Wednesday, October 15, 2008

'हैण्‍ड वॉशिंग डे' को तो देश का सर्वमान्‍य त्‍यौहार होना चाहिए

पहली बार आज पता चल रहा है कि इस देश में 'हैण्‍ड वॉशिंग डे' भी मनाया जाता है। ये लोकल नहीं इंटरनेशनल डे है। पता किया तो मालूम हुआ इस दिन बच्‍चों को हाथ धोना सिखाया जाता है। मैं भौंचक्‍क रह गया, जिस देश में हर कोई मौके-बे मौके हाथ धो रहा हो वहां हाथ धोना सिखाया जा रहा है। इस देश में तो सभी हाथ धोने में एक्‍सपर्ट हैं, कायदे से देखा जाए तो हैण्‍ड वॉशिंग डे इस देश का सर्वमान्‍य त्‍यौहार होना चाहिए।
मेरे कान तब खड़े हो गए जब मुझे पता चला कि बच्‍चों को हाथ धोने के फायदे भी बताए जा रहे हैं। मेरे हिसाब से इस देश में प्रायमरी स्‍कूल के बच्‍चे ही बचे थे, जिन्‍हें हाथ धोने के फायदे नहीं मालूम। हालाकि हाथ धोने की शुरूआत तो स्‍कूल से ही होती है। मौका पाते ही बगल में बैठे बच्‍चे का टिफिन खाकर हाथ धोने से इसकी शुरूआत होती है। थोड़े होशियार बच्‍चे कभी-कभार पेंसिल, कॉपी, बुक, वॉटर बॉटल तक घर ले जाकर हाथ धो लेते हैं। ये सब कुछ आज तक नसमझी और बाल-सुलभ शैतानी के कारण करते आ रहे थे बच्‍चे। लेकिन उन्‍हें हाथ धोने का लाभ बताना तो समझ में नहीं आया।

वैसे नहीं भी बताओ तो भी बच्‍चे हाथ धोने के फायदे तो बड़े होते-होते जान ही जाते हैं। फिर जिस देश में अमरसिंह जैसे बहती गंगा में हाथ धोने में एक्‍सपर्ट रहते हों, वहां किसी को हाथ धोने के फायदे सिखाने की ज़रूरत ही नहीं है। अकेले अमरसिंह नहीं है और भी हैं हाथ धोउ लोग। मायावती, ममता, जय ललिता, अजीत सिंह, रामविलास पासवान, चौटाला, घोटाला, मुंहकाला, खाडाला, बेचडाला, चरडाला जैसे जाने-माने लोग हाथ धोने के रोज नए-नए प्रयोग करते हैं और उससे होने वाले फायदे देशवासियों को भी बताते हैं।

हाथ धोने में इस देश में सिर्फ नेताओं की मोनोपली नहीं है। अपने ख़बर बेचइया लोग भी कम नहीं है। कोई बच्‍चा गड्ढे में गिरा तो सवाल, गांगुली अच्‍छा खेला तो सवाल, खराब खेला तो सवाल, सचिन बुड्ढा हो गया ये सवाल, तो सचिन बुड्ढा नहीं हुआ ये भी है सवाल, मल्लिका के कपड़े छोटे हैं ये सवाल, कपड़े बड़े हैं तो भी बवाल, करीना सैफ की है ये सवाल, तो शाहिद की नहीं है उस पर बवाल, नेता निकम्‍मे हैं ये सवाल, तो असली निकम्‍मा कौन है इस पर बवाल, कपड़े 3 बार बदले तो सवाल और कपड़े नहीं बदले तो बवाल, हर सवाल और हर बवाल पर सिर्फ एक सवाल एस.एम.एस. करवाओ और फर्जी आंकड़े बताकर हाथ धो लो।

सिर्फ ख़बर बेचइया ही नहीं सपने बेचइया भी कम नहीं है हाथ धोने में। कोई सांड बनकर हाथ धो रहा है तो कोई भालू बनकर हाथ धो रहा है। हर्षद से लेकर अनिल तक सभी बहते बाज़ार में हाथ धोना ही सिखा रहे हैं। कोई हाथ धोकर निकल रहा है तो कोई हाथ पोछकर। सभी अपने-अपने हिसाब से हाथ धोने के फायदे बता रहे हैं।

