Wednesday, August 6, 2008

क्या भगवान सिर्फ नेताओं का ही भला करता रहेगा ?




भगवान सिर्फ नेताओं का भला कर सकता है। देश और गरीब का ठेका भगवान के पास नहीं है। ऐसा नहीं होता तो एक गरीब उजड़े मकान में बच्चे को जन्म नहीं देती और बिना देखरेख के बच्चा 4 दिन में ही नहीं मर जाता। एक तरफ नेता बेखौफ सरकारी बंगलों पर काबिज हैं तो दूसरी तरफ गरीब अपनी छत भी नहीं बचा पाता है।

सुप्रीम कोर्ट को जब ये कहते सुना कि देश का भगवान भी भला नहीं कर सकते, तो ऐसा लगा कि उसके पीछे एक वाक्य और छिपा हुआ है वो है भगवान सिर्फ और सिर्फ नेताओं का ही भला कर रहा है। दिल्ली समेत सारे देश में सरकारी आवासों पर नेताओं का अवैध कब्ज़ा है। सरकार से लेकर कोर्ट तक अवैध कब्ज़े हटाने की बात कहते आ रहा है। इस मामले में कल सुप्रीम कोर्ट ने जमकर नाराजगी जताई और कहा कि इस देश का भगवान भी भला नहीं कर सकता। कल रात से सारे न्यूज़ चैनल ये ख़बर दिखाते रहे। सुबह अख़बारों ने भी इसी ख़बर को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

एक बहुत छोटी सी ख़बर राजधानी से महज 25 कि.मी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे गाँव तिरैया से भी आई। वहाँ कुछ दिनों पहले अवैध कब्ज़ा कहकर गरीबों की दर्जनों झोपड़ियाँ तोड़ दी गई थी। वहाँ धरना दे रहे लोगों में से 1 महिला ने 4 दिन पहले वहीं एक बच्चे को जन्म दिया था। खुले आसमान के नीचे नवजात बच्चा और जच्चा पड़े हुए थे बिना भगवान के सहारे । कल उस बच्चे ने इस निर्दयी दुनिया को देखने से पहले ही दुनिया को छोड़ देना बेहतर समझा और चला गया, कई सवाल छोड़कर ?

अब आप बताईए क्या बरसात के मौसम में अवैध कब्ज़े हटाए जाते हैं ? क्या बिना व्यवस्थापन किए किसी के भी मकान उजाड़े जाते हैं ? और अगर ये नियम गरीबों के लिए तो देश के नेताओं को उनसे छूट क्यों ? इससे तो साफ लगता है कि देश में भगवान से मदद का टेण्डर नेताओं का ही निकला है। जब ही तो उनके मामले में न बुल्डोजर चलते हैं न ही म्युनिसिपल वाले और न ही सरकार कोई कार्रवाई करती है। हाँ गरीब की झोपड़ियों पर उनके नियमाें का हथौड़ा पूरी ताकत से चलता है।

रायपुर से 20 कि.मी. दूर धरसींवा ब्लॉक के तिरैया गाँव के 36 परिवार के लोगों की तकदीर हिन्दुस्तान के नेताओं जैसी अच्छी नहीं थी। उन्हें न नोटिस मिली, और न ही कोई वैकल्पिक जगह। बस सरकारी अमला पहुँचा और तिनका-तिनका जोड़कर बसाए गए आशियानों को उजाड़ता चला गया। वहाँ अब 36 परिवारों के घर संसार की यादें ही दफन है। पीड़ित लोगों का कहना है कि उन्हें न रूपए पैसे हटाने का मौका दिया गया और न ही वे अपना अनाज हटा पाए, सब वहीं दफन हो गया। अब वे सब बैठे हैं अपने मकानों की कब्र पर धरना दिए कि शायद भगवान उन पर भी रहम की बरसात कर दे।

