खोजने.और निकाल भी लाते है बाहर और चिल्लाते हैं मिठाई मत खाओ सेहत के लिये खतरा है.तो क्या खायें?चाकलेट.बस सारा खेल चाकलेट कम्पनियो को इनडायरेक्ट फायदा पहुंचाने से ज्यादा भारतीय परंपरा की मिठास को फीका करने का होता है.अभी हाल में ही केरल में कंही विदेशी चिकन में कीडे मिले थे.एकाध बार रिपीट हुई खबर और उसके बाद गायब.फालो अप का तो पता ही नही चला.चाकलेट में भी खराबी की खबरे रुक रक कर सामने आती है.पर सवाल ये उठता है कि क्या कभी त्यौहारो के मौसम में चाकलेट और विदेशी चिकन के खराब होने का अभियान नज़र आते है.शायद चकली,चिवडा,शकरपारे,लड्डू और देसी मिठाईयों की मिठास से विदेशी स्वादहीन चाकलेट घबराते हैं और हमारे यंहा के विदेशी भक्त देसी भोंपू हमारी परंपरा को खत्म करने के एक अनचाहे षड्यंत्र में अंजाने में शामिल हो रहे है.बेहद अफसोस की बात है.
4 comments:
घर की बनी मिठाइयां सबसे अच्छी.
केक, वह भी बेक..
वैसे, खुरमी, शकरपारा, बूंदी/मुर्रा/करी लाड़ू भी खा सकते हैं :)
एक हद तक तो टीवी वाले सही ही दिखाते हैं पर जो उनका दोगला रूप है उसपर प्रश्न ज़रूर उठता है..
हम तो खुशनसीब हैं जो आज भी घर की मिठाइयां खाने को मिलती हैं अन्यथा समय खराब आ रहा है.. अपनी परंपरा को भूलने वाले लोगों की तादाद बढ़ रही है.. मिठाई में खटाई पड़ने वाली है..
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