सिर्फ़ मुम्बई ही नही छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर मे भी एक चौपाटी है। है नही बल्कि थी कहिये।यातायात को चौपट कर देने वाली इस चौपाटी को हटाने की कोशिश कई सालो से यहां के नेता करते आ रहे है।उन्हे आज तक़ कामयाबी नही मिल पाई थी मगर चंद दिनो पहले नगर निगम मे पद्स्थ हुए अमित कटारिया ने आज चौपाटी का नामो-निशां मिटा दिया। ना कोई नेतागिरी हुई ना कोई झगड़ा-झंझट।बस निगम का बुलडोज़र चलता रहा और शाम होते-होते चौपाटी है नही थी हो गई।
ये चौपाटी जिस वजह से बनाई गई थी वो अलग था मगर आजकल ये राजधानी का यातायात चौपट करने का काम ज़रूर कर रही थी।चौपाटी के दुकानदारो के अवैध कब्जे तक फ़ैले थे और वहां से निकलना बेहद मुश्किल काम हो गया था खासकर स्कूल लगने और छूटने के समय तो वहां जाम लगना आम बात हो गई थी।किसी समय शहर के चाट ठेले वालो को सड़क पर ईधर-उधर ठेला लगाकर यातायात मे बाधा बनने से रोकने के लिये एक जगह बसाने की योजना के तहत चौपाटी बनाई गई थी मगर वहां की दुकानो को बड़े-बड़े लोगो ने खरीद लिया और वहां चाट की बजाय मट्न-मुर्गा और बिरयानी बिकने लगी।6 बाई ईएच की गुमटियां फ़ैल कर करकश बाई 24 का आकार ले चुकी थी और उसके बाद शुरू होने वाली सड़क पर ग्राहको की गाड़िया खड़ी होती थी।
चौपाटी को हटाने की बहुत बार कोशिश हुई मगर राजनैतिक और आर्थिक दबाव के चलते हर बार अभियान शुरू होते ही दम तोड़ देता था।इस बार मगर जैसे चमत्कार ही हो गया।सुबह 10 बज़े नगर पालिक निगम के नए कमिश्नर आई ए एस अमित कटारिया वहां लाव-लश्कर के साथ पहुंचे और सीधी कार्रवाई शुरू कर दी।वहां से गुजरते लोगो को लगा कि नगर निगम का सालो पुराना ड्रामा फ़िर दिखाया जा रहा है।खबर आग की तरह फ़ैली और तमाशाईयो के साथ-साथ कुछ टटपूंजिये नेता भी।कमिश्नर ने मगर किसी एक की नही सुनी और दोपहर होते-होते तमाम दबाव की हवा वे ढीली कर चुके थे।शाम तक़ चौपाटी इतिहास बन चुकी थी।लोगो को सहसा विश्वास नही हो रहा था।
दरअसल ये संभव हुआ शहर मे कुछ कर दिखाने का ज़ज़्बा लिये नगम का कमिश्नर बने अमित कटारिया के कारण्। 95 बैच के आई ए एस अमित घर से बेहद संपन्न है और संभवतः इसिलिये वे किसी की भी परवाह नही करते।वेतन के नाम पर मात्र एक रुपया लेने वाले अफ़सर के लिये आर्थिक के साथ-साथ राजनैतिक दबाव भी कोई खास मायने नही रखता। नौकरी की परवाह नही करने वाले इस अफ़सर का कारनामा देखने लोग उत्सुकता से वहां जमा होने लगे।
और हां इस बार ज़रूर लोगो को लगने लगा है कि अवैध कब्ज़ो से अटे पड़े इस शहर की शकल-सूरत अब थोड़ा बदलेगी। राज्य बनने के बाद ज़िला मुख्यालय से अचानक़ राज्य की राजधानी बने इस शहर को आठ सालो से ऐसे ही किसी तेज़-तर्रार अफ़सर की ज़रूरत थी।अवैध कब्ज़ो के कारण सारे शहर की यातायात व्यवस्था ठप हो चुकी है।जिस सड़क से गुज़रो रास्ता जाम मिलता है।अब लग रहा है कि शहर का उद्धार होकर रहेगा।
20 comments:
वाकई अमित साहब से लोगों की उम्मीदें बहुत जुड़/बढ़ गई है।
रायपुर को ऐसे अफसर की जरुरत हमेशा ही रहेगी क्योंकि ऐसे अफसर के हटने के बाद फिर राजनीति के चलते अवैध कब्जों की बाढ़ आ जाती है।
वैसे दे्खना यह है कि अमित साहब सदर बाजार और रामसागर पारा या सिविल लाईन्स इलाके में कब अपना अभियान चलाते है और कितना चलाते हैं।
शुभकामनाएं उन्हें।
सब से पहले तो कमिश्नर अमित कटारिया को मेरा सलाम काश ! ऎसे ही नोजवान पुरे भारत मै पेदा हो जाये, तभी यह देश बच सकता है,
आज बहुत खुशी हुयी आप का यह लेख पढ कर.
