Sunday, July 12, 2009
अब तो बर्दाश्त से बाहर हो गया नक्सलियों का उत्पात!एस पी समेत 30 को मार डाला!क्या अब भी खामोश रहेंगे मानवाधिकारवादी?
सुबह राजनांदगांव के मदनवाड़ा इलाके मे नक्सलियों ने पुलिस पार्टी पर हमला किया और घिरे हुये जवानो की मदद के लिये एसपी विनोद चौबे खुद वंहा जाने के निकले मगर वे अपने मातहत जवानो की मदद नही कर पाये और शहीद हो गये।ये पहला नक्सल हमला है जिसमे एस पी रैंक का अफ़सर शहीद हुआ है।इसके पहले एडीशनल एस पी भास्कर दीवान शहीद हुये थे।इस हमले मे नक्सलियो ने उस इलाके मे दह्शत के अपने साम्राज्य को और बढा लिया है।एक नही तीस-तीस पुलिस वाले शहीद हुयें है।क्या इस पिछडे इलाके मे आये दिन आकर नक्सलियो की मदद के आरोप मे जेल मे बंद एक डाक्टर की रिहाई के लिये आंदोलन चलाने वाले मानवाधिकारवादी इस मामले मे मुंह खोलेंगे या उनके लिये शहीद का मतलब सिर्फ़ पुलिस के हाथों मरने वाले नक्सली ही हैं।उनकी खामोशी अब तो बर्दाश्त से बाहर हो रही है साथ ही नक्सलियों का उत्पात भी !एस पी समेत 30 को मार डाला गया !क्या अब भी खामोश रहेंगे मानवाधिकारवादी?एस पी विनोद चौबे पिछले ढाई साल से राजनांदगांव ज़िले के एस पी थे।वे काफ़ी समय तक़ रायपुर मे भी पदस्थ रहे हैं।इससे पहले सरगुजा ईलाके मे भी नक्स्लियों के खिलाफ़ उन्होने बढिया काम किया था।राजनांदगांव मे भी उन्हे आम आदमी का पुलिस वाला समझा जाता था।बेहद सरल स्वभाव के इस अफ़सर को बहुत से लोग पुलिस अफ़सर से ज्यादा विचारक और समाज सुधारक मानते हैं।ईमानदारी के मामले मे उनका नाम पुलिस की लिस्ट मे शीर्ष पर था और सच पूछा जाये तो उनमे वर्तमान पुलिसिया गुण तो नाम मात्र को नही थे।उनकी शहादत की खबर की पुष्टी से इलाके मे शोक की लहर दौड़ गई। शहीद विनोद चौबे समेत सारे शहीद जवानो को आखिरी सलाम्।
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31 comments:
क्यों मज़ाक करते हो भाई (!) मानवाधिकार तो केवल आतंकियों के ही होते हैं...कानून को लागू करने वाले तो केवल vegetable होते हैं।
मानवाधिकारवादी बस चिल्ला सकते है राइफ़ल लेकर नक्सलवादियों से लड़ने जा तो सकते नहीं सिवाय चिल्लपों के अलावा कर भी क्या सकते है ......
पंजाब भी आतंक से ग्रस्त था लेकिन सरकार को महसूस तब हुआ जब प्रधानमंत्री को खा गया वह . शायद सरकार नक्सली को तभी तक का इंतज़ार कर रही है
bahoot ही afsoos janak vaakya है.............. naksal vaad को jad से khatm hona चाहिए.......... manav adhikaar valon को aankhen बंद कर के काम नहीं करना चाहिए..........
इन मानवाधिकारवादियों की *&^$(*%^#$॰*&$*% (मतलब जय हो)
दुखद घटनाक्रम
शहीदों को नमन
शहीद जवानों को नमन.
रामराम.
दुखद घटना है। इतनी बडी त्रासदी हो जाती है और मीडिया को राखी सावंत की चोंचलेबाजी दिखाने से फुरसत नहीं मिल रही। हद है।
बहुत चिंता जनक, शहीद विनोद चौबे समेत सारे शहीद जवानो को आखिरी सलाम्। हमरी तरफ़ से भी
sach bahut bura hua . ab sarkaro ke kadam uthane ka waqt aa gaya hai .
सचमुच बहुत दुखद खबर है. डॉक्टर सेन और उनके मानवाधिकारवादियों की असलियत तो दुनिया को पहले से ही पता है. ये लोग स्वर्गीय विनोद चौबे एवं अन्य शहीदों के बारे में क्यों सोचने लगे भला, उनके उद्देश्य तो बहुत लम्बे हैं. लेकिन इस समस्या का एक दूसरा पहलू यह भी है कि आतंकवादी पुलिस वालों पर मानवाधिकारवादियों की वजह से भारी नहीं पड़ते हैं बल्कि इसलिए पड़ते हैं कि पुलिस के पास न तो पर्याप्त प्रशिक्षण है, न पर्याप्त उपकरण और न ही पर्याप्त तकनीकी सहयोग. अगर समस्या का हल ढूँढना है तो सरकार को इन सभी क्षेत्रों में कुछ संसाधन लगाने पड़ेंगे.
देशसेवारत शहीदों को श्रद्धांजलि!
