देश के सारे टीवी न्यूज़ चैनल संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें दिखा रहे हैं। इसके बावजूद उनके बारे में अब तक कोई ख़बर सामने नहीं आना इस बात का सबूत है, कि देश में गद्दारों की कमी नहीं है। अब इस पर बहुत से लोगों को आपत्तिा भी हो सकती है मगर ऐसा नहीं होता तो क्या बम धमाकों के आरोपी आसानी से कहीं पनाह ले सकते थे।
एक नहीं लगभग सारे न्यूज़ चैनल एक नहीं चार-चार लोगों की तस्वीरें दिखा रहे हैं, वो भी एक नहीं कई-कई बार। इसके बावजूद ऐसा लगता है कि उनको ज़मीन निगल गई या आसमान खा गया। अब न्यूज़ चैनल का सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये बताना कि वे लोग मास्टर माइंड है, धमाकों में उनकी सक्रिय भूमिका है, इस बात का सबूत है कि वे लोग हवाई कल्पना नहीं है। उनकी तस्वीरें जारी कर एक प्रकार से सारे देश में उनके खिलाफ सूचनाएँ माँगने का अभियान छेड़ा गया है।
अगर उनके बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं मिल पाई है तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि देश में देशभक्तों की कमी है। देशभक्तों से अटा पड़ा है देश। लेकिन उन्हें देश में छिपे गद्दारों की फौज ने बेहद सुरक्षित तरीके से छिपाकर रखा है या यूं कहिए! देश भक्तों की नज़रों से बचाए रखा है। वैसे भी कोई भी शख्स बिना पनाह लिए किसी शहर में, किसी गाँव में या किसी मोहल्ले में रह नहीं सकता।
हम लाख पाकिस्तान पर आरोप लगाते रहें कि उसने दाऊद को पनाह दे रखी है। वो आतंकवादियों की पनाहगाह है। वहाँ अपराधी जाकर बसते हैं, आदि-आदि। लेकिन क्या ये बात हमारे देश के लिए लागू नहीं होती ? आखिर यहाँ भी तो लंबे अरसे से धमाके हो रहे हैं। धमाकों के आरोपियों के बारे में सूचनाएँ सार्वजनिक हो रही है लेकिन पकड़ा कोई नहीं रहा है, एक मुंबई ब्लॉस्ट के आरोपियों को छोड़। ऐसे में क्या हम अपने ही देश में आतंकवादियों के सुरक्षित छिपने के अव्े विकसित होने की बात नहीं कह सकते।
इतना तो तय है कि धमाके करने वालों को इसी देश के लोगों की शह मिली हुई है और बिना उनकी सुरक्षित पनाह के वे अपने नापाक इरादों को अंजाम नहीं दे सकते। अगर कोई ये कहता है कि उसे जानकारी नहीं थी कि उसका मेहमान आतंकवादी है तो सिर्फ अफसोस ही किया जा सकता है। सबकुछ जानते-बूझते संरक्षण देना क्या गद्दारी या देशद्रोह से कम है ? कोई लाख कहे कि उन्हें बहका दिया गया है, वे भटक गए हैं, आतंकवाद का धर्म नहीं होता, आतंकवाद के हमले में मरने वाले बेगुनाह होते हैं, धमाके ये नहीं देखते मरने वाला कौन है ? इन सब बातों का कोई खास मतलब नहीं निकलता। ये सब ध्यान भटकाने वाली बातें हैं। मुख्य बात ये है कि धमाके करने वालों को ये पूरी तरह मालूम होता है कि उसका असर क्या होगा। और ऐसे लोगों को पनाह देने वालों को भी मालूम रहता है कि वे देश से गद्दारी कर रहे हैं किसी भी अभियान कहें या जेहाद का हिस्सा नहीं है।
दरअसल हमारे ही देश में सुरक्षित पनाह मिलने की गारंटी ऐसे लोगों के हौसले बढ़ा रही है। अभी भी ये ख़बर सामने आना ही उनमें से कुछ लोग हैदराबाद या मुंबई में छिपे हैं क्या देश में गद्दारों की फौज होने की चुगली नहीं करती ? अगर ऐसा नहीं होता तो आरोपियों को पनाह देने वालों के अड़ोसी-पड़ोसियों में से कोई तो ख़बर करता। इसका मतलब साफ है कि पनाह किसी एक घर में नहीं मिलती बल्कि समान विचारधारा वाले घरों के सुरक्षित किलों में मिलती है। और उन्हें पनाह देने वाला कोई एक शख्स नहीं होता उसके आसपास उसकी विचारधारा के समर्थकों की फौज रहती है यानि देश में छिपे गद्दारों की कोई कमी है।
20 comments:
जयचन्दों और मीरज़ाफरों का गौरवशाली देश है यह! :-)
आपकी बेबाकी लाजवाब है. यह गद्दार तो हमेश से इस देश को घुन की तरह खा रहे हैं. मगर यह निकम्मे लोग यह नहीं समझते की यह अपनी कब्र ख़ुद ही खोदते हैं. सैकडों सालों की चोटों के बावजूद भारत आज भी निर्विकार खड़ा है और आगे भी ऐसे ही आगे बढ़ता रहेगा.