लेकिन वे तो गरीब हैं, भला उनकी मदद भगवान क्यों करेगा ? फिर जिसे खुद भगवान ने गरीब बनाया हो उसकी मदद इंसान भी नहीं करेगा ? तो फिर उनकी मदद कौन करेगा ? वैसे भी भगवान आजकल छप्पन भोग से ही प्रसन्न होते हैं, वो भी हाइजेनिक और ऑर्गेनिक हो तब। अब ये सब तो गरीब के घर तो मिलना नहीं है। ये मिलता है बड़े-बड़े उद्योगपतियों, नेताओं और अफसरों के यहां होने वाले हवन, पूजन में। सो भगवान भी लगता है वहीं बिजी हैं। अब उनसे फुरसत मिले तो भगवान देखे गरीबों की ओर। और इस देश में भ्रष्ट नेताओं और बड़े लोगों की संख्या इतनी हो गई है कि लगता है आने वाले कई साल भगवान के दरबार में गरीबों का नंबर लग ही नहीं सकता। और तब तक गरीब ऐसे ही उजड़ते रहेंगे, मरते रहेंगे सड़कों पर और भगवान की दया से नेता जमे रहेंगे सरकारी बंगलों में।

9 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही दुखदाई हे यह सब, ओर जिन गरीबो पर गुजरती हे वो ही जाने बेचारे केसे सहते होगे,हमारे ईमान दार मन मोहन के राज मे यह हो रहा हे,तो बेईमान के राज मे क्या होगा, धन्यवाद

समय चक्र said...

bada khedajanak hai kya kahe is vyavastha ko. yah bhi sach hai ki bhagawan sirf ameero ki madad karta hai garibo par raham bhi karata.

Ashok Pandey said...

क्‍या कहा जाये... घोर कलियुग है।

राजीव रंजन प्रसाद said...

आपका शीर्षक ही बहुत कुछ कह रहा है फिर आपने माननीय सुप्रीम कोर्ट की बात भी आलेख में कह ही दी है...दुर्भाग्य भारत!!


***राजीव रंजन प्रसाद

Udan Tashtari said...

अफसोसजनक स्थितियाँ....

NIRBHAY said...

The comments of Hon. Supreme Court is very clear. It clearly indicates to politicians who have occupied the Govt. Quarters illegaly and all the political parties apart from their rivalries refrain from making a law to kick them out from free fund residence. if a govt. employee retires from his service all his post retirenment benefits are withheld till he vacates the Govt. Quarters plus they are charged the rents on market rate basis. whereas the solicitor general put the view that govt is not going to ammend the law under which only civil suit is the only alternative. misuse of public property is CRIMINAL OFFENCE and the govt or any govt. will treat it as civil offence awesome.
Your views definitely hammers their shrewed thinking.
Slums are demolished when they are built, why the Govt. agencies waits till the poor pours his labour to get a roof. our govt. agencies got the british legacy of treating the poors as slave and power is used on them. in our constitution UNDER chapter RAJYA KE NITI NIRDESHAK TATVA head that the poors should be given shelter.
every thing is missing, democracy is used liked autocracy.
if i use your mode of writing then it is clear that if any trouble comes to ruling parties then for JUGAD OF numbers all these fellow should be near to each other.
YOUR THOUGHTS ARE HIGHLY APPRECIABLE.

Nitish Raj said...

अफसोसजनक....कभी कभी ये ही तथ्य कुछ अलग सोचने को मजबूर कर देते हैं।

seema gupta said...

वहाँ धरना दे रहे लोगों में से 1 महिला ने 4 दिन पहले वहीं एक बच्चे को जन्म दिया था। खुले आसमान के नीचे नवजात बच्चा और जच्चा पड़े हुए थे बिना भगवान के सहारे । कल उस बच्चे ने इस निर्दयी दुनिया को देखने से पहले ही दुनिया को छोड़ देना बेहतर समझा और चला गया, कई सवाल छोड़कर ?
"very painful and tragedic, but we all believe that God is always nutral for evry human being, than why these type of incedent takes place............. ?????? its like an unfold mistry......"

बालकिशन said...

वास्तव में काफ़ी अफसोसजनक और दुखद स्थितियाँ....
ये सब देखकर बहुत गुस्सा आता है अपने आप पर भी कि हम सब भी इसी सडांध के कि हिस्से हैं.