मौका था होली की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस क्लब के होली मिलन समारोह का।मुख्यमंत्री की अनुपस्थिती मे पर्यटन और संस्क्रति मंत्री ने नेताओ की ओर से मोर्चा सम्हाला और उनका साथ दिया एक मंत्री सहित दो विधायको और विपक्ष के दिग्गज़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दो-दो कार्यकारी अध्यक्षो ने।आये दिन नेताओ की खिचांई करने वाले पत्रकार थोडा कम होलियाये मगर नेताओ ने तो साबित कर दिया कि भरपूर मस्ती और मौज का त्योहार है। उनका परफ़ार्मेंस देख कर लगा कि नेताओ ने मात दे दी पत्रकारों को होलियाना मूड के मुक़ाबले में।
पिछले दो सालो से मेरे अध्यक्षीय कार्यकाल मे होली मिलन समारोह के मुख्य अतिथी मुख्यमंत्री डा रमन सिंह इस बार अपनी माताजी के निधन के कारण आने मे असमर्थ रहे।वे इस समारोह की दो सालो से जान और शान बने हुये थे। शुद्ध होलियाना मूड मे वे आम आदमी की तरह प्रेस क्लब के सदस्यो के साथ होली मिलते रहे हैं।हमेशा उनके साथ समारोह की शान बढाने वाले पर्यटन मंत्रि ब्रजमोहन अग्रवाल ने इस बार महौल बना दिया।
पत्रकारो की ओर से सबसे पहले बोलने मंच पर मुझे अध्य्क्ष होने के नाते मौका मिला।मैने सबसे पहले निशाना बनाया पर्यटन मंत्री को। हर साल राजिम कुंभ करवाने वाले मंत्री को मैने नागा बाबाओ के समान योग्यता रखने और नागाओ से ज्यादा बडा नागा होने के कारण नागाओ का ब्राण्ड एम्बेसेडर घोषित कर दिया।उन्हे विज्ञापन बांट्ने वाले बांटू के रूप मे स्थापित भी किया,और कांग्रेस के डा चरणदास महंत को देर से आने के कारण सत्ता से वंचित रह जाने की गलती याद दिलाई।
उसके बाद मंच पर आये पार्षद से प्रमोट होकर पहली बार विधान सभा पहुंचे विधाय्क कुलदीप जुनेजा ।उन्होने पिछली बार की तरह इस बार भी सरदारो को ही अपने चुट्कुलो के जरिये निशाना बनाया और उपस्थित लोगो को हंस-हंस कर दोहरा होने पर मज़्बूर कर दिया।यही हाल रहा पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा का।उन्होने अपने चिर-परिचित कोंडके स्टाईल मे सबको लोट-पोट कर दिया।
डा चरण दास महंत पहली बार प्रेस क्लब के समारोह मे शामिल हुये थे इसलिय शालीनता से शुरू होकर अचानक अपनी प्रतिभा दिखाई और दर्शको की तालियां लूट ले गये।पर्य्टन मंत्री तो समझिये मैम आफ़ दी मैच रहे।उन्होने हालांकि अपना निशाना पत्रकारो को बनाने की बजाय महंत को बनाया मगर कुल मिलाकर देखे तो बाज़ी नेताओ के हाथ ही लगी।पत्रकारो की ओर से क्लब के महासचिव गोकुल सोनी और मंच संचालन कर रहे एहफ़ाज़ रशीद ने कोई कसर नही छोडी मगर दो साल से आगे चल रहे पत्रकार इस बार पिछड़ गये।
उसके बाद शुरू हुआ गुलाल का दौर्।इस दिन सिर्फ़ गुलाल ही खेला जाता है प्रेस क्लब मे क्योंकि यंहा से उठकर बहुत से लोगो को अख़बारो की नौकरी भी करना पडता हैं। नगाडो की थाप के साथ फ़ाग पर जम कर थिरके सभी।मिरची भजिया,पकौड़े टमाटर और हरी मिर्च के साथ धनिया की सिल बट्टे पर पीसी हुई चट्नी का मज़ा ही कुछ और था।बिना भांग का पेडा और थोड़ी सी भांग मिली और सादी ठंडाई ने होली मिलन समारोह को और मिठा बना दिया था।गुलाल इतना उड़ा कि उस्मे सारे मलाल छिप गये।जमकर मनाई होली सभी ने।दुसरे दिन तो सिर्फ़ रंग और रंग चला क्लब मे।पानी की कोई कमी नही भरपूर गिली होली खेली गई और शराब भी खुल कर पी गई।दो दिनो तक़ सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार मे डूबा रहा प्रेस क्लब। ऐसे प्यारे महौल के लिये अब साल भर इंतज़ार करना होगा।इस अवसर पर प्रेस क्लब मे लगातार 12 वे साल नान्सेंस टाईम्स अख़बार का प्रकाशन और विमोचन किया गया।इस अखबार मे संपादको से लेकर अख़बारो और मंत्रियो से लेकर संत्रियो तक की पोल पट्टी खोल कर रख दी जाती है।
12 comments:
क्या बात है.
धन्यवाद
अनिल भाई, हो सके तो इस अखबार की प्रति भेजिएगा। पर दुख है कि पत्रकार वर्ग पीछे रह गया।
होली पर मंत्रियों ने पत्रकारों को मात देनी ही थी। पत्रकार तो होली जायका बदलने को मनाते हैं। नेता तो साल भर यही काम करते हैं।
नेताओं से टक्कर वह भी पत्रकारों की और इलेक्शन के समय हारना तो पड़ेगा ,भाई अखबार के लिए विज्ञापन जो लेना है
वाह जी वाह.. बहुत खूब
जब तक नेता आम जनता के साथ इस तरह मिलते रहेंगे, तब तक जनतंत्र सही मानों में जीवित रहेगा।
हद हो गई---आपके रहते नेताओं की यह हिम्मत!!!
दिनेश द्विवेदी जी की टिप्पणी बहुत सटीक है!
इस बार तो आने से चूक गये हम, अगली बार नहीं चूकेंगे।
द्विवेदी जी की टिप्पणी के चलते अब आपको, सेकेंड पोज़िशन में आने का मलाल नहीं होना चहिए।
… और ये नॉनसेंस टाईम्स की प्रति कैसे मिलेगी?
मज़ा आ गया!
dinesh ji ki tippani se sahmat hun... vaise ese programme hone chahiye...
हा हा....और आप बड़े फ़ब रहे हैं माइक पर होली के रंग में रंगे हुये
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