बाबा रामदेव देश के राजनीतिक दशा से व्यथित है। उनका मानना है कि देश की राजनीति में अच्छे लोग हैं जरूर लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। बूरे लोगों की बड़ी संख्या के बीच अच्छे छिप जाते हैं। रामदेव मानते हैं कि भ्रष्टाचार की जड़ राजनीति है और वे भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना चाहते हैं। इसलिए वे भारत स्वाभिमान आंदोलन छेड़ने जा रहे हैं। उनके आंदोलन से जुड़ने वाले लोग राजनीतिक चेतना फैलाने का काम करेंगे यानि बाबा अब योग कम राजनीति ज्यादा सिखाएंगे।
ऐसा लगता है एटीएस के साधु-संतों को निशाना बनाए जाने से नाराज होकर बाबा रामदेव ने खुद साधू-संतों की ओर से कमान संभाल ली है। वे उड़ीसा में आयोजित योग शिविर में भाग लेने के लिए जाते समय राजधानी रायपुर में कुछ देर के लिए रूके। यहां उन्होंने जी़-24 घंटे छत्तीसगढ़ के सुरेश गोयल के निवास पर संपादकों से चर्चा की। उन्होंने देश के बेहतरीन इतिहास की याद पत्रकारों को दिलाई और कहा हमें वही गौरव फिर से वापस पाना है इसके लिए देश के हर सिस्टम से जुड़े व्यक्ति की मानसिकता का स्वच्छ होना जरूरी है।
आतंकवाद से जुड़े सवालों का बाबा रामदेव ने मंजे हुए राजनेता की तरह जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। आतंकवादियों को फांसी दिए जाने की वकालत तो की बाबा रामदेव ने लेकिन ये भी कहा कि जब तक न्यायपालिका किसी को अपराधी साबित न कर दे, तब तक उसके साथ अपराधियों सा सलूक नहीं होना चाहिए। संभवत: ये इशारा साध्वी प्रज्ञा और साधू दयानंद के लिए था।
बाबा रामदेव ने साफ-साफ कहा कि देश के नेत़ृत्व कर्ताओं में जो आवश्यक गुण होने चाहिए वो वर्तमान नेताओं में नज़र नहीं आते। उनका कहना है कि राजनीति की वजह से देश में भ्रष्टाचार फैल रहा है। उन्होंने माना भ्रष्टाचार लगभग स्वीकार्य हो चुका है जिसे वे जड़ से समाप्त करना चाहते हैं। बाबा रामदेव इस बात को भी मानते हैं कि भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ विरोध के स्वर अभी भी नहीं उठ रहे हैं और ये चरित्र के पतन की निशानी है।
उन्होंने राजनीतिक सुधार के लिए भारत स्वाभिमान आंदोलन चलाने की बात कही। इसके तहत देश के हर प्रांत में लोगों को इस आंदोलन से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा अगले 5 साल धर्म के साथ राष्ट्रधर्म को समर्पित रहेंगे। उन्होंने माना उनके इस आंदोलन से उनके समक्ष परेशानियां खड़ी होंगी, मगर उनका ध्येय स्पष्ट है इसलिए बाधाएं स्वयं उन्हें रास्ता देंगी। उनका मानना है यदि हम समाधान नहीं बन पाए तो खुद समस्या बन जाते हैं। बाबा रामदेव ने देश में मतदान को प्रत्येक नागरिक के लिए अनिवार्य करने की मांग की।बाबा रामदेव का इस तरह राजनीतिक जागरण की मशाल जला लेना अचानक उठाया हुआ कदम नहीं लगता। कहीं न कहीं कुछ न कुछ, कोई न कोई बात ज़रूर है।
18 comments:
Baba Ramdeo 8th Dec 2008 ke baad, z24 ghante chattisgarh me dikh jaye yehi sabse badi baat hogi.
समय थोडा ज़्यादा लगा मगर पूत के पाँव तो पालने में ही दिख रहे थे!
