Friday, February 25, 2011

बजट फ़जट छोड़ो ममता जी दम है तो नक्सल इलाकों मे रात को रेल चला कर दिखाओ!

रेल बजट पेश हो गया हर साल की तरह!कई नई रेल,कई रेलों के फ़ेरे बढे,रेल सुरक्षा इंतज़ाम पर विशेष ध्यान,यात्री सुविधाओं का विशेष खयाल,कई नये आश्वासन और बजट के पिटारे से निकले कई झुनझुने भी निकले होंगे।कुछ ने तालियां बजाई होंगी तो कुछ ने गालियां बकने मे कोई कसर नही छोड़ी होगी।सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा पिछले साल हुआ था और उस्के पिछले साल हुआ था और उसके पिछ्…………………॥कुछ भी तो नही बदला है रेल बजट पेश करने की औपचारिकता सालों से वैसी ही चली आ रही है।                                                 अफ़सोस की बात तो ये है कि बजट पेश होने के बाद बधाई से लेकर प्रतिक्रिया तक़ मे इस  बात का ज़िक्र तक नही आया कि हमारे इस आज़ाद मुल्क में एक इलाका ऐसा भी जंहा रात को रेल चलाने का दम किसी माई के लाल में नही है।जी हां लाल आतंक के गढ से रात को रेल नही गुज़राती।और कोई एक दिन दो दिन की बात नही है,ऐसा महिनों से हो रहा है।इस बारे में बंगाल की रेल मंत्री ममता जी को शायद ही पता हो कि उनके प्रिय बंगाल की राजधानी कोलकाता के हावड़ा स्टेशन से व्हाया नागपुर मुम्बई के लिये रात को कोई रेल नही चलती।रातों को वंहा से छूटने वाली रेलों को आज महिनों से सुबह छोड़ा जा रहा है।है कोई माई का लाल जो आतंक के लाल इलाके से रात को रेल चला के दिखा दे?                                                                                                                            बाते तो बड़ी बड़ी बहुत लोग कर चुके हैं रेल मंत्री जी मगर क्या आप अपने ही देश में एक खास इलाके से रात को रेलों के संचालन पर अघोषित रोक लगाने का कारण बता सकती हैं?इस रूट की एक ट्रेन को सुबह एक स्टेशन पर तीन-तीन घंटे जबरन रोका जाता है।रायपुर में हावड़ा से मुम्बई की ओर जाने वाले सभी रेल सात से आठ घण्टे देरी से आती है।यही हाल मुम्बई से हावड़ा जाने वाली रेलों का भी है।अब तो इस इलाके के लोगों ने मान लिया है कि रेल मंत्रालय ने बिना टाईम टेबल बदले रेलों का समय चोरी-छीपे बदल दिया है।                          ये हमारा देश है भाई!अगर हम यंहा अपनी ही रेल नही चला सके तो क्या बंगला देश और चीन मे जाकर चलायेंगे?ये हाल है ममता मैडम आपकी रेल व्यवस्था का!नक्सलियों के सामने महिनों से घुटने टेके हूये है और आप हैं कि बिना किसी शिकन के रेल बजट पेश कर आई।ममता जी आपके प्रदेश,झारखण्ड और बिहार के उस इलाके मे आपके रेल मंत्रालय को नक्सलियों ने दो वारदात करके चुनौती क्या दी आपने उन इलाकों से रात को रेलों के गुज़रने पर ही पाबंदी लगा दी।क्या ये एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश की व्यवस्था है?छोड़िये आपको एक बात और बता दूं।बस्तर के नस्कल इलाके में रेल के पहिये नक्सलियों के इशारे पर ही घूमते हैं।किसी रेल मंत्री या रेल अफ़सर के इशारे पे नही।नक्सलियों ने बंद की घोषणा की नही कि रेल थम जाती है।जाने दो क्या-क्या बतायें आपको?आपको तो वैसे भी बंगाल का मुख्यमंत्री बनने में दिल्चस्पी है और उसके लिये आप ग्राऊण्ड रेल मंत्रालय के ज़रिये बना रही है।ठीक है जो मन मे आये वो करिये लेकिन ये तो बताईये कि मुम्बई-हावड़ा व्हाया नागपुर रेलें रात को कब अपने समय पर हावड़ा से छूटेंगी?

7 comments:

डॉ महेश सिन्हा said...

बंगाल में चुनाव के बाद शायद
कितना पिछड़ा इलाका है बंगाल ?
जहां पानी गिरने या नहीं गिरने पर जुलूस निकाल सकता है लेकिन 9 महीने से ट्रेन सही समय पर नहीं चलने से किसी को फर्क नहीं पद रहा है । न रेल्वे अपनी समय सारणी ही बदल रहा है
मामला तो सर्वोच्च न्यायालय के लायक है

Rahul Singh said...

रेल सुविधाओं में सुरक्षित संचालन को प्राथमिक आवश्‍यकता के रूप में देखा जाना जरूरी है.

प्रवीण पाण्डेय said...

पहले रेल जैसे साधनों को कोई विरोध का माध्यम नहीं बनाता था।

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

कहां नक़्क़ाखाने में तूती बजा रहे हैं भाई...

रवि रतलामी said...

ये तो गृह मंत्री और भारत सरकार का इलाका है माई बाप! रेल मंत्री क्या करे. और ममता तो वैसे भी माओवादियों पर खुलेआम ममता बरसाती रहती हैं.
उड़ीसा में चंद माओवादियों के समक्ष संपूर्ण राज्य सरकार और उसकी मशीनरी का दंडवत प्रणाम कोई किसी मामले में कम उदाहरण है?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सभी के स्वरों में मेरा स्वर भी शामिल..

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

ओरे बाबा, वोइच तो ओम करने को होय , थोरा धीरज से अमार बात सुनो तो :)