राष्ट्रपति महामहिम प्रतिभा ताई पाटिल 2 दिन के प्रवास पर छत्तीसगढ़ आ रही हैं। यहां वे प्रदेश के सबसे बड़ी महिला महाविद्यालय के स्वर्ण जयंति समारोह में शामिल होंगी। इसके अलावा वे बस्तर की शान भारत का नियाग्रा कहलाने वाले जलप्रपात चित्रकोट को देखने जाएंगी।
बस्तर के जि़ला मुख्यालय जगदलपुर से मात्र 48 कि.मी. की दूरी पर इंद्रावती बेहद खुबसूरत झरने के रूप में चट्टानों से नीचे खिलखिलाती हुई उतरती है। यहां इंद्रावती की जलधारा के चट्टानों से नीचे उतरने का स्वागत करते हैं ढेरों इंद्रधनुष। तेज़ी से ऊंचाई नीचे गिरता पानी धरती से गिरकर मानो खुशी फिर उतनी ही तेज़ी से छोटे छोटे कतरों में बंटकर फिर आसमान की ओर उड़ता है। आसमान छूने की कोशिश करती पानी की करोड़ों नन्हीं नन्हीं बूंदें वहां इंद्रधनुषी छटा बिखेर देती है। झरनों से गिरता पानी मदहोश कर देने वाला प्राकृतिक संगीत छेड़ देता है। कल कल करते झरनों का तराना दीवाना बना देता है। सफेद पानी का दूधिया झाग रात की रोशनी में तो और खुबसूरत नज़र आता है।
ऐसा माना जाता है कि झरने का नाम चित्रकोट चीतल और कोट से मिलकर बना है चीतल यानि हिरण और कोटयानि पहाड़। चित्रकोट भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है। यहां बरसात में 1845 क्युसेक पानी प्रति सेकण्ड की दर से गिरता है। बरसात के मौसम में झरना गुनगुनाता नहीं है, बल्कि गरजने लगता है। इसकी दहाड़ कई कि.मी. दूर से भी सुनाई देती है।
झरने को देखने का मज़ा जुलाई से दिसंबर तक ही आता है। उसके बाद पानी कम हो जाने के कारण इसकी खुबसूरती धीरे धीरे कम होती जाती है। चौड़ी इंद्रावती के पीछे घने जंगलों की खुबसूरती धरती पर ही स्वर्ग का नज़ारा पेश कर देती है।
पर्यटकों के लिए स्वर्ग माना जाने वाला चित्रकोट एक बार फिर चर्चा में आ गया है, इस बार उसे देखने के लिए कोई साधारण हस्ति नहीं बल्कि देश की राष्ट्रपति आ रही हैं। उनके आगमन को देखते हुए सरकारी मिशनरी पूरी मुस्तैदी से उनके स्वागत के लिए जुट गई है। पिछड़ा कहा या माना जाने वाला छत्तीसगढ़ कम से कम उनके आगमन से ही चर्चा में आएगा और उनके चित्रकोट दर्शन से हो सकता है चित्रकोट भारत के पर्यटन नक्शे पर अपनी पहचान छोड़ने में सफल हो पाएगा। यहां लोकनिर्माण विभाग, वन और पर्यटन मण्डल के ठहरने के बहुत से ठिकाने हैं।
बस्तर के जि़ला मुख्यालय जगदलपुर से मात्र 48 कि.मी. की दूरी पर इंद्रावती बेहद खुबसूरत झरने के रूप में चट्टानों से नीचे खिलखिलाती हुई उतरती है। यहां इंद्रावती की जलधारा के चट्टानों से नीचे उतरने का स्वागत करते हैं ढेरों इंद्रधनुष। तेज़ी से ऊंचाई नीचे गिरता पानी धरती से गिरकर मानो खुशी फिर उतनी ही तेज़ी से छोटे छोटे कतरों में बंटकर फिर आसमान की ओर उड़ता है। आसमान छूने की कोशिश करती पानी की करोड़ों नन्हीं नन्हीं बूंदें वहां इंद्रधनुषी छटा बिखेर देती है। झरनों से गिरता पानी मदहोश कर देने वाला प्राकृतिक संगीत छेड़ देता है। कल कल करते झरनों का तराना दीवाना बना देता है। सफेद पानी का दूधिया झाग रात की रोशनी में तो और खुबसूरत नज़र आता है।
ऐसा माना जाता है कि झरने का नाम चित्रकोट चीतल और कोट से मिलकर बना है चीतल यानि हिरण और कोटयानि पहाड़। चित्रकोट भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है। यहां बरसात में 1845 क्युसेक पानी प्रति सेकण्ड की दर से गिरता है। बरसात के मौसम में झरना गुनगुनाता नहीं है, बल्कि गरजने लगता है। इसकी दहाड़ कई कि.मी. दूर से भी सुनाई देती है।
झरने को देखने का मज़ा जुलाई से दिसंबर तक ही आता है। उसके बाद पानी कम हो जाने के कारण इसकी खुबसूरती धीरे धीरे कम होती जाती है। चौड़ी इंद्रावती के पीछे घने जंगलों की खुबसूरती धरती पर ही स्वर्ग का नज़ारा पेश कर देती है।
पर्यटकों के लिए स्वर्ग माना जाने वाला चित्रकोट एक बार फिर चर्चा में आ गया है, इस बार उसे देखने के लिए कोई साधारण हस्ति नहीं बल्कि देश की राष्ट्रपति आ रही हैं। उनके आगमन को देखते हुए सरकारी मिशनरी पूरी मुस्तैदी से उनके स्वागत के लिए जुट गई है। पिछड़ा कहा या माना जाने वाला छत्तीसगढ़ कम से कम उनके आगमन से ही चर्चा में आएगा और उनके चित्रकोट दर्शन से हो सकता है चित्रकोट भारत के पर्यटन नक्शे पर अपनी पहचान छोड़ने में सफल हो पाएगा। यहां लोकनिर्माण विभाग, वन और पर्यटन मण्डल के ठहरने के बहुत से ठिकाने हैं।
17 comments:
अनिल भाई,
बहुत सुंदर वर्णन किया है आपने चित्रकोट का. तसवीरें बहुत सुंदर हैं. नियाग्रा को टीवी पर देखा है. ये झरना सचमुच भारत का नियाग्रा लगता है. जब भी छत्तीसगढ़ आऊंगा, इसे ज़रूर देखूँगा.
