Sunday, September 21, 2008

टाटा, एस्सार के बाद अब मित्तल की नजर छत्तीसगढ़ के लोहे पर

छत्तीसगढ़ की लोहे की खदानों की ख्याति विश्वव्यापी है। लोहा सम्राट आर्सेलर मित्तल ने एक बार फिर यहां के खदानों में रूचि दिखाई है। इससे पहले भी वे निप्पन डेनरों के लिये बस्तर के बैलाडीलों की 11 बी खदान लेने का प्रयास कर चुके है। वैसे उनसे पहले टाटा और एस्सार छत्तीसगढ़ की लोहा खदानों का लोहा मान चुके है।

मित्तल ने कुछ सालों पहले बैलाडीला की 11 बी खदान लेने की कोशिश कर छत्तीसगढ़ को उस वक्त भी सुर्खियों में ला दिया था। मित्तल का जमकर विरोध हुआ और कथित बुध्दिजीवियों की जमात ने तब उनके आने के रास्ते में विरोध के कांटे बिखेर दिये थे। अब लेकिन परिस्थितियां बदल गई है। आज खदानों की बंदरबाट शुरू है और ताकतवर लोग अपना-अपना हिस्सा अपने-अपने हिसाब से तय कर रहे है।

दुनिया के सबसे बड़े स्टील निर्माता आर्सेलर मित्तल ने प्रदेश के 10 करोड़ टन लौह अयस्क के खनन के टेंडर में बोली लगाई। अगर मित्तल की बोली मंजूर हो जाती है तो कंपनी छत्तीसगढ़ में स्टील प्लांट लगाने को तैयार है। लोहे की खदानों के मामले में छत्तीसगढ़ के पास करीब 55 फीसदी हिस्सा है। और उसकी खदानों में मिलने वाले अयस्क में लोहे का प्रतिशत भी बहुत ज्यादा है। लोहे की खदानों के मामलों में भारत का दुनिया में पांचवां नंबर है।

मित्तल की छत्तीसगढ़ के लोहे में दूसरी बार रूचि लेने से पहले ही दुनिया के छठवे नंबर के स्टील निर्माता टाटा स्टील के यहां प्लांट लगाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। एस्सार भी स्टील प्लांट लगाने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है। वैसे भी भिलाई स्टील प्लांट जैसा सार्वजनिक उपक्रम कारखाना पहले ही रिकार्ड उत्पादन के लिये हर साल पुरूस्कृत हो रहा है।
भिलाई स्टील प्लांट, टाटा, एस्सार के बाद अब मित्तल के आने की खबर छत्तीसगढ़ के लिये बहुत अच्छी तो है ही साथ ही उसे अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। गरीब लोगों के प्रदेश की धरती वाकई बहुत अमीर है। कायदे से देखा जाये तो उसे रत्नगर्भा वसुंधरा कहना चाहिये।

9 comments:

Elias Thalassis said...

For your Chalkis Greece. It has now well and is very nice, if che
a long time to rain. A comment on my blog. Thanks

राज भाटिय़ा said...

लाभ तो तब हे जब वहां रहने वालो को भी इस का लाभ हो, उस प्रदेश का भाग्या भी बदले ,
धन्यवाद

Asha Joglekar said...

रत्नगर्भा वसुंधरा कहना चाहिये। सही कहा । पर छत्तीस गढ के लोगों के लिये तो अच्छा ही साबित होगा ।

ताऊ रामपुरिया said...

गरीब लोगों के प्रदेश की धरती वाकई बहुत अमीर है। कायदे
से देखा जाये तो उसे रत्नगर्भा वसुंधरा कहना चाहिये।

अनिल भाई ईश्वर करे "रत्नगर्भा वसुंधरा " के बालक भी इन
रत्नों का आनंद उठा पाये और एक दिन सम्रद्ध हो जाए !

परमजीत सिहँ बाली said...

रत्नगर्भा वसुंधरा कहना चाहिये। सही कहा ।

दीपक said...

वक्त आयेगा जब बहार हम भी देखेंगे !
गरीब हिन्द को ताजदार हम भी देखेंगे ।

अगर नया सीमेंट प्लांट आये तो वह भी बताइयेगा कदाचित हम लौट सके !!

Gyan Dutt Pandey said...

खनिज दोहन तो ठीक, कोई माई का लाल उत्पादन की यूनिट लगाने की बात कर रहा है?!

Dr. Chandra Kumar Jain said...

बेशक रत्नगर्भा
और
रत्न जननी है
छत्तीसगढ़ की माटी
अनिल भाई.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन

P.N. Subramanian said...

यह जानकर हर्ष हुआ कि बस्तर विकास के मार्ग पर चल पड़ा है. काश रायपुर से जगदलपुर रेल मार्ग होता. आभार.