लेकिन इन दोनो खबरों ने मुझे हिला कर रख दिया।यंहा मरीज को सीटी स्कैन कराने के लिये डाक्टरो का घण्टो इंतज़ार करना पडा और इस कारण वो इलाज के बिना ही दुनिया छोड गया। और दूसरी तरफ़ वो कुत्ता है जिसे अब राजधानी के डाक्टरो के बाद जानवरो के अस्पताल के विशेषज्ञ डाक्टर देख रहे हैं।कई बार गरीबो को अस्पताल की बैंच पर बैठे डाक्टरों का इंतज़ार करते देखा है।उस समय डाक्टर अंदर अपने,हम जैसे दोस्तो से गप्प लड़ाने मे व्यस्त हों।खैर यंहा रोना सरकारी अस्पताल का नही है।मोटी रकम लेकर सीटी स्कैन करने वाले नोट छापने की मशीन चलाने वाले कारखानो का है।उस मरीज के साथ गये लोगो से पहले ही साडे तीन हज़ार की रसीद काट दी गई,ये देखे बिना की डाक्टर है या नही। अफ़सोस की बात तो ये है कि इसी संस्थान मे पिछले सप्ताह ही एक महिला मरीज के कपडे बदलते समय मोबाईल फ़ोन मे कैमरे से रिकार्डिंग की शिकायत सामने आई थी।एक वार्ड ब्याव को गिरफ़्तार कर मामला रफ़ा-दफ़ा कर दिया गया था।
पहले जो हुआ वो शैतानियत का नंगा नाच था और जो कल हुआ वो भी हैवानियत का नंगा नाच ही है।एक मरीज मौत से जूझ रहा था और स्टाफ़ ने घण्टो तक़ डाक्टर को बुलाया तक़ नही।मै ये नही कहता कि वो बच ही जाता लेकिन बिना इलाज के तडप-तडप कर मर जाना वो भी किसी गांव मे नही,बल्कि राजधानी मे,शर्म से डूब मरने वाली बात है।जवान लडका था वो।दूध लेने निकला था।परिवार मे एक अबोध बच्चा भी है जिस पर अनाथ होने का ठप्पा लगाने का ज़िम्मेदार कौन है समझ नही पा रहा हूं।वो तेज रफ़्तार स्कोर्पियो वाला जिसने उसे ठोकर मारी,या वो अस्पताल वाला जिसने इलाज से पहले सीटीस्कैन करवाने भेज दिया,या फ़िर सीटी स्कैन मशीन चलाने वाले मशीन नुमा इंसान जो खुद को डाक्टर भी कहते हैं।मेरे बहुत से दोस्त डाक्टर हैं और उनसे भी इस बात पर मेरी बहस होगी लेकिन क्या इससे वो जवान लडका वापस ज़िंदा हो जायेगा।
उसकी तडप को मै महसूस कर रहा हूं और मुझे ऐसा लग रहा है कि कंही कभी ऐसा मेरे साथ न हो जाये।उस दर्द की कल्पना करके ही मैं कांप रहा हूं। ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है सो मेरे साथ भी। ऐसे मे मुझे रविंद्र भाई की पोस्ट ने हिला कर रख दिया।मुझे ऐसा लगा कि इंसान से तो मुख्यमंत्री का कुत्ता होना अच्छा है।फ़ाईव स्टार स्टैण्डर्ड आफ़ लिविंग।बडे -बडे लोगो पर खुलकर भौंकने की आज़ादी।किसी भी छोटे-मोटे नौकरों को काट लेने की छूट।बीमार होने पर हाई प्रोफ़ाईल डाक्टरों से ईलाज॥एसी मे रहना,एसी कार मे घूमना-फ़िरना।तीन चार नौकर सेवा करने वाले।बडे-बड़े लोगो की जबरिया तारीफ़ और क्या चाहिये जीवन मे। बहुत सोच कर ऐसा लगा कि भगवान ने मेरे साथ अन्याय किया है।इससे अच्छा तो वो मुझे कुत्ता बना देता,तो लाईफ़ का मज़ा आ जाता।
22 comments:
भाऊ , इन्ही बातों को देखकर यह कभी कभी तो हमारे मन में भी प्रगतिशील होने का भाव उमड़ने लगता है |
आखिर क्रांति के लिए कोई तो बहाना चाहिए ना ?
संसार में सभी अत्याचारी व्यवस्थाओं के परिवर्तन के लिए एक समय निश्चित है लेकिन सवाल यह है , क्रांति का यह शंखनाद कितनों के प्राणों की बलि लेने के बाद हो पायेगा ?
:(
बहुत सोच कर ऐसा लगा कि भगवान ने मेरे साथ अन्याय किया है।इससे अच्छा तो वो मुझे कुत्ता बना देता,तो लाईफ़ का मज़ा आ जाता।
Jai ho क्या कटाक्ष है भाई जी.... वाहवा... साधुवाद..
