Monday, August 5, 2013

फ्रेण्डशीप डे के बहाने,बाढपीडितों के नाम पर नशे का नंगा नाच,क्या इसे ही इवेण्ट कहते हैं?

पता नही ये इवेण्ट फिवेण्ट क्या बला है पर रायपुर जैसे मंझोले शहरों में लडकियां शराब पीती पकडाये,तो हैरानी होती है.और गुस्सा तब और बढ जाता जब वो इवेण्ट बाढ पीडितो के लिये किया जा रहा हो.जी हां इसानियत को शर्मसार कर देन वाली ये घटना हुई है यंहा कल रात.शहर के एक होटल में कल पुलिस ने दबिश दी और लडकियों को शराब पीते हुये पकडा.पार्टी से होने वाली कमाई उत्तराखण्ड भेजने का उल्लेख निमंत्रण पत्र में है.क्या बाढ पीडितो की चिंता ऎसे की जाती है?कमाई के इस नये काले धंधे पर जितनी जल्दी हो रोक लगनी चाहिये.इससे पहले भी एक एक ऎसे ही इवेण्ट में लडकियां शराब पीती हुई होटल से बाहर निकल आई थी और हुल्लड करने लगी थी.तब भी पुलिस को दखल देना पडा था.इस तरह की पार्टियां हमारी संस्कृति पर तो हमला है ही हमारी बहन बेटियों के लिये भी बडा खतरा बन कर उभरी है.फ्रेण्डशीप डे के नाम पर उत्तराखण्ड के बाढ पीडितो के बहाने हमारी युवा पीढी को नशे की खाई में धकेलने वाली इस संस्कृति पर रोकथाम होना जरुरी है.इस घटना ने ना केवल सोचने पर मज़बूर किया है बल्कि शर्मसार भी किया है.

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा।