्हारा रास्ता भी कसाब की तरह अरब सागर ही है.वैसे तुम्हारे पाकिस्तानी होने का शक मुझे पहले से ही तुम्हारे नाम के कारण होता था,मानसून,मासूम,मख्दूम और जाने क्या-क्या.और ये शक पक्का हो गया है तुम्हारे बार बार पलट जाने की आदत के कारण.इस बार पकिस्तान ने सरबजीत को लेकर पलटी क्या मारी,कसाब के साथी हमज़ा को हमने क्या पकडा तुम साले आधे रास्ते से पलट गये,भाग गये.बहुत ही कमीने हो तुम.आने की खबर देकर किसानो से खाद बीज़ में खर्च करवा दिया और अब नही आकर नुकसान.गरीबी में आटा गीला नही आटा नाली में डलवा दिया.फिर साले आते भी तो कौन सा एह्सान करते हो.कंही ना कंही बाढ ला ही देते हो और बिना एक भी गोली चलाये कसाब का रिकार्ड तोड देते हो और नही आते हो तो भी वही हाल है.और शक मज़बूत होने का कारण तुम्हारा घाटी के नौजवानो की तरह बार बार भटकना है.हम साले तुम्हे वरुण समझकर पूजा करते है और तुम हो कि गद्दारी के सिवाय कुछ नही.इस बार भी वही हरकत नज़र आ रही है तुम्हारी.आऊंगा आऊंगा कह कर धोका दिये जा रहे हो.आज तो धूप भी चटक रही है.अबे आ जाओ साले यंहा पकडाओगे तो कसाब की तरह ऎश करोगे डेली बिरयानी ऊडाओगे.बाप जनम में जो नसीब नही हुआ होगा वो यंहा नोश फरमाओगे.चुपचाप चले आओ जितना नुकसान पंहुचाना था पंहुचा चुके.समझे आ जाओ अब.बचा खुचा काम भी निपटा ही लो.कंही अतिवृष्टी तो कंही अवर्षा.बरबाद कर दो साले पश्चिमी ऎजेण्ट.
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2 comments:
मानसून कोई अनुराग कश्यप तो है नहीं जो...
"कह के लेगा?"
-हितेन्द्र अनंत
अब तो आ गया न ।
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