गद्दार होते ही हैं. सभी देश में होते हैं. अपने देश में भी हैं. ऐसे गद्दारों को कानून के मुताबिक सजा मिले, मुद्दा असल में यह है.
जबतक आतंकवाद और नक्सलवाद को हम सामजिक, आर्थिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक, प्रागैतिहासिक, वैज्ञानिक, अवैज्ञानिक, वगैरह वगैरह समस्या मानेंगे, तब तक काबू पाना मुश्किल है.
"और उन्हें पनाह देने वाला कोई एक शख्स नहीं होता उसके आसपास उसकी विचारधारा के समर्थकों की फौज रहती है यानि देश में छिपे गद्दारों की कोई कमी है।"
भाई अनिल जी बहुत कष्ट कारक स्थिति है ! आपका लेखन बेबाक है !
गद्दारो का तो इतिहास रहा है हमारे देश में इसमें नया क्या है। जयचन्द के कुछ वंशज आज भी जिंदा है । जिसका नतीजा भी हम भुगतते रहते हैं।
बड़ा बेबाक चिट्ठा है.
और उन्हें पनाह देने वाला कोई एक शख्स नहीं होता उसके आसपास उसकी विचारधारा के समर्थकों की फौज रहती है यानि देश में छिपे गद्दारों की कोई कमी है।
" very very appreciable, very true, each word of the post is nrrating a true story, but really shame on who so ever is involved in these criminal activities.."
Regards
जिस बेबाकी से आप ने जयचंदों के बारे में लिखा वो काबिलेतारीफ है। सच हैं ये कि देश में ही कई गद्दार हैं।
दाउद को पाकिस्तानी हुकुमत ने पनाह दे रखी है इसलिए ये मामला अलग है। हमारे यहां एक समुदाय मजहब के नाम या पैसे के लिए उन्हें मदद करता है। अच्छी पोस्ट लिखी है आपने। बधाई।
hindoo netaon ne musalmano ki pairvi kar hinduon ko doosre darze kaa naagrik bana diya hai, inka samajik bahishkar karna hi uchit hoga
पांडे जी ने सही कहा है अनिल भाई .....
sahi kaha aapne.
आपने संजीदगी से गद्दार भारतीय मानस पर पैना वार किया है-
हम लाख पाकिस्तान पर आरोप लगाते रहें कि उसने दाऊद को पनाह दे रखी है। वो आतंकवादियों की पनाहगाह है। वहाँ अपराधी जाकर बसते हैं, आदि-आदि। लेकिन क्या ये बात हमारे देश के लिए लागू नहीं होती ? आखिर यहाँ भी तो लंबे अरसे से धमाके हो रहे हैं।
कमाल की साफगोई है आपकी बात में.
साफगोही और बेबाकी को सलाम. मित्र. सच है, जयचन्दों की कमी नहीं.
हर किसी को पता है कौन किसे कहाँ छिपा रहा है पर जिसे प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए वह क्लैव्यता से ग्रसित है !
बिलकुल सच लिखा हे आप ने अपने इस लेख मे
धन्यवाद
निश्चीत ही गद्दार है उस पर दुखद यह कि ये गद्दार प्रभावशाली भी है ।फ़िर अपना भारत मिटने वाला नही क्योकि यहा देशभक्तो की भी कमी नही ॥
मिश्र युनान रोम सब मिट गये ।
फ़िर भी है बाकी नामोंनिशा हमारा ।
कुछ बात है हममे कि हस्ती मिटती नही हमारी ।
सदियो रहा है दुशमन दौरे जहा हमारा ॥
इसी लिये गाना लिखा गया है न! संभल के रहना अपने घर में छिपे हुये गद्दारों से!
bilkul thik kaha aapne.. sahmat hu puri tarah
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