यकीनन जब तक कोर्ट दोषी न ठहराए तब तक दोषी मानना ग़लत है
चाहे वो किसी भी धर्म का हो
रामदेव जी की इस बात से हम सहमत हैं.
हाँ रामदेव जी काफ़ी समय से ऐसी मंशा जाहिर कर रहे हैं कि उन्हें राजनीति में आना है
बाबा का यह कदम सराहनीय है जिस तरह बाबा ने योग के प्रति जागरूकता जगाई है इसी तरह इस मिशन में भी बाबा सफल हो यही कामना है
बाबा रामदेव के विचार आपके द्वारा सुने ! वो भी इस राष्ट्र के नागरिक हैं और उनको भी हक़ है अपनी मातृ भूमि के लिए कुछ करने का ! हर इंसान गृहस्त या साधू बाद में पहले इस राष्ट्र का नागरिक है ! ईश्वर उनको कामयाबी दे यही प्रार्थना है !
Dekiye kya sikhte hain.
गोलमाल है भई सब गोलमाल है .
बात चाहे जो भी हो यदि कोई भी जनचेतना फैलाता है परन्तु सद्भाव के साथ तो उसका स्वागत होना चाहिए । जब हम अपने स्वर्णिम इतिहास को याद करें तो उसके कुछ काले अध्यायों को भी यादकर उनसे बचने का यत्न करना चाहिए । जाति जैसी बातों से परहेज करना भी सिखाना होगा ।
घुघूती बासूती
काश कॊई तो जागे, ओर सोये हुये लोगो को कोई तो जागाये, अगर राम देव बाबा जी यह चमत्कार कर दिखाये तो, कितने लोग उन्हे दुआ देगे, काश ऎसा ही हो.
धन्यवाद इस जानकारी के लिये
राजनेताओं द्वारा फैलाई गयी लोकतांत्रिक झूठन तो सभी देख ही रहे हैं। चाहे बाबा रामदेव करे या कोई और, "राष्ट्रधर्म" ही सबका धर्म होना चाहिये। तभी राष्ट्रनिर्माण हो सकेगा।
आपका अनुमान सही है
बाबा के पानीपत शिविर के तेवर भी यही बयान कर रहे थे
जब चोर-उचक्के-डकैत सांसद पद के प्रत्याशी हो सकते हैं तो बाबा रामदेव जैसा महापुरुष क्यों नहीं. मैं तो ह्रदय से चाहता हूं कि बाबा रामदेव देश के मुखिया बनें, उसी दिन देश का दुर्भाग्य दूर होगा.
@कहीं न कहीं कुछ न कुछ, कोई न कोई बात ज़रूर है।
यह कहकर आपने अपने लेख को राजनीतिक रंग दे दिया. अरे भइया कभी तो किसी बात में अच्छाई भी देख लिया करो. अच्छाई कहीं से भी आए, किसी के माध्यम से भी आए अच्छी ही होती है.
कहीं न कहीं ,कुछ न कुछ कोई न कोई बात जरूर है /समझ सब रहे है कहता कोई नहीं ""/जैसी हालत तेरी है उससे कम मेरी नहीं ,फर्क इतना है की तू कहता है मैं कहता नहीं " ये चूंकि शेर के शब्द है वरना मैं आपको"" ""तू "" कह सकता था भला / पहले धर्म के अनुसार राजनीति चलती थी अब धर्म राजनीती के अनुसार चल रहा है /बहुत दिनों बाद आपको पढ़रहा हूँ
आज राजनीती के लिए योग सिखायेंगे कल फ़िर किसी राजनीतिक दल का पाठ पढायेंगे इन बाबाओ का भी भरोसा नही रहा है कब दलबदलू हो जाए हा हा हा
pusadker ji hum bhi kalamkar hai aur aaj bhi kalam se likhte hai. jansatta me prabhash joshi ke bad mai hi bacha ho jo kalam se likhta ho per aap ki suchi me mera nam nahi hai.
Clearly, Baba Ramdev has political ambitions. Though there is nothing wrong with that, one thing is sure that mud will come on him also.
The respect and fame he enjoys will go down if he decides to stay in politics.
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