छत्ताीसगढ़ 11 सितंबर को क्रिकेट के अंतर्राष्ट्रीय नक्शे पर अपना नाम दर्ज करा लेगा। 60 करोड़ की लागत से बने बेहद खुबसूरत स्टेडियम का उद्धाटन उसी दिन होगा। दरअसल आधे-अधूरे स्टेडियम का आनन-फानन में उद्धाटन आचार संहिता लागू होने के पहले राजनीतिक माइलेज लेने के लिए किया जा रहा है। इतनी मशक्कत तो राज्य सरकार ने छत्ताीसगढ़ को बी.सी.सी.आई. से मान्यता दिलाने में भी नहीं की।
स्टेडियम का ढांचा तो बनकर तैयार ज़रूर है लेकिन आंतरिक साज-सज्जा का काम पूरा बाकी है। इस पर अभी 30 करोड़ रूपए और खर्च होने हैं यानि अब तक की लागत का आधा। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि स्टेडियम का कितना निर्माण काम अभी शेष है। इतना काम बाकी रहते हुए भी सरकार जबरदस्ती इसका जबरदस्त उद्धाटन करने पर तुल गई है।
राज्य बने छत्ताीसगढ़ को 8 साल हो चुके हैं। तब से यहाँ क्रिकेट स्टेडियम बनने की शुरूआत हुई थी। लागत कई गुना बढ़ गई और ले-देकर अब स्टेडियम बनता नज़र आ रहा था। इस बीच चुनाव सर पर आ गया और आचार संहिता लागू होने पर उद्धाटन का मौका हाथ से न निकल जाए इसलिए आनन-फानन में उद्धाटन किया जा रहा है।
अभी तक छत्ताीसगढ़ क्रिकेट संघ को बी.सी.सी.आई. से मान्यता नहीं मिल पाई है। राज्य बनते ही पहले एक संघ बना जिसके अध्यक्ष पूर्व टेस्ट खिलाड़ी राजेश चौहान बनाए गए। उन्होंने कुछ ही दिनों बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी को अध्यक्ष पद सौंपा और स्वयं सचिव हो गए। जोगी की सरकार के जाते ही 2 और संघ अस्तित्व में आ गए। 3-3 संघों वाले इस प्रदेश के खिलाड़ियों को आज भी मध्यप्रदेश का मुंह देखना पड़ता है।
अजीत जोगी के कार्यकाल में ज़रूर ऐसा लगा था कि छत्ताीसगढ़ को मान्यता मिल जाएगी लेकिन उसके बाद तो गुटबाजी बढ़ती चली गई। और अब तो मान्यता मिलने के आसार भी नज़र नहीं आ रहे हैं। हाँ! ये बात ज़रूर है कि भाजपा क्रिकेट स्टेडियम के उद्धाटन का मौका खोना नहीं चाहती थी। सो उसने दिल्ली क्रिकेट संघ और पार्टी के बड़े नेता अरूण जेटली और पूर्व टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान के जरिए आनन-फानन में स्टार खिलाड़ियों को उद्धाटन मैच में आमंत्रित कर समारोह को गौरवपूर्ण बनाकर उसका क्रेडिट लेने का इंतजाम कर लिया।
राजधानी से मात्र 20 कि.मी. दूर न्यू केपिटल एरिया के गाँव परसदा में बन रहा क्रिकेट स्टेडियम वाकई बहुत शानदार है। अब तक इस पर 60 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं और लगभग 30 करोड़ रूपए और खर्च होना है। बैठक क्षमता में भारत में ये सिर्फ ईडन गॉर्डन से छोटा है। 60 हज़ार दर्शकों की बैठक क्षमता ही इसके वृहत् स्वरूप का प्रमाण है। क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि मध्यभारत में इतना बड़ा और शानदार क्रिकेट स्टेडियम और नहीं है। अब देखना ये है कि जिस ताम-झाम के साथ स्टेडियम का उद्धाटन हो रहा है, उसके बाद उसके रख-रखाव में भी ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा जब तक बी.सी.सी.आई. से छत्ताीसगढ़ क्रिकेट संघ को मान्यता नहीं मिलती तब तक स्टेडियम में मैच हो नहीं सकते और न ही छत्ताीसगढ़ की क्रिकेट प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिल सकता है। सरकार ने स्टेडियम के उद्धाटन का राजनीतिक मैच तो जीत लिया है लेकिन अभी उसे शरद पवार की टीम से मैच खेलना बाकी है। खेल में राजनीति तो छत्ताीसगढ़ ने देख ली अब राजनीति का खेल देखना बाकी है।
स्टेडियम का ढांचा तो बनकर तैयार ज़रूर है लेकिन आंतरिक साज-सज्जा का काम पूरा बाकी है। इस पर अभी 30 करोड़ रूपए और खर्च होने हैं यानि अब तक की लागत का आधा। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि स्टेडियम का कितना निर्माण काम अभी शेष है। इतना काम बाकी रहते हुए भी सरकार जबरदस्ती इसका जबरदस्त उद्धाटन करने पर तुल गई है।
राज्य बने छत्ताीसगढ़ को 8 साल हो चुके हैं। तब से यहाँ क्रिकेट स्टेडियम बनने की शुरूआत हुई थी। लागत कई गुना बढ़ गई और ले-देकर अब स्टेडियम बनता नज़र आ रहा था। इस बीच चुनाव सर पर आ गया और आचार संहिता लागू होने पर उद्धाटन का मौका हाथ से न निकल जाए इसलिए आनन-फानन में उद्धाटन किया जा रहा है।
