Wednesday, September 24, 2008

कहीं ये देवी देवताओं वाली पुरानी स्‍कीम तो नहीं

आज सुबह एक जिम्‍मेदार पत्रकार साथी का मैसेज मिला। मैसेज रूला देने वाला था। वो एक अबोध बच्‍ची के पिता की अपील थी, जिसे सब लोग फारवर्ड कर रहे थे। उस एस.एम.एस. को पढ़कर बहुत से ख्‍याल आए। उसके असली होने पर भी आदत के अनुसार शक हुआ और एस.एम.एस. के लिए उससे जुड़ी कंपनी के कमीनेपन पर गुस्‍सा भी आया।

उस एस.एम.एस. ने याद दिला दी बचपन में मिलने वाले पोस्‍टकार्डों की, जिन पर देवी देवताओं के महिमा मंडन के साथ उसे 10 लोगों को नहीं भेजने पर भारी अनर्थ की गंभीर चेतावनी भी दर्ज रहती थी। इस बार के एस.एम.एस. में ऐसी कोई चेतावनी नहीं थी। एस.एम.एस. ने लेकिन दक्षिण भारत के एक बड़े शहर की कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी में कार्यरत् एक व्‍यक्ति ने अपनी 3 साल की बच्‍ची के लिए मदद की गुहार लगाई है। उसने अपनी बच्‍ची के दिल में छेद होने की बात कही है और उसके ऑपरेशन के लिए 6 लाख रूपए की ज़रूरत बताई है। उसने जो एस.एम.एस. भेजा है उसे कम से कम 10 लोगों को फॉरवर्ड करने की अपील की है ताकि उसे प्रति एस.एम.एस. 5 पैसे की दर से कम से कम 50 पैसे की मदद मिल सके। उसने ये भी कहा है कि वो नहीं जानता एस.एम.एस. फॉरवर्ड करने वाले लोग कौन है मगर उनसे अपनी बच्‍ची को बचाने की अपील उसने की है।

ये तो हुआ एस.एम.एस. का मामला। भेजने वाला असली है या नकली ये शोध का विषय हो सकता है। अगर वो नकली है तो समझा जा सकता है कि पुरानी पोस्‍टकार्डों की चेतावनी ने हाईटेक ज़माने में एस.एम.एस. का रूप ले लिया है। लेकिन अगर वो वाकई किसी ज़रूरत मंद ने भेजा है तो उस कंपनी का कमीनापन साफ नज़र आता है। 1 एस.एम.एस. पर उस गरीब ज़रूरतमंद को मात्र 5 पैसे देकर कंपनी कम से कम 35 पैसे खुद रखेगी। यानि अगर उसके लिए कंपनी एस.एम.एस. के जरिए 5 लाख रूपए इकट्ठा कर रही है तो कम से कम 35 लाख रूपए खुद रखेगी। सेवा के नाम पर कमीनेपन का इससे ज्‍यादा गंदा उदाहरण और क्‍या हो सकता है।

अच्‍छा तो तब लगता जब उसकी मदद करने वाली कंपनी इस एस.एम.एस. को फॉरवर्ड करने से मिलने वाली पूरी रकम उसे दे देती। तब शायद लोग शंका भी नहीं करते और उसकी सेवा भावना पर उंगलियां भी नहीं उठती। जो भी हो इस तरह के एस.एम.एस. का फॉरवर्ड होते रहना और अनजान आदमियों को मिलना उसकी विश्‍वसनीयता पर सवाल तो खड़े करता ही है साथ ही याद दिला देता है गुजरे ज़माने के पोस्‍टकार्डों की। जिनमें जानने पहचानने वाले जानबूझकर अपने खास परिचित को उसकी सबसे प्रिय वस्‍तु के गुम होने की धमकी देकर 10 पोस्‍टकार्ड का चूना लगाकर खुश हो जाते थे।

22 comments:

admin said...

