Sunday, June 8, 2008

क्या अब भी कहोगे नक्सलियों की नहीं , हमारी सरकार है !

छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र बस्तर में नक्सलियों का कहर जारी है। नक्सलियों ने अब बिजली की लाइनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। बस्तर के बहुत बड़े इलाके में बिजली की आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। लोग पीने के पानी को तरस रहें है। अस्पतालों में भर्ती मरीज दूसरे शहर जा रहें है और बिजली की आपूर्ति सुधारने के लिए गई बिजली विभाग की टीम पर नक्सली गोलियां बरसा रहें है। बस्तर मे आज ही नक्सलियों ने तीन जवानों को बारुदी सुरंग से उड़ा दिया। शासन , प्रशासन लगभग असहाय सा नजर आ रहा है और ऐसे में ये कहना कि बस्तर में नक्सलियों की नहीं, हमारी सरकार है, समझ से परे है।

बस्तर में बिजली लाईनों को निशाना बनाना नई बात नहीं है। इससे पहले भी गत वर्ष नक्सलियों ने हाईटेंशन लाईनों के खंभे गिरा दिये थे। उस समय भी बस्तर जिले में हाहाकार मच गया था। हफ्ता भर लग गया था बिजली की सप्लाई वापस शुरू करने में। उस नक्सली वारदात को लोग भूले नहीं थे कि 5 जून को बारसूर क्षेत्र में दो बिजली के टावर नक्सलियों ने गिरा दिये। टावर गिरते ही बस्तर के एक बड़े इलाके में ब्लैक आउट हो गया। तीन दिनों के मेहनत के बाद भी उस इलाके की बिजली आपूर्ति ठीक नहीं हो पाई है और नक्सलियों ने वहाँ से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर सुकमा इलाके में ७ जून की रात बिजली के लगभग 50 और खंभे गिरा दिये। और तो और सुधार काम के लिये गई बिजली विभाग की टीम को भी नक्सली डराधमका कर वापसी का रास्ता दिखा रहें है।

नक्सलियों की इस बड़ी वारदात से दक्षिण बस्तर के एक बड़े हिस्से में हाहाकार मच गया है। शहरों और कस्बों में बिजली ठप्प होने से पेयजल की आपूर्ति बंद हो गई है। लोग पीने के पानी के लिये भटकने लगे है। सबसे बुरा हाल अस्पतालों में भर्ती मरीजों का हो रहा है। उन्हें मजबूरी में अस्पताल छोड़ प्रदेश के अन्य शहरों या आंध्रप्रदेश के शहरों का रूख करना पड़ रहा है।

तीन दिन पहले 5 जून को गिराये खंभे को ठीक करने में जुटी बिजली विभाग की टीम भी नक्सलियों की गोलीबारी झेल चुकी है और अब एक और बड़े इलाके में खंभे सुधारने की जिम्मेदारी उन पर आ पड़ी है। बिजली विभाग के अफसर स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद से दिन-रात मेहनत कर रहे है। खुद मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह राहत और सुधार कार्य पर नजर रखें हुए है और विकास यात्रा करते हुए अफसरों को सारे जरूरी दिशा निर्देश दे रहें है।

इसके बावजूद बस्तर के लोगों को तत्काल राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। वहां लोग बेहद परेशान है। और नक्सली भी अपना दबाव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहें है। बस्तर के दो इलाकों को अंधेरें में डूबा कर नक्सलियों ने दल्लीराजहरा इलाके में बारूदी सुरंग से सीआईएसएफ की एक जीप को उड़ा दिया । इस वारदात में एक ए.एस.आई. समेत तीन लोग मारे गए और दो घायल हो गए है। दल्लीराजहरा इलाके में विस्फोट करके नक्सलियों ने तीसरे इलाके में मोर्चा खोल दिया है।

आदिवासी क्षेत्र बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में नक्सलियों की समानांतर सरकार होने के दावे को छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार शुरू से खारिज करती आ रही है। सरकार के लोग पूरे प्रदेश में अपनी सरकार होने और नक्सलियों का प्रभाव नहीं होने का दावा करते आ रहें है। लेकिन बस्तर में लगातार हो रहे नक्सली धमाकों की गूंज सरकारी दावों का मजाक उडाती नजर आ रही हैं। उन धमाकों ने एक बार फिर बस्तर के बड़े इलाके के जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। बस्तर से विशाखापट्टनम रेल लाईन भी बिजली ठप होने के कारण बंद पड़ी है। यहां से माल ढुलाई बंद होने के कारण करोड़ों रूपयों का नुकसान रोज हो रहा है। अंदरूनी इलाकों में 4 यात्री बस और २ ट्रक जलाकर सड़क मार्ग पर भी नक्सलियों ने अपना आंतक पसरा दिया है। कुल मिला कर देखा जाए तो साफ नजर आता है कि शासन प्रशासन जब तक अपने किले का एक छेद बंद कर पाता है तब तक नक्सली दूसरे इलाके में सेंध मार देते है।

6 comments:

राजीव रंजन प्रसाद said...

