नक्सलियो ने बस्तर मे फ़िर पुलिस पार्टी पर हमला कर दो जवानो की जान ले ली।उन्होने दो निर्दोष ग्रामीणो को भी मार डाला। एक महिला कांस्टेबल लापता हैं। नक्सली दो बंदूक भी लूट ले गये। नक्सली हमले का मुंह्तोड जवाब देने की बजाय आपकी पुलिस के जवान जान बचाने के लिये जंगल मे भाग गये। और नये ग्रह मंत्री ननकी राम कंवर दावा कर रहे है प्रदेश से नक्सलियो का सफ़ाया कर देंगे। और दावा भी एक फ़र्ज़ी मुठभेड़ के आधार पर जिसकी जांच के आदेश खुद उन्ही की सरकार के मुखिया रमन सिंह ने दिये है।मुक़ाबला करने की बजाय आपकी पुलिस जान बचाने के लिये भागना ज़रुरी समझने लगी है, ऐसे मे कैसे सफ़ाया करोगे नक्सलियों का मंत्रीजी?
बस्तर के पखांजूर इलाके मे वन मंत्री के दौरे के पहले दो मोटर सायकिलो पर रोड़ ओपनिंग के लिये निकली पुलिस पार्टी पर घात लगाकर बैठे नक्सलियो ने हमला कर दिया।एक जवान की वंही गोली लगने से मौत हो गई और बाकी पुलिस वाले अचानक हुये हमले का ज़वाब देना छोड़ जंगल मे भागे।उनमे से एक को जंगल मे नक्सलियो ने पकड़ लिया और उसकी हत्या कर दी।एक महिला कांस्टेबल लापता हो गई।बाकी जवान जंगल मे जान बचाकर वापस लौट आने सफ़ल हो गये।उनके भागने के पीछे कारण बताया जा रहा है कि नक्सली संख्या मे ज्यादा थे। अब सवाल ये उठता है कि भागने वालो को कैसे पता चला कि नक्सली ज्यादा है?और अगर ज्यादा भी थे तो उन्हे पुलिस की नौकरी लोगो की जान की रक्षा के लिये दी गई है या भाग कर अपनी जान बचाने के लिये?क्या नौकरी की शर्तो मे ऐसा कही लिखा है कि जब नक्सली संख्या मे कम हो तो लड़ो और ज्यादा हो तो भागो?क्या नक्सली पुलिस से उनकी संख्या पूछ कर हमला करने आयेंगे?
ऐसे और भी दर्ज़नो सवाल है मगर सबसे अहम सवाल है पुलिस के गिरते मनोबल का।जंगल मे जान जोखिम मे ड़ाल कर सालो वही सड़ रहे पुलिस वाले शहरो मे ठाट से गुज़र-बसर कर रहे पुलिस वालो के किस्से सुन-सुन कर टूट रहे है।अफ़सर और नेता लाख दावा करे पुलिस का मनोबल गिरा तो है,वरना लड़ने से पहले ही भागने की नौबत तो नही आती।
खैर इस पर पुलिस के शहर मे बैठे पुलिस के बड़े-बड़े साहबो और नेताओ का नज़रिया अलग हो सकता है।मगर दूसरी बार प्रदेश मे आदिवासियो के भरोसे ही चुन कर आई रमन सरकार के नक्सलियो को खतम करने के दावे का क्या होगा? एक कथित मुठभेड़ मे 17 लोगो को मर कर उनके नक्सली होने के दावे की हवा अब निकलती जा रही है।उस मुठभेड़ से उत्साहित होकर मंत्री ननकी राम ने तो यहां तक़ कह डाला की प्रदेश से नक्सलियो के खात्मे की शुरुआत है।अब उसी मुठभेड़ की जांच के आदेश खुद मुख्यमण्त्री ने दिये है। ऐसे मे प्रदेश से नक्सलियो के खात्मे के दावे ढपोरशंखी ही लग रहे हैं।
9 comments:
aam aadmi marta hi aaya hai, kabhi naxli, kabhi aatanki to kabhi pulis ke haathon.
गोली चाहे पुलिस की चल रही हो या नक्सलीयो की मारे निरीह आदिवासी ही जा रहे है ।
पुलिस बडे-बडे दावे करती है और खुद मुख्यमंत्री घटना की जांच के आदेश देते है कितनी बडा विरोधाभास है ।
पूरा सिस्टम ही खराब है..
pusadkar ji,
aalekh me sarkar ki acchi khichai ki gai hai parantu pradesh hit me police ki housala afjai bhi jaruri hai.
lekh me gaharai ke liye badhai ke patra hai.
जो पुलिस वाले जान बचा कर भाग आये उन्हे देखते ही गोली मार देनी चाहिये थी
धन्यवाद
bahut sahi jaankaari de aapne...
jabtak hamaari police dhang se kaam nahi karti hai tab tak kuch nahi ho sakta hai..
नक्सलवाद और पाकिस्तानी आतंकवाद एक समान।
मनोबल कैसे बढ़े ऐसे समय में पुलिस का।
meri samajh se to naksaliyon ko nahin,balki unhe paidaa karne waalon ke safaaye kee jarurat hai....!!
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