आपने सही पहचाना, यह वही देवताओं वाली स्कीम है। अब तो ऐसे ईमेल भी आने लगे हैं। पता नहीं लोगों को कब सदबुद्धि आएगी।

manvinder bhimber said...

kabhi kabhi essa haota hai lekin pls negetive n soche

Gyan Dutt Pandey said...

यह तो फ्रॉड है, टेलीकॉम कम्पनियों का!

Shiv said...

आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूँ.

एक बार तो इच्छा होती है कि ऐसे एस एम् एस पर शंका न की जाय, लेकिन क्या करें? कंपनियों का एस एम् एस रुपी जाल ऐसा ही है. चवन्नी के चार शेर दाल देते हैं ये लोग....शेर को बोल देते हैं कि जाओ और दस दिन के अन्दर तक दो-पाँच लाख लेकर आओ.

Unknown said...

जी सही कहा, ये उसी टाइप का मेल है, जो घूमता फ़िर रहा है। किसी बाबा के नाम पर, किसी भगवान के नाम पर, किसी चमत्कार के नाम पर, यदि आपने इसे 10-20 लोगों को फ़ॉर्वर्ड कर दिया तो आपका भला होगा, 40 को बढ़ा दिया तो छप्पर फ़ाड़ धन मिलेगा, 100 को कर दिया तो प्रधानमंत्री बन जायेंगे, वाला। सब्जेक्ट देखते ही कूड़ा बक्से में डाल देना चाहिये… वैसे आपने SMS वाला गणित सही लगाया…

ताऊ रामपुरिया said...

अनिल जी आपने बहुत अच्छी जानकारी लिखी है ! अभी इसी महीने ही मुझे एक मेल मिली , जिसमे एक मासूम सी बच्ची का फोटो था ! और अपील की गई थी यह लड़की दक्षिण भारत के किसी थाने में है ! और ठीक से बोल नही पाती ! उसने माँ-बाप या कुछ नाम वो बोल सकती है वो लीखे थे ! और अपील ये की गई थी की अपने परिचितों को ये मेल फारवर्ड करें ! जिससे उस बच्ची को कोई पहचान ले और उसके माँ-बाप उसे मिल जाए ! मुझसे उस बच्ची की शक्ल देख कर खाना भी नही खाया गया ! और एक पोस्ट बना कर मेरे ब्लॉग पर डाल दी ! तुंरत ही सीमाजी, डा. अनुराग जी एवं और ब्लागरो के मेल आए की आप ओरिजिनल मेल फारवर्ड करिए हम अपने परिचितों को ये फारवर्ड करते हैं !

अब डा. अमर कुमार जी का मेसेज आया की यार ताऊ तू तो बिल्कुल भोला आदमी है ! ये अड्रेस बटोरने की धंधेबाजी है ! कहाँ फंस गया तू भी ! मैं कुछ विचार ही कर रहा था की एक मेल नीरज रोहिल्ला जी का आया
की ये मेल नेट पर पिछले कई सालो से घूम रही है ! और वाकई मुझे बहुत बुरा लगा ! फ़िर वो पोस्ट मैंने हटाई !
ये भावनाओं का शोषण हैं अपने स्वार्थ के लिए ! अब मैं क्या राय दूँ इस बारे में ? और इस टैप के मेसेज में क्या अच्छा ? क्या बुरा ? आदमी कैसे तय करे ?

दीपक said...

बडे बडे टी.वी.शो इत्यादि भी तो एस.एम.एस. के पचडे है !यहा कुछ लोग हर दो दिन मे घर मे आ जाते है और कहने लगते है इंडिया मे मा मर गयी है,टिकट को पैसे नही है कुछ पैसे दे दिजिये और ऐसे ही पैसे कमाकर ऐश कर रहे है ।अब क्या कहे इन दोगलो के कारण किसी दिन कोई जरुरतमंद तरस जायेगा !!

makrand said...

sir great work
we are also running center as an ngo for those mentally ill who is being thrown out by their relatives
regards

सचिन मिश्रा said...

sahi kaha aapne ye purani iskim hi to hai.

