महंगाई से जूझ रही जनता को राहत दिलाने की दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार ने कंट्रोल एक्ट लागू कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उसने जमाखोरों पर नकेल कसने की दिशा में ठीक सोचा लेकिन उसके ही एक ताकतवार मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने केबिनेट की बैठक में एक्ट का जोरदार विरोध किया। उनका विरोध एक तीर से दो निशाना था। एक तो खुद को व्यापारियों का इकलौता हितचिंतक दूसरे डॉ.रमन सिंह को व्यापारियों का विरोधी बताना था। अपने इस इरादे में बृजमोहन अग्रवाल पता नहीं कहां तक सफल हुए लेकिन व्यापारियों की वकालत ने उनकी जननेता की छबि को नुकसान पहुँचाकर उनकी व्यापारी नेता की इमेज को और साफ कर दिया है।
महंगाई की चौतरफा मार झेल रही जनता को अपनी पार्टी के पक्ष में खींचने की गरज से ऐन चुनाव के समय जमाखोर व्यापारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने का फैसला डॉ.रमन सिंह ने लिया है। ऐसा नहीं है कि प्रदेश के सारे व्यापारी जमाखोर है। प्रदेश में ईमानदार व्यापारी ज्यादा है लेकिन तादाद में कम जमाखोर व्यापारियों ने कंट्रोल एक्ट का विरोध शुरू कर दिया है।
इससे पहले कि उनका फैसला लागू हो पाता केबिनेट की बैठक में गृहमंत्री पद से हटाये जाने के बाद से खामोश बैठे वनमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने उसका विरोध किया। बैठक में जिस दमदारी से बृजमोहन अग्रवाल ने व्यापारियों का पक्ष रखा उससे ये साबित हो गया कि उन्हें 95 प्रतिशत जनता से ज्यादा 5 प्रतिशत व्यापारियों की चिंता सता रही है।
खैर बृजमोहन अग्रवाल के पुरजोर विरोध को भांप कर मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने स्टाक की सीमा बढ़ाइ्र और कंट्रोल एक्ट को लागू करवाकर ही दम लिया। उन्होनें ठंडे दिमाग से बृजमोहन को राजनीतिक शिकस्त दे दी। इस बात से तिलमिलिए बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया पर अपनी पकड़ का सहारा लेकर कंट्रोल एक्ट को 'इंस्पेक्टर राज की वापसी' साबित करने का अभियान छेड़ दिया। इस अभियान से खुद उनकी पार्टी और उनके मुख्यमंत्री तो मीडिया के निशाने पर आ गए लेकिन वे खुद व्यापारियों को छोड़ कर जनता के निशाने पर आ गए।दरअसल व्यापारियों को हितचिंतक बनाकर सरकार का विरोध बृजमोहन अग्रवाल ने एकाएक नहीं किया है। गृहमंत्री पद से हटाये जाने की खुन्नस के लंबे समय से पालते आ रहे थे। खुद को सुपर सी.एम. साबित करने वाले बृजमोहन अग्रवाल को मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने गृहमंत्री पद से हटाकर उनके राजनैतिक कद को पूरे प्रदेश में बौना साबित कर दिया था। अब जबकि चुनाव सिर पर है तब सारे असंतुष्टों को ठिकाने लगा चुके डॉ.रमन सिंह के खिलाफ बृजमोहन अग्रवाल ने मोर्चा खोल कर उनकी राजनीतिक परेशानियों का पिटारा खोलने की कोशिश की है। इस मामले में समझौता होने पर बृजमोहन को फायदा मिलेगा या नहीं ये तो समय बतायेगा लेकिन व्यापारियों का साथ उन्हें जनता की नाराजगी झेलनी पड़ी तो उन्हें नुकसान हो सकता है।
6 comments:
अभी चुनाव का दंगल शुरु होने वाला है अभी ना जाने कितने नये रंग देखने को मिलेंगे छ्त्तीसगढ मे ।आप के ब्लाग के माध्यम से छ्त्तीसगढ से मुखातीब हो जाते है इन विश्लेष्णात्मक लेखो के द्वारा ज्ञानवर्धन के लिये धन्यवाद !!
आनलाइन की बधाई । अब इस बहाने सरकार और समाज की जो बातें मीडिया में बाहर नहीं आ पाती थी वह भी सामने आएंगी। आप की लेखनी के तो सभी दीवाने हैं, मैं अपेक्षा करता हूं कि "पुलिस परिक्रमा" भी हमें इस ब्लाग पर हर सप्ताह भविष्य में शायद पढ़ने को मिल जाए। मेरी तरफ से शुबकामनाएं... बबलू तिवारी, रायपुर।
Swagat Hai Sir Ji. Ek nazr chahata hun, is par bhi बिग (?) बी के ब्लाग से निकली एक बात
हम चाहते है की आप के कलम की धार बने रहे सुभकामना
very very welcome bhaiya phele hi baar main jor ka jhatka jogi ke baad bm ko niptana hai kya? election bhi najdeek hai maja aayega
अनिल जी,
ब्लाग की जमात में आपको देखकर बड़ी खुशी हुई. मुझे भी लगता है कि पत्रकारों को आजादी से लिखने के लिए यह मंच काम का है. अमीर धरती के गरीब लोगों की आवाज मुखर करें,शुभकामनाएं.
राजेश अग्रवाल
बिलासपुर
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