छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर मे जो कल रात हुआ वो प्रदेश के लिये अच्छा संकेत नही है।फ़िल्मी स्टाईल मे मुख्यमंत्री निवास के पास से युवक का अपहरण हो गया।जिस जगह से अपहरण हुआ वंहा से चंद कदमो की दूरी पर सीएम हाऊस है।सहकारिता और पूर्व होम मिनिस्टर का घर एकदम पास है।पोलिस कंट्रोल रूम चंद कदमो की दूरी पर है,और थोडी ही दूर एक और मंत्री का घर भी है।वी वी आई पी इलाके से रात के मात्र साढे आठ बजे एक युवक का फ़िरौती के अपहरण हो जाना पोलिस के लिये न केवल शर्मनाक है बल्कि उसके लिये डूब मरने जैसी बात भी है।
कभी शांति और भाईचारे का टापू कहलाने वाले छत्तीसगढ को किसी की बुरी नज़र लग गई है। ऐसा नही होता तो अपहरण जैसे अपराध की दस्तक़ यहां नही होती। इससे पहले भी कुछ साल हुये जब ट्रांस्पोर्ट व्यापारी का सरे आम अपहरण कर फ़िरौती वसूल की गई थी।सालो बाद एक बार फ़िर उसी अपराध की यंहा दस्तक़ इस बात का सबूत है कि अपराधियो को ये मालूम था कि वे सुरक्षित निकल जायेंगे,या यूं कह लिजिये कि उन्हे पोलिस नाम की चिडिया का ज़रा भी खौफ़ नही था।
दूसरे शब्दो मे कहा जाय तो पोलिस के निकम्मेपन की वज़ह से यंहा अपराधी कभी भी कुछ् भी करने का रिस्क उठा रहे हैं।यंहा की टुकडो मे, गुटो मे बंटी पोलिस की ईमेज इतनी खराब है कि पास-पडोस के राज्यो से अपराधी यंहा आ रहे हैं अपना बिज़नेस फ़ैलाने के लिये।
जो भी हो चाहे ये मामला फ़िरौती देकर सुलझे या पोलिस अपनी योग्यता को दांव पर लगा कर मामले को सुलझा ले,मगर इस बात से कोई ईंकार नही कर सकता कि छतीसगढ मे अपराधियो के हौसले बुलंद है और पोलिस का आत्म विशवास चूर-चूर है।जाने माने कारोबारी वासवानी परिवार के सुनिल का अपहरण उसके लिये चुनौती है।
17 comments:
रात को 11 बजे दफ्तर से लौटकर रोज़ की तरह ईटीवी मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ लगाया (दिल्ली में अपने घर-बार की खबरों के लिये इससे अच्छा कुछ नहीं)तो रायपुर से अपहरण की खबर सुनकर चौक गया। रायपुर की शांति और समृद्धि शायद बाहरी अपराधियों को ललचा रही है। कुछ साल पहले तक उड़ीसा की राजधानी भुनवेशवर भी इसी तरह से शांत थी लेकिन वहां के विकास और अमन ने बृजेश सिंह जैसे माफिया को 10-12 साल छुपाये रखा। मेरा रायपुर भी उसी तरफ जा रहा है क्या?
42 साल पहले अवधियापारा में पैदा होने के बाद से दो-चार बार ही रायपुर गया हूं वो भी हवाई अड्डे से पहले से तय ठिकाना और वहां से हवाई अड्डा। लेकिन दिल्ली में पत्रकारिता से रिटायर होने के बाद बुढ़ापा छत्तीसगढ़ में ही बिताने की सोच रहा था। अपने फैसले पर अभी से पुर्नविचार करने लगूं क्या। अजय, नई दिल्ली
इसे कहते है दीपक तले अंधेरा....
एकदम शर्म की बात है....
हैरत अंगेज ,दुखद !
गर्त में तो पहले ही हैं - अब और कहां डूबें! :)
गुटो मे बंटी पोलिस?
गुटों में बंट जाने के बाद वह पुलिस कहां रह जाती है? वैसे भी उन का ध्यान राजनेताओं की सुरक्षा का है जहाँ से देखने पर जनता का हर शख्स अपराधी दिखाई देता है। जब वहाँ नहीं होते तो निगाह रहती है उस पर जिस से माल झटका जा सके।
ab ye bhi hone laga wahaan
किस देश में रहते हैं आप, जिस देश में अधिकारी और नेता सिर्फ अपने असेटस बनाने में लगे रहते हैं वहां सब कुछ संभव है.
जब तक नेता और तंत्र की मिलीभगत नहीं होती ऐसी घटनाएं नहीं हो सकती। आखिर इन गिरोहों को नेताओं और पुलिस का सहयोग मिलता रहता है। वर्ना ऐसी घटनाएं कैसे सम्भव है!!
वाकई शर्मनाक है..
achha hua ki police station se hi apharan nahi hua.. warna to doob kar marne layak bhi nahi rehte..
अत्यन्त दुखद बात है.
रामराम.
क्या बिहारी पुलिस अधिकारियो के माध्यम से बिहारी अपराधियो ने डेरा जमा लिया है?
agar aap poori suvidhayein apardh grast rajyon ke saath jodenge to aisa hi hoga. Bihar UP Jharkhand ke saath aapki seema surakhsha kya hai? aap to sadak aur yatayat badhane mein lage hain. Lalu aur anya ne Bihar ko saare hindustan se jod diya. Chhattisgarh jo paisa deta hai suvidha ke liye tarsta hai. Doosre rajyon ke netaaon ko rajya sabha mein bhejne ka chaaragah banane walon ka rajya ki suraksha se kya sambandh ho sakta hai. Ab to aam aur khaas admi ki police alag alag honi chahiye. Aam aadmi ki suraksha par Khaas ki suraksha ke liye kab tak samjhauta?
http://www.binayaksen.net./ look at this site how much support is being created for a tented doctor, media should take a lead in exposing the facts & organisations like PUCL & Naxalites
jo log chhattisgarhi ki rajniti pel rahe hain wo is rajya ke sabse bade dushman hain.kahni kuch aur karni kuch.Jaati aur dharm ka jahar sabse jada Ajit jogi faila rahe hai.
"SHANTI" ke katore me "APAHARAN" ka dana bhi hume "DUSHWAAR" hai. Lekin Police ne Tatkal "APARADHIYON" ko khoj nikala, yeh humare "SHANTIPRIY RAJYA" ka "PAIGAM" hai. Yeh Chhattisgarh ka "PAIGAM" sare "BHARAT" ko hai, humari Police & Janpratinidhiyon ka "BIHARIKARAN" nahi hoga is kee gurantee "SHASAN" ne de dee hai, humen iska "FAKRA" hai.
Rahi baat aparadhiyon kee toh unko clear cut message de diya gaya hai.
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