धन्यवाद
अमित साहब और उनके जज्बे को नमन.
अभी तक ट्रांसफर आर्डर मिला नहीं क्या?
जज्बे को सलाम और आपको भी इस मसले को हम तक पहुचाने का शुक्रिया !
एक बात तो अनिल जी ये कि देश भर में ऐसे ही जीवट के अघिकारियों की जरूरत है धन्य है अमित जी और उनकी कर्तव्यपरायणता दूसरी बात ये कि भगवान से प्रार्थना है उनका और उन जैसे अन्य अधिकारियों का जीवट बरक़रार रहे अगर कहीं समय के साथ-साथ ये भी व्यवहारिक हो गये तो फिर वही ढाक के तीन पात....
हमारे देश में कटारिया जैसे अधिकारियों की बहुत आवश्यकता है. साथ ही जनता को यह विश्वास दिलाना ज़रूरी है कि ग़लत काम की सज़ा और सही का पारितोषिक मिलना ज़रूरी है.
अब आगे और देखते हैं.
रामराम.
धन्यवाद भईया, अमित कटारिया जी के संबंध में सुनाओ बहुत था आज आपके ब्लाग में उन्हें देख भी लिया ।
ऐसे चंद अफसरों के बूते ही टिका है हिन्दुस्तान ।
जिस काम को अमित कटारिया कर सकते हैं दूसरे अफसर क्यों नहीं कर सकते। सही बात तो यह है कि यदि राज्य सरकार में राजनैतिक इच्छा शक्ति हो और अधिकारियों को वह बहुत स्पष्ट निर्देश दे कि वे सब निर्भय हो कर जनहित के काम कर सकते हैं। और साथ ही यह भी कि वे ये सब सावधानी से करें जिस से कोई गलत काम न कर जाएँ। बहुत से अफसर इस तरह के मिल जाएँगे जो केवल रायपुर की नहीं अपितु पूरे राज्य की तस्वीर बदल सकते हैं।
Not only in one district or place.. such officers are required in this whole country... Three Cheers to Mr. Kataria
बशर्ते कि आगे चल कर कुछ और न निकले, क्योंकि एक बड़े ही तेज-तर्रार अफसर जो मेरी निगाह में रहे, आते ही आते बड़ी सख्ती दिखाई, सैकड़ों मामलों में सख्ती बरती, जाने के बाद पता चला कि साहब ने सिर्फ आठ-दस केसों में कसर निकाल ली थी.
कटारियाजी को अकूत अभिनन्दन अर्पित कीजिएगा मेरी ओर से।
उनसे कुछ निवेदन -
- वे न केवल ऐसे ही बने रहें अपितु और बेहतर बनें-नियमों का पालन कराने के मामले में।
- उनके क्लोन बनवा कर सारे देश में पहुंचा दें।
- अब तक नहीं हुआ इसका मतलब यह नहीं कि नहीं होगा। उनका स्थानान्तर तो होगा ही। उस दशा में उन्हें रतलाम भिजवा दीजिए। कृपा होगी।
और यह सब हम तक पहुंचाने के लिए आपको कोटिश: आभार।
500 कटारिया चाहिये और कैंसर इतना बड़ा है कि सिर्फ़ "कटार" से काम नहीं चलेगा, "तलवार" भी चाहिये… :) :) हिम्मत को नमन… @ बैरागी जी, उज्जैन वाले भी लाईन में हैं… हमारा भी ध्यान रखियेगा…
इस देश में अब भी उम्मीद की किरण बाकी है ।
अमित का जोश कायम रहे, शुभकामनायें।
पढ़कर मन खुश हो गया जी। नौकरशाही में इतनी ताकत अंतनिहित है कि अगर कोई अड़ जाये तो दुनिया का कोई काम मुश्किल नहीं है। बात अड़ने की है। अमित कटारिया के बारे में जानकर बेहद खुशी हुई।
अमित साहब और उनके जज्बे को नमन.
जो तबादलों से नहीं डरते वही यह कर सकते हैं
अनिल जी, यह 1995 बैच से नहीं हो सकते चैक कीजिएगा.
Kataria sir is doing good things for Chhattisgarh
Sir is not one of them who doing buttering of Netas
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