हैं.कल भी यही हुआ बहुत से माल्या समर्थको ने अष्टमी तक तो उनका बहिष्कार किया किया मगर नवमी से पहले ही सबर का बांध टूट गया.इस बार हम भी शामिल थे उनमे.पर मूल सवाल तो वंही खडा है सालों से,जो शराब नवरात्र में खराब रहती है वो दूसरे ही दिन अच्छी कैसे होम जाती है?जो नियम कानून कायदे और धर्म के नाम पर एक दिन और मद्यत्याग का अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रहे हैं वे भी आज रात से या कल दशहरा पर रावण पर विजय की खुशी में चीअर्स जरूर कर लेंगे.आखिर दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है.सो समाज की बुराई शराब को खतम करने के लिये सभी अच्छे लोग उस पर टूट पडेंगे.जै हो मदिरा मैया की.मदिरा प्रेम अमर रहे.पर मुझे ये तो पता करना ही है कि शराब नवरात्र के बाद अच्छी कैसे हो जाती है?आपको अगर पता हो मुझ अनाडी को बताने की कृपा करें.सधन्यवाद.
3 comments:
ये तो बहाना है
भारत में कुछ न कुछ कुतर्क गढ़ ही लिया जाता है.
यह हमको भी समझ नहीं आया है अभी तक।
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