छत्तीसगढ़ में जो न हो वो कम है। आमतौर पर पेशी पर जाने वाला मुल्जिम पुलिस को चकमा देकर भाग जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले में जो हुआ वो अपराधियों में ईमानदारी ज्यादा होने का सबूत है। मुल्जिम वापस लौटकर आ गया मगर सिपाहियों का अब तक पता नहीं।
ये मजेदार ख़बर मुझे दोपहर को मिली। रायगढ़ के पत्रकार विजय सिंह ने मुझे ये ख़बर बताई। पहले तो मैं जी भरकर हंसा फिर मुझे लगा कि ये मौका और भी लोगों को देना चाहिए, सो ब्लॉग पर आप लोगों के लिए ये मजेदार ख़बर दे रहा हूँ।
हुआ यूँ 29 जुलाई को रायगढ़ जेल में बंद देवलाल को आबकारी एक्ट के मामले में धरमजयगढ़ की अदालत में पेश करने के लिए भेजा गया। उसे 2 सिपाही जखरिया टिर्की और सुंदर टिर्की धरमजयगढ़ ले गए। 30 जुलाई की रात को देवलाल अकेला जेल वापस पहुँचा। जब उसने बताया कि वह पेशी से वापस लौट रहा है तो सब हक्के-बक्के रह गए। सबने पूछा कि तुम्हारे साथ गए सिपाही कहाँ है, तो उसके जवाब था कि मुझे पता नहीं।
इसके बाद सिपाहियों की खोज-ख़बर ली गई। और उनका पता नहीं चलने पर आखिकार एसपी रायगढ़ जयंत थोर्राट ने उन्हें निलंबित कर दिया। आप बताइए भला मुल्जिम की ऐसी ईमानदारी कहीं देखने मिलती है ? आज तक अक्सर यही होता आया है कि पेशी के लिए जाने वाला मुल्जिम सिपाहियों को चकमा देकर भाग जाता है। लेकिन यहाँ ठीक उल्टा हुआ है, मुझे भी लगा छत्तीसगढ़ में नेताओं और अफसरों के लिए ईमानदारी का ये एक अच्छा सबक हो सकता है।
5 comments:
आप बताइए भला मुल्जिम की ऐसी ईमानदारी कहीं देखने मिलती है ? आज तक अक्सर यही होता आया है कि पेशी के लिए जाने वाला मुल्जिम सिपाहियों को चकमा देकर भाग जाता है। लेकिन यहाँ ठीक उल्टा हुआ है,
" very strange, as it never happens, but any way thanks to the culprit because he might have saved job of many police people.
Es par to raja Harishchanra bhi garv kar rahe hogne...ha ha ha
यह हुई सही खबर।
पुलीस की खबर ली गयी - वर्ना वह तो बेखौफ-बेखबर होती है! :)
भई कही यह साहिब पुलिस वाले को टिकाने तो नही लगा कर,अपनी इमानदारी दीखा रहे,माफ़ करना अपुन का दिमाग **मेड इन इन इन्डिया **हे शायद तभी ऎसा सोच रहा हे.
धन्यवाद, मुझे तो उस पुलिस वाले की फ़िकर हो रही हे.
रोचक समाचार ।
हा हा हा ....... वाह रे पुलिस,
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