सिर्फ बड़े सपने बेचइया नहीं, सपनों की छोटी-छोटी गुमटियां लगाने वाले भी लोगों को हाथ धोना सिखा रहे हैं। कोई उधारी देने की दुकान खोलकर हाथ धो रहा है तो कोई नौकरी लगाने की फर्जी दुकान खोलकर हाथ धो रहा है। कोई गरीबों का राशन बेचकर हाथ धो रहा है तो कोई गरीब को ही बेचकर हाथ धो ले रहा है।

और अब तो लोग जिन्‍दगी से भी हाथ धो रहे हैं। बाज़ार जाते हैं सपने खरीदने और पता चलता है कोई पटाखा रख कर चला गया है, वो तो चला जाता है और लोग जिन्‍दगी से हाथ धो लेते हैं। पटाखा फोड़ने वाले लोग घर जाकर हाथ धोते हैं। अब उनके हाथ धोने पर भी कई लोग हाथ धो रहे हैं। बजरंगी त्रिशूल लहराने के बाद हाथ धोते हैं, तो अर्जुन सिंह बिना वजह किसी के भी आंसू पोछकर हाथ धो लेते हैं। अब तो मास्‍टर लोग भी हाथ धोने लगे हैं। ऐसे में अगर अमरसिंह जैसे अंतर्राष्‍ट्रीय हाथ धोऊ चूक जाएं तो कैसे काम चलता। सो उन्‍हें तो हाथ धोने से मतलब। चाहे भैय्या की ज़मीन पर सवाल उठे या फिर भाभी के बयान को लेकर हो बवाल। अमरसिंह हर मामले में टांग घुसाकर हाथ धो लेते हैं।

वैसे हाथ धोने में राजठाकरे भी पश्चिम क्षेत्र के जाने-माने एक्‍सपर्ट हैं। हाथ धोना उन्‍होंने छुटपन से ही सीख लिया था। बाल ठाकरे ने उन्‍हें हाथ धोना सिखाया था और एक दिन राज ने बाल ठाकरे ने ही टाटा कर हाथ धो लिए। कभी टेक्‍सी वालों को पीटकर हाथ धोते हैं तो कभी पुलिस वालों को धमकाकर। हां। पटाखे फोड़ने वालों से 2-2 हाथ कर उन्‍होंने आज तक हाथ नहीं धोए हैं। खैर ताज़ा-ताज़ा तो वे हवाई जहाज कंपनी की नौकरी से निकाले गए लोगों के आंसुओं से हाथ धो रहे हैं।

क्‍या-क्‍या बताएं लोग कैसे-कैसे हाथ धो रहे हैं। पुलिसवाले घूस लेते ही हाथ धो लेते हैं इस‍ीलिए आजतक रंगेहाथों नहीं पकड़ाते। पटवारी ज़मीन की हेराफेरी करके किसान के आंसुओं से हाथ धो लेता है। मास्‍टर ट्युशन पढ़ाकर बच्‍चों के पालकों के खून-पसीने की कमाई से हाथ धो लेते हैं। लोग मजदूरों के काम में कमी निकालकर उसके हिस्‍से के रकम से हाथ धो लेते हैं तो मजदूर भी कामचोरी कर सेठ के धंधे का भट्ठा बैठाकर हाथ धो लेता है। सब हाथ धो रहे हैं जिसे मौका मिलता वो हाथ धो लेता है। इसी बहाने पोस्‍ट ठेलकर मैंने भी हाथ धो लिए हैं। आप भी पढ़कर हाथ धो लेना और बताना हाथ धोने के फायदे सिखाने वाले इस इंटरनेशनल 'हैण्‍ड वॉशिंग डे' को क्‍यों न इस देश का सर्वमान्‍य त्‍यौहार घोषित कर दिया जाए।

16 comments:

Shiv said...