देशसेवारत शहीदों को श्रद्धांजलि
मेरा पिछ्ला कमेन्ट अधूरा ही रह गया था - पुलिसवाले आतंकवादियों से पिछड़ रहे हैं क्योंकि उनके पास अनैतिक आतंकवादी बलों से लड़ने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण, उचित हथियार और तकनीकी सहायता नहीं मिल रही है. और न ही नगर प्रशासन का सहयोग (यथा, ग्रामीण चिकित्सा, परिवहन मार्ग आदि) है. यदि हत्यारों की ऐसी बढ़त रोकनी है तो सरकार पर इन सभी क्षेत्रों में कुछ संसाधन लगाने के लिए दबाव तो डालना पडेगा.
रही बात डॉक्टर सेन और उनके हिमायतियों की तो भैया, उनके इरादे और नेटवर्क हमारे आपके अंदाजे से कहीं बड़े हैं.
हैं तो मानवाधिकारवादी भी इसी धरती के जीव न !
उन्हें भी ध्यानाकर्षण चाहिए जो इस तरह शायद न मिले !
Dukhad ghatna hai
isko jadh se alag kar dena hi achha hai
vinod ji ko naman aur shrddhanjali
वाकई एक अपूरणीय क्षति हुई है, खेद है....देश पर मर-मिटने वाले हर जवान को मेरा नमन है.....
साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......
उफ़्फ़्फ़्फ़...हृदय-विदारक खबर!
और इस कथित मानवाधिकार की बात न करें अनिल जी, चुभता है शब्द!
अनिल भाई ,
हर जीवन अनमोल है , चाहे वह आम नागरिक का हो याकि शासकीय सेवकों का ! जीवन की क्षति हर हाल में दुखद है !
मेरे विचार से नक्सलवाद को महज कानून व्यवस्था की समस्या मान कर खारिज कर देना उचित नहीं है , हालाँकि इसका निराकरण शासन
(लोकसत्ता होने कारण) के हाथों ही संभव है ,बशर्ते समस्या को सही परिप्रेक्ष्य में देख कर , समस्या के मूल कारणों पर प्रहार किया जाये !
जहाँ तक मानव अधिकार वादियों के मौन या मुखर होने का प्रश्न है उससे कुछ भी अंतर नहीं पड़ने वाला ! डाक्टर सेन ( या दो चार लोग और भी ) जेल , में रहें या बाहर इससे मुठभेडें होना बंद हो जाएँगी क्या ?
अनिल भाई आप गौर करें तो पाएंगे की , स्वर्गीय चौबे और स्वर्गीय दीवान , नक्सलियों की नियोजित रणनीति का शिकार हुए हैं ! दोनों ही मामले में चारा डाल कर फांसने की एक जैसी रणनीति !...शायद यह मामला हथियारों की उन्नत श्रेणी की तुलना की अपेक्षा रणनीतिक तुलना का अधिक है !
पुनः अनमोल जीवन की क्षति के लिए दुःख सहित !
सचमुच बहुत बुरी खबर है .. सभी शहीदों को नमन !
वैसे अब समय आ गया है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से लड़ने के लिये सेना को बुला लिया जाये।
मानवाधिकार की बात....
कौन हैं ये मानवाधिकारवादी ? खूनियों के दलाल
शहीद जवानों को नमन.
अफसोसजनक और दुखद...क्या कहें!!
Very sad news !
Congress is playing with the life of Indians...
Wake up congress, do something for the external as well as internal security....
अच्छा तो आप मरने वाले पुलिस के जवानों को शहिद समझते हैं? और मानव भी!!!? कमाल है. हम मोमबत्ती जलाने वाली कौम तो कुछ और ही सोच रही थी. :( आप भी पूनर्विचार कर लें, बुद्दिजीवि कहलवाना है या नहीं?
अनिल जी इस विषय में आप की चिंता सही है..
छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है..उपेक्षित भी..
यहाँ के लोग जागरूक to हैं मगर केंद्र की सरकार की ऑंखें इस और से firi हुई लगती हैं.
उस क्षेत्र में भी एक 'ममता जी 'की जरुरत है.वह जैसी भी हैं कम से कम अपने क्षेत्र के लिए ladati तो हैं.
--------
-बहुत दुःख हुआ यह खबर सुन कर.समाचारों में भी देखा.
अभी इस राज्य के बारे में ही पढ़ रही थी..प्रकृति ने जहाँ इतनी प्रचुर सम्पदा से इस क्षेत्र को नवाजा है ,इंसानों ने उतनी ही इसकी बेकद्री की है.
--आशा है इन शहीद जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा.
main kal se hi is khabar se pareshan tha.
manvadhikarvadiyon ko kosne se kya hoga, magar kuchch baat ho sakti thi agar abhi koi arundhati roy ya unki company se bayaan lekar unka ravaiyaa jag jahir kar paata. hindi blog ke kshetra me to bahut se patrakaar hain- kya yeh sambhava hai?
doosri baabt thi ki kya aap me se koi Mr Choubey ke baare me aur jaankari prakashit kar sakte hain.
shaheed hue bahadur logon ke parijanon ke saath hamara dil hai, aur shradhdhanjali.
मानवाधिकारवादी इन आतंकवादियों (नक्सलियों) की बी-टीम हैं।
the concept of secularism appeared and has given prominence "by" (here by means all the as*lekers of the same) the so called minorities and "for" the minorities. There is no idea of actual justice for them. They just want fame not the justice ........ but we all have to show sympathy for these uneducated blind people. We are still safe just because of bravery and rare administrators like एसपी विनोद चौबे...... Jai Hind.
I salute the MARTYRS!
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