सच में अमीर धरती है छत्तीसगढ़ की.
अनिल जी आपने जीतनी खुबसूरत तसवीर दिखाई है उतने ही खूब सूरत आपके शब्द हैं !
वाकई इच्छा होने लगी है की अब तो एक बार छतीसगढ़ चलो और अनिल जी से मिलते
हुए छग दर्शन कर ही लो ! संयोग होगा तो मैं तो निजी तौर पर आपकी बताई जगहों पर
अवश्य जाना चाहूँगा ! आप बहुत सुंदर शब्दों में लेखन करते हैं ! माँ सरस्वती का वरद
हस्त आप पर बना रहे ! बहुत शुभकामनाएं !
बहुत सुन्दर जी। बस्तर का प्राकृतिक सौन्दर्य तो किरंदुल तक जाने वाली रेल लाइन पर इन्जन में यात्रा कर देख लिया था। पर चित्रकोट के बारे में पता नहीं था।
बढ़िया पोस्ट.
अनिल जी मुबारक हो आपकी राष्ट्रपति की मेज़बानी का मौका मिल रहा है। मैंने एमएमएस वाली आपकी पोस्ट पढ़ी। वही एसएमएस टहलता-टहलता मेरे पास भी आ पहुंचा। खिलाड़ी अपनी जगह है, अभिनेता अपनी जगह,पुलिसवाले अपनी जगह, सेना अपनी जगह। लेकिन कभी तो तुलना भी होगी।
धन्यवाद इस जानकारी के लिये, क्या ऊपर पहाडो पर खुब बर्फ़ हे, जो यह इतना पानी बहता हे, या इस पानी का सरोत्र कुछ ओर हे? जरुर जानकारी दे इस बारे भी.
धन्यवाद
jankari ki liye aabhar.
बेहतरीन विवरण. खैर, नियाग्रा तो मेरे घर से ढे़ड घंटे पर है और अक्सर जाना होता है..उसे देख हमेशा कहीं भेड़ाघाट और चित्रकुट याद आता है..शायद बचपन से वो दोनों देखते आये इसलिये.
अच्छा आलेख!!
Wakai
adbhut hai CHITRAKOT
main 2004 ki may me geedam yatra me dekh kar aaya tha
मित्रों
हरियाणवी टोटके किस्से और कविताएं
haryanaexpress.blogspot.com
साइट पर भी उपलब्ध है
समय निकाल कर आईयेगा
सुस्वागतम्
" appke anekon articals mey yhan ke bareyn mey itna pdh chuken hai or itne sunder nazare dekh chuken hain ke lggta hai kee ek baar yhan jrur aana hoga. ye jgeh natural beauty se bhree pdhee hai..., thanks for sharing"
Regards
भारत के नियाग्रा के बारे में जानकारी देने का शुक्रिया। पर आपसे एक शिकायत है आपसे, फोटो तो बडा लगाना चाहिए था। अरे भई, कम से कम फोटो देख कर ही संतुष्ट हो लेते। असल में तो पता नहीं कब देखने को मिले*----
aapne to yaha aane ki ichha badha di hai..
aapke blog padh kar lag raha hai ki jaldi hi aana padega
पिछली बार राष्ट्रपति ्कलाम जी आये थे छ्त्तीसगढ (सुंदरकेरा) तब अशोक बजाज जी लटक लिये थे राष्ट्रपति के साथ अब की बार कौन-कौन लटके बताइयेगा जरुर!!
वाह शायद कभी मुझे भी मौका मिले इस निसर्ग का आनंद उठाने को !
भारत के निआग्रा के बारे में जानकर अच्छा लगा. शायद कभी दर्शन भी हो सकें.
आप सभी का छत्तीसगढ में स्वागत है। जल्द से जल्द आईये दिल खोलकर स्वागत करेंगे आप सब का।
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