धो डाला अनिल भइया, धो डाला...अद्भुत.
बोले तो सफेदी की चमकार ज्यादा और धुलाई का भण्डार ज्यादा.

डॉ .अनुराग said...

इस देश की बच्चो में होने वाली साठ प्रतिशत बीमारी का मूल कारण पानी ही है .ओर भारत में डायरिया से मरने वाले बच्चो का प्रतिशत भी बहुत ज्यादा है.

अजय कुमार झा said...

kamaal hai ,mujhe bhee aaj hee pata chala, apne badhiyaa likhaa hai, majedaar hai aapki shailee.

अविनाश वाचस्पति said...

हाथ तो धुल जाते हैं
सदा ही गाहे बगाहे
चाहे अनचाहे
सिखाने वाले कहां कम हैं
नहाना दिवस कब मनायेंगे
जब सिर्फ मोहल्‍ले भर के
सब एक साथ नहायेंगे।

Unknown said...

निकम्मे और देशद्रोही नेताओं से हाथ-पाँव धोकर देश कब मुक्त होगा?
बेहतरीन व्यंग्य लिखा है…

36solutions said...

दरअसल अमरीका हाथ धो के सब के हाथ धुलाने पीछे पडा है । उसने कह दिया ओजोन परत में छेद हो गया है तो हो गया है, उसने कहा फलां आतंकी है तो आतंकी । ऐसे ही बडबोलेअमर सिंह जी भी सोंच बैठे हैं कि वे जो कह देंगें सब हाथ धो के मान जायेंगें ।

ताऊ रामपुरिया said...

आपने हमेशा की तरह सटीक लिखा है ! धन्यवाद !

Satish Saxena said...

दिलचस्प अंदाज़ है आपका !

सचिन मिश्रा said...

isi bahane hath to dhul jayegein. jankari ke liye aabhar.

pallavi trivedi said...

आपने तो हाथ धोने के सभी तरीकों पर प्रकाश डाल दिया....पानी से हाथ धोना तो बहुत पीछे रह गया! बढ़िया लेख...

राज भाटिय़ा said...

पानी से तो सारा विश्व हाथ धोता है हमारे यहाम तो लोग किडनी से भी हाथ धो वेठते है, अनिल जी चलिये आप ने आज कुछ नयी जानकारी दी, हाथ धोऊ. धन्यवाद

Abhishek Ojha said...

ये कब आके निकल गया... यहाँ तो सभी बहत गंगा में हाथ धो लेते हैं, अब हाथ धुलाई का ही दिन था तो हम भी थोड़ा हाथ साफ़ कर लेते !

समीर यादव said...

इस इंटरनेशनल 'हैण्‍ड वॉशिंग डे' को क्‍यों न इस देश का सर्वमान्‍य त्‍यौहार घोषित कर दिया जाए।

नहीं अनिल भाई, कुछ मान्य कर ली गई परम्पराओं यथा भ्रष्टाचार, कामचोरी और बेईमानी के लिए 'दिवस" घोषित कर हम तो कृपण हो जायेंगे..ये तो-- 24 गुणा 7 गुणा 365 --चलने वाला उत्सव है...!! गंगा मैली सही पर हाथ धोते सभी रहेंगे.

Pratik Maheshwari said...

शायद आज तक का मेरे लिए सबसे अच्छा लेख...
हाथ धोने के फायदे बताकर आपने अच्छे-अच्छों को बस धो ही दिया..
अब उन्हें सूखनें में वक्त लगेगा..पर आप अपना नया लेख लाने में
ज़्यादा वक्त ना लगाइयेगा..इंतज़ार रहेगा..

दीपक said...

वैसे अगर हम नही जागे तो इस देश से हाथ धोना पड जायेगा !!

seema gupta said...

इस देश में 'हैण्‍ड वॉशिंग डे' भी मनाया जाता है।
"very strange hume bhee nahee pttaa tha,...peeny ko saaf panee nahee.... lo kr lo baat.."

regards