आपका भी ध्यान गया होगा इस तरफ, अचानक ही नार्मल प्रसव होने कम हो गये हैं इन कुकुरमुत्तों की तरह उगे 'नर्सिंग होमों' की बदौलत।
पुरानी फाइल में एण्ट्री है - श्वानों को मिलता दूध दही, बच्चे भूखे चिल्लाते हैं। :(
सबकी क़िस्मत कहां कुत्तों सी होती है...
बहुत ही वेदना हुई है जानकर. सी.एम् का डांगी रेस्ट हाउस में मजे मार कर अपना इलाज करवा रहा है आज ही अखबार में पढ़ा है .महाराज जी श्वान (कूकर) फ्लू बढ़ रहा है कृपया सावधान रहे हा हा हा .
महाराज जी श्वान (कूकर) फ्लू बढ़ रहा है कृपया सावधान रहे हा हा हा .
है तो उद्देलित कर देने वाली बात
क्या कहा जाए ?
बहुत मेहनत की है कुत्तों ने सदियों से, युगों से,
लगता है अब उन्हें फ़ल मिलेगा !
यह गंभीर बात है। भारतीय समाज के दो विपरीत चेहरे दिखाती है।
भैय्या वह विलायती है.दाल्मेशियन.
सही है........आदमी की ज़िन्दगी कुत्ते से बद्द्तर हो गई है:(
है तो वाकई गंभीर घटना . मैंने भी अख़बार में पढ़ा और आश्चर्य ये भी हुआ कि वही नाम वाला वार्ड बॉय ड्यूटी में था जो पिछले केस का जिम्मेदार था .
इसी सन्दर्भ में ये भी कहना चाहूँगा विशेषज्ञ पत्रकारिता विशेषकर चिकित्सा के सन्दर्भ में हमारा देश बहुत पीछे है प्रिंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक तक . फालूते के कल के एक सोशे में १२३४५६७८९ जिसमे ९ में २००० जोड़ना लोग भूल गए . एक पत्र ने छापा कि इस समय में दो बच्चों का जन्म हुआ वो भी ऑपरेशन से . तकनिकी रूप से ये असंभव है कि जन्म बिलकुल सेकंड्स तक सही हो सके !
रही बात व्यवस्था की तो इस देश में भाग्य पर ही इन्सान जिन्दा है . वैसे समीर जी के अनुसार तो बहुत अच्छी व्यवस्था है इस देश में हाँ लेकिन पहुँच वाले लोगों के लिए
तथास्तु भगवान आपकी इच्छा पूरी करे क्योंकि ये तूतू बहुत ही कुत्ती चीज होती है यहाँ तो इम्पोर्टेड गाड़ी में सुन्दर सी हीरोइन माफ़िक लड़की कुत्ते को लेकर ही घूमती है अपने से चिपटाकर घूमती है। भगवान आपकी इच्छा पूरी करे इसी कामना के साथ। :)
Are Bhaiyya, Wah Scorpion Gadi wala bhi Gali khane layak nahi hai, usne toh us jawan ko pas ke hospital tak me pahuchaya hai, bhaga nahi woh, woh scorpion ka driver mera "Parichit" to nahi tha par woh jawan mera "Parichit" tha, Bharosa jahan doctor par jyada tha usi ne daga diya. log sarkari hospital ko galiyan deten hai yehan private ka hal dekho.
"VAIDYA RAJ NAMASTUBHAYAM, YAMRAJ SAHODAR,
YAMASTU HARTI PRANAN, VAIDYAN PRANAN DHANANICH."
sabka ek hee theme hai "Make money" Marij ab Grahak ho gayen hai, koi bhi apne hospital ya dukan se grahak ko jane nahi deta "nichod" kar hee dum leta hai, aur marij/grahak ka dum nikal liya.
क्या कहें..मात्र अफसोस करने के.
भारत में कुछ नहीं होगा. जो कर सकते हैं वे करेंगे नहीं. जो निजाम बदल सकते हैं, उन्हें धर्मनिरपेक्षता की घुट्टी पिला दी गयी है, समाजवाद की अफीम चटा दी गयी है.
ऐसे हालत पर मन से धित्कार ही निकलती है............. शर्म हैं ऐसे नेताओं पर...........
Dear friend, life is only for Netas and Punjipatis. Rest all are just killing the time and energy. Now the time has come, just not to sit and cry on our fate but to use a little of our mind, open our eyes and raise a tonnes weighted Hands to teach them lessons. I have started my move without waiting for the Karvan in my rout. Wud b pround to have, if any one wish to acompany. Shobha Yadav
वो स्लम डॉग मिलेनियर था यह 'सीएम 'डॉग मिलेनियर है ...
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