अभी तक छत्ताीसगढ़ क्रिकेट संघ को बी.सी.सी.आई. से मान्यता नहीं मिल पाई है। राज्य बनते ही पहले एक संघ बना जिसके अध्यक्ष पूर्व टेस्ट खिलाड़ी राजेश चौहान बनाए गए। उन्होंने कुछ ही दिनों बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी को अध्यक्ष पद सौंपा और स्वयं सचिव हो गए। जोगी की सरकार के जाते ही 2 और संघ अस्तित्व में आ गए। 3-3 संघों वाले इस प्रदेश के खिलाड़ियों को आज भी मध्यप्रदेश का मुंह देखना पड़ता है।
अजीत जोगी के कार्यकाल में ज़रूर ऐसा लगा था कि छत्ताीसगढ़ को मान्यता मिल जाएगी लेकिन उसके बाद तो गुटबाजी बढ़ती चली गई। और अब तो मान्यता मिलने के आसार भी नज़र नहीं आ रहे हैं। हाँ! ये बात ज़रूर है कि भाजपा क्रिकेट स्टेडियम के उद्धाटन का मौका खोना नहीं चाहती थी। सो उसने दिल्ली क्रिकेट संघ और पार्टी के बड़े नेता अरूण जेटली और पूर्व टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान के जरिए आनन-फानन में स्टार खिलाड़ियों को उद्धाटन मैच में आमंत्रित कर समारोह को गौरवपूर्ण बनाकर उसका क्रेडिट लेने का इंतजाम कर लिया।
राजधानी से मात्र 20 कि.मी. दूर न्यू केपिटल एरिया के गाँव परसदा में बन रहा क्रिकेट स्टेडियम वाकई बहुत शानदार है। अब तक इस पर 60 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं और लगभग 30 करोड़ रूपए और खर्च होना है। बैठक क्षमता में भारत में ये सिर्फ ईडन गॉर्डन से छोटा है। 60 हज़ार दर्शकों की बैठक क्षमता ही इसके वृहत् स्वरूप का प्रमाण है। क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि मध्यभारत में इतना बड़ा और शानदार क्रिकेट स्टेडियम और नहीं है। अब देखना ये है कि जिस ताम-झाम के साथ स्टेडियम का उद्धाटन हो रहा है, उसके बाद उसके रख-रखाव में भी ध्यान दिया जाता है। इसके अलावा जब तक बी.सी.सी.आई. से छत्ताीसगढ़ क्रिकेट संघ को मान्यता नहीं मिलती तब तक स्टेडियम में मैच हो नहीं सकते और न ही छत्ताीसगढ़ की क्रिकेट प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिल सकता है। सरकार ने स्टेडियम के उद्धाटन का राजनीतिक मैच तो जीत लिया है लेकिन अभी उसे शरद पवार की टीम से मैच खेलना बाकी है। खेल में राजनीति तो छत्ताीसगढ़ ने देख ली अब राजनीति का खेल देखना बाकी है।
9 comments:
सही बात है, ये राजनीति नहीं है तो और क्या है.
अब आगे देखो ........ जितनी जल्दी उद्घाटन हो गया....... उतनी ही देरी न लग जाए आंतरिक साज.सज्जा के काम में ...... क्योंकि राजनीति तो हो गयी खेलों पर .....फिर काम करने की क्या जरूरत रह जाएगी।
अनिल जी सबसे पहले तो आप बधाई लीजिये की राष्ट्र के दुसरे
नंबर का स्टेडियम आपके यहाँ बन रहा है ! और राजनीतिज्ञों
से अगर यह बच पाया तो मैच भी होंगे और मेंटेन भी होगा!
वरना इन के चक्करों में जो हाल देश के दुसरे स्टेडियमो का
हुआ वो तो तय ही है ! आपने और हमने डालमिया प्रकरण में
ये तो देख ही लिया है की क्रिकेट में तो राजनीति में भी अन्दर
की राजनीति होती है ! ईश्वर से प्रार्थना ही की जा सकती है की
जिस विराट स्वरुप का स्टेडियम बन रहा है उसका आने वाली
पीढी उसी विराट स्वरुप में उपयोग भी कर पाये ! वैसे इतिहास
को देखते हुए उम्मीद कम ही है ! शुभकामनाएं !
"खेल में राजनीति तो छत्ताीसगढ़ ने देख ली अब राजनीति का खेल देखना बाकी है।"
अफसोस है कि हम हर चीज को कैसे बर्बाद कर रहे हैं!!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- हिन्दी चिट्ठा संसार को अंतर्जाल पर एक बडी शक्ति बनाने के लिये हरेक के सहयोग की जरूरत है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
चुनाव के पहले अभिनेता यही करते है वह भी राजनीतिक रोटी पकाने के लिए. जहाँ जहाँ चुनाव होना है वहां इस तरह के हथकंडे नेताओ के द्वारा अपनाये जा रहे है यह कोई अब नई बात रह नही गई है . अभी तो क्या आगे देखिये साहब रेवडियाँ बंट रही है और चुनाब अचारसहिंता लागू होने के पहले और क्या क्या रेवडियाँ बटेगी ये तो नेता ही बता सकते है.
अजी उद्घाटन कर लो , फ़िर बने या ना बने नाम तो हो ही जायेगा कि हम ने बनवाया था, वाह री राजनीति....
धन्यवाद
चलिये, प्रदेश किसी खेल मेँ तो आगे जा रहा है। चाहे वह राजनीति का खेल हो!
राजनीति का खेल ही तो है!!
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आपके आत्मिक स्नेह और सतत हौसला अफजाई से लिए बहुत आभार.
"rajneete to rajneete hai, hr jgeh apnee chlaygee, magar khushee kee baat ye hai ke Chhattisgarh ka naam ab khelon mey bhee roshan hoga, new stadium ke bdhaee "
Regards
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