अनिल जी,

आपने इस विषय पर पोस्ट लिखा, आभारी हूँ। बस्तर पर सच नहीं लिखा जाता अपितु लिखने वाले माओवादियों के समर्थन में महा-पुराण लिख रहे हैं। इतनी बडी घटना हो गयी और देश अनभिग्य है क्या इससे बडी शर्मिन्दगी हो सकती है कि जिस देश में मीडिया को लोकतंत्र का पाँचवा स्तंभ माना जाता हो वो अंधी है। विजुअल मीडिया नें तो इस घटना का सच दिखाना जरूरी ही नही समझा...

नक्सल आन्दोलन नहीं समस्या है। आप सच कह रहे हैं कि बस्तर में नक्सली समानांतर सरकार बनते जा रहे हैं...

***राजीव रंजन प्रसाद

Anil Pusadkar said...
This comment has been removed by the author.
ab inconvenienti said...

राजीव रंजन जी, भारत सरकार शायद अपनी हार मन चुकी है. सारे नेता अयोग्य और भ्रष्ट हैं, नौकरशाही नालायक और खाऊ. यह बात सन् साठ से कही जा रही है की भारत दुनिया का सबसे बड़ा कार्यशील अराजकता का उदाहरण है. अब भारतमाता आखिरी साँसें गिन रही है तो सभी को यह चिंता है की बचे खुचे संसाधन समाप्त होने पहले जितना जोड़ सकते हैं नोच-खसोट कर जोड़ लें. जितना सरकारी तंत्र दिखता है वह बस इसीलिए है की भ्रष्टों के खाने-पीने में कोई बड़ी बाधा न खड़ी हो, सिर्फ़ अर्थव्यवस्था चलती रहे. अगर हर सच्चाई और हालातों की सही तस्वीर लोगों के सामने आ गई तो सब कुछ रुक जाएगा, शायद आग लग जाए........ इसीलिए पब्लिक को तमाशों में उलझाये रखो, समस्याओं की तरफ़ ध्यान ही नहीं जाएगा

संजय शर्मा said...

अनिल जी , बदमाशी को जब हम समुदाय से जोड़ कर आन्दोलन कहना शुरू कर देते हैं ,तो प्रतिरोध की क्षमता शुन्य हो जाती है . पाकिस्तानी आतंक को आप मुस्लिम आतंक न कहे इस लिए कमसम जोर नही लगाया जा रहा .सो हम उसके खिलाफ लड़ने मे असफल रहे .नक्सल भी समाज के कमजोर वर्ग के आन्दोलन की संज्ञा से विभूषित है . सरकार के पक्ष विपक्ष मे इनके रहनुमा बैठे है , सम्भव है क्या लड़ना ? पंजाब के आतंक का कमर
तोड़ने का काम सरकार कर चुकी है . सरकार का लिंग परिवर्तन जिस रोज होगा उस रोज बहुत कुछ होगा .

Praveen Rohankar said...


First of all congratulation to Mr.Anil Pusadkar for writing blogs for CG.I never expected that the journalism will touch this height in a state like CG which lags in the IT domain. This blog gives me the exact picture of my state and its burning issues. Though i stay away from my state at Hyderabad, but I use to keep myself updated of the news of CG.With this blog i got the inside picture of many issues which really matter for masses and were mostly neglected.
Kudos to this blog.
Gr8 work Mr.Anil Pusadkar

Anwar Qureshi said...

आप के पदचिन्ह मैं अपने ब्लॉग पर जब भी पता हूँ मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है मैं आप का आभारी रहूँगा ..सच कहूँ तो मैंने वाह वही करके वाह वही लुटने के प्रयास से दूर जा चुका हूँ मैं अब सिर्फ़ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ , और अपनी गलतियों को सुधरने की कोशिश भी , मेरा ये ब्लॉग सिर्फ़ आप को समर्पित है मैं जब भी कभी लिखूंगा तो सिर्फ़ ये चहुँगा के आप उसे ज़रूर पढ़े !
आप का अनवर ...