Tuesday, December 23, 2008
दम है तो दिखाओ साध्वी के नार्को टेस्ट वाले नाटक की तरह कसाब से पूछ्ताछ वाला नाटक
पेश है एक माईक्रो पोस्ट्।क्या हुआ टीवी वाले भाई लोग? कसाब का माडल नही मिल रहा है क्या?कसाब का लैटर तक ओपन हो गया मगर आप लोग अभी तक़ खामोश हो?क्या प्रोब्लम है?साध्वी के मामले मे तो एक से एक एक्स्क्लूसिव निकाल कर लाते थे आप लोग। अब क्या हो गया है?हिंदू आतंकवाद को इस्टेब्लिश करने मे तो कोई कसर नही छोड रहे थे आप लोग। अब इस्लामिक आतंकवाद क्यो नही बता पा रहे हो आप लोग?अब तो अंतुले की भी संतुष्टी हो गई है।बहुत दिन हो गये आप लोगो का टीवी पर कोई सनसनीखेज़ नाटक नही देखा।दम है तो दिखाओ साध्वी के नार्को टेस्ट वाले नाटक की तरह कसाब से पूछ्ताछ वाला नाटक?
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17 comments:
ये दब्बू लोग सिर्फ हिन्दुओ की बखिया उधेड्ते है.किसी मे है दम अनिल जी के सवाल का जवाब देने का?
भाई जान आतंक कोई भी फैलाए उसके साथ एक सा व्यहवार होना चाहिए कभी हिंदु आतंकवादी और मुस्ल्मान आतंकवादी अलग नही होता आतंकवादी तो आतंकवादी होता है। यहां भी अगर हम धर्म को आगे लाकर बात करेंगे तो अच्छा नहीं होगा बात माने ये रखती है कि आतंक चाहे कोई भी फैलाए उसे बराबर सज़ा मिलनी चाहिए।
कसब नाम हमारे गड़बड़ाए मस्तिष्क की उपज है। कसब नामक व्यक्ति हमारी सामूहिक कल्पना है। ऐसा कोई व्यक्ति कभी पैदा ही नहीं हुआ था, पाकिस्तान तो क्या संसार में ! फिर खबरी चैनल उसे कैसे दिखाएँगे ? आप एकता जी से कहिए। कल्पनाओं का क्षेत्र तो उनका है।
घुघूती बासूती
पत्रकार हैं ना, बहुत दूर की कौड़ी ले कर आए हैं। जब सब कुछ बिना बताए मिल रहा है तो किसी टेस्ट की जरूरत है क्या?
लोगों को चाय पिलाने के लिए रगड़ा जाता है क्यों कि वे नहीं पिलाते। मुझे एक बार भी नहीं रगड़ा गया। पिलाने को हमेशा तैयार जो रहते हैं।
कुत्ता सिर्फ़ अपने मालिक के लिये ओर उस के इशारो पर ही भोकता है, अनिल जी, यह सब बिके हुये कुत्ते है, इन के गले मै किसी ना किसी का पटा पडा है.
धन्यवाद
जी बिल्कुल दुरुस्त बात !
बहुत दिन हो गये आप लोगो का टीवी पर कोई सनसनीखेज़ नाटक नही देखा।दम है तो दिखाओ साध्वी के नार्को टेस्ट वाले नाटक की तरह कसाब से पूछ्ताछ वाला नाटक?
" ये क्या दिखायंगे, पब्लिक है सब जानती है..."
Regards
क्या बात करते हो दादा, धंधे पर चोट पड़वाओगे क्या? एकाध विस्फ़ोट स्टूडियो में भी हो जायेगा तब क्या करेंगे… और फ़िर सारे चैनल तो सेकुलर हैं ऐसी खबरें कैसे दिखायेंगे?
दम हईये नहीं .
sun rahe hain ki kasab ko live dikhayenge.
संविधान की धर्मनिरपेक्षता से बंधे हैं! क्या करें! :-)
सही कहा आपने।
कुत्ता सिर्फ़ अपने मालिक के लिये ओर उस के इशारो पर ही भोकता है |
सही कहा भाटिया जी ने मिडिया के सारे बिके हुए कुते अब नही भोंकेगे |
यथार्थ परक प्रश्न है जिसका ज़बाब आवश्यक है
कौन कसाब? क्या वो, जो ताज में गोश्त देने जाता था--- उस बेचारे को तो फंसाया गया, सिर्फ इसलिए कि वो बकरी की बजाय आदमी का गोश्त काट रहा था...
अनिल जी, अब एनबीए की तरफ से कुछ नियम कानून सामने आया है इस कारण से अब ये नाटक शायद आप ना देख पाएं। पर हाल ही में एक चैनल ने उसका नाट्य रूपांतरण जरूर करके दिखाया है। जहां तक सवाल रहा कि नार्को का तो सबसे पहले तेलगी का नर्को, सलेम का, दिखाया गया था। खुशी हुई कि हिंदू आतंकवाद भी है रही बात कि इस्लामिक आतंकवाद की तो शायद आतंकवाद शुरू ही वहां से होता है, तो सबूत कि तो बात मुझे तो नहीं लगता कि हमें करनी चाहिए, ये तो जग जाहिर है।
यहाँ से बैठकर भारतीय चैनल्स की तो उतनी ख़बर नहीं है मगर इतना ज़रूर दिख रहा है कि एक महीने पहले तक हर रोज़ ज़हर उगलने वाले कई ब्लॉग ज़रूर ठंडे पड़े हुए हैं!
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