डॉ .अनुराग said...

शुक्रिया आपने हमारी आँखे खोल दी........एक बात ओर ये नए रंग ब्लॉग में चकाचक लग रहे है.....ये टेम्पलेट खूब है...कुछ इस पर भी रोशनी डाल दे...

डॉ .अनुराग said...

शुक्रिया आपने हमारी आँखे खोल दी........एक बात ओर ये नए रंग ब्लॉग में चकाचक लग रहे है.....ये टेम्पलेट खूब है...कुछ इस पर भी रोशनी डाल दे...

राज भाटिय़ा said...

ऎसी चिठ्ठी, एस एम एस , मेल ओर एम एस एम बहुत आते हे जो भी मुझे यह भेजता हे सब से पहले मे उसे समझाता हु, फ़िर इस बिमारी को रोकने की कोशिश करता हू,
ताऊ वाला मेल मुझे भी आया था....:) लेकिन मेने उसे आगे नही भेजा, यह सब बकवास होता हे , मे कई सालो से इन्हे नही मानता मेरा तो कुछ नही हुया,
धन्यवाद

Sanjeet Tripathi said...

अरे भैया, क्या बताऊं इंटरनेट पर याहू चैट पर भी इस प्रकार के इतने ऑफ़लाईन्स मैसेज आते हैं कि आजकल तो बिना देखे ही डिलिट करने का मन होने लगता है।
उपर से ऐसे ही ई मेल्स अलग से।

वैसे क्या बात है डॉ अनुराग साहेब आपके टेम्प्लेट की तारीफ कर रहे हैं। बधाई!

Udan Tashtari said...

आप सही कह रहे हैं ...

वीनस केसरी said...

बिल्कुल फर्जी

वीनस केसरी

Nitish Raj said...

ये कमेंट कट क्यों रहे हैं अनिल जी। क्या कुछ शोध कर रहे हैं एचटीएमएल के साथ। वैसे आपने बात पते की पकड़ी है पर हम सोचते ये हैं कि यदि थोड़ी मदद ही मिल जाए उनको तो क्या चला जाएगा। पर सिर्फ इतना कम फीसदी देना तो गलत है।

Smart Indian said...

आपने सही कहा, यह बिल्कुल वही स्कीम है।

seema gupta said...

" ya it happens many times through mail, mms, msg. but it is always not possible to identify whether it is genuine or not, but some time it irritae also " good writeup"

Regards

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

bilkul sahi

जितेन्द़ भगत said...

बचपन में ऐसे पोस्‍टकार्ड मि‍लने के बाद काफी टेंस हो जाता था। आपने इसके आधुनि‍कीकृत रूप से हमें सही परि‍चि‍त कराया।

Anonymous said...

ji ye hightech fraud hai, shuru me aise mail padh kar kuchh sochta tha par ab nai, or sach kahu to aaj ke bad to bilkul nai, dhnyabad

NIRBHAY said...

It is just like, Reliance Infocom. at the start they gave MIG & LIG people handsets at Rs. 500/- and people started using it. the people started using it and were unable to pay its bill, so many people had bill over 25-35 thousand, neither the outgoing nor incoming facilities were withdrawn by the company, and a day came when the rumours were in the market just pay Rs. 2000/- and clear all your debts special day for us Dhirubhai Ambani Ki Yaad me, it was quite like that, people opted this. Now see what that Reliance marketed the reliance infocomm CDMA without infringement of law might have shown the amount in losses, but what about the money they recieved from incoming calls from other mobile operators? immense money. till that Rs. 500/- wala mobile is recieving calls, outgoing may be your burden.
The photograph of millionare Dhirubhai Ambani was that much powerfull that his sons added several millions in such deals.

how can we have faith on such SMS, MMS, this all is to vacate your pocket.