Saturday, June 1, 2013
तो खेल मंत्री भी किसी खिलाडी को ही बना दो!नियम सभी के लिये होने चाहिये.
क्रिकेट,क्रिकेट और क्रिकेट,बस यही एक समस्या बाकी रह गई है अपने देश में.हर कोई चिल्ला रहा है कि खेल से सट्टा दूर करो.हर किसी को ऎतराज है खेल पर नेताओं के कब्ज़े पर.खेल संघो पर खिलाडियों का वर्चस्व होने की वकालत भी हो रही है.और तो और मौनी बाबा को भी क्रिकेट में राजनिती रास नही आई है.उन्होने भी खेलो से राजनीति को अलग रखने को कहा है.बिल्कुल सही है.सभी के सभी सही है.और अगर खेलों मे राजनिती से सब इतने दुःखी है तो खेल मंत्रालय से भी नेता को हटा कर उसे किसी खिलाडी के हवाले कर देना चाहिये.सिर्फ खेल मंत्रालय ही क्यों?सभी मंत्रालयों के लिये न्यूनतम योग्यता का निर्धारन भी लगे हाथ कर ही लेना चाहिये.और कम से कम देश के प्रधानमंत्री पद के लिये सीधे जनता से चुनकर आना तो अनिवार्य कर ही देना चाहिये?
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2 comments:
आदर्शों की छोटी चादर,
चलो ढकेंगे,
औरों को हम।
आंकाक्षा है पूर्ण उजागर,
चलो लूट लें,
औरों को हम।
कभी कुछ ठीक नहीं होगा यहां. आपको लगता है कि हम लोग इस तरह लोकतन्त्र के काबिल थे?
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