मैने फ़ोन काटा और चेहरा तब तक़ गडबड़ी की चुगली कर चुका था।सबने पुछा क्या हुआ।मैने कहा सालो तुम लोगों की दारू पार्टी का बिल आया है एक लाख छब्बीस हज़ार्।सब चौंके और सबने ततकाल कहा ये तो साली लूट है।हम लोग शुरू से कहते थे साला डाक्टर डाकू है मगर नही आपके साथ बचपन से पढा है इस्लिये वो डाकू हो नही सकता,बाकी कोई भी हो सकता है। है ना।तीन दिन का सवा लाख ,साले ने न आपरेशन किया है और न कोई लम्बी चौडी टुट-फ़ूट हुई है।चलो तानो साले के खिलाफ़ पंडाल्।धरना देकर सारी दुनिया को बता देंगे साला अपने बचपन के दोस्त को लूट रहा है तो बाकी का क्या हाल करता होगा।
मै भी सन्न था।मै बोला ऐसा नही हो सकता।सब बोले अभी भी हम लोग गलत ।क्या अभी दारू पीये हुयें है हम लोग?चलो मंगवाओ पंडाल्।मैने कहा चुप रहो बे।पंडाल तानना होगा तो कल तानेंगे।कल क्यों?अबे देख नही रहा है बारीश हो रही है।क्या भीग कर बैठेगा रात भर धरने पर्।मज़ा आ जायेगा भैया।रात को कौन देखता है भीगते हुये पीने का आहा हा हा……मैने कहा साले वो लम्बा चौडा बिल लाया है उसके बाद भी दिल नही भरा तुम लोगो का।सब बोले इसमे गलती आपके दोस्त की है।मैने चिढ के कहा चुप करो तुम लोग और सीधे फ़ोन अपने दूसरे डाक्टर मित्र को लगाया और उससे पूछा कि यार वो पंडित बता रहा था एक लाख छब्बीस हज़ार का बिल आया है।
डाक्टर बोला लगा लिया क्या है बे अभी से।मैने कहा नही वो बता रहा था।डाक्टर बोला थोडी देर बाद काल कर मैं बताता हूं क्या पोज़िशन है।अब मै सन्नाटे मे था।पंडित ने जमा करना सीखा ही नही था।अभी हाल ही मे उसका छोटा भाई भी एक बडा एक्सिडेंट कर चुका था और काफ़ी रकम उसमे खर्च हुई थी।मैने कहा कि अब जाना पडेगा फ़िर मुख्यमंत्री के पास।वंहा से भी लिमिटेड रकम ही मिलनी है।क्लब से भी दस हज़ार रूपये दे चुका हूं।बाकी का इंतज़ाम करने के लिये दोस्तो के नाम और उनसे मिल सकने वाली रकम का हिसाब कर ही रहा था की डाक्टर का फ़ोन आ गया।वो बोला अगर बिल कम करा दूं तो ?अबे दिमाग मत खराब कर?मेरे इतना कहते ही वो हसने लगा और उसने बताया कि तेरा पेशेंट है इस्लिये बिल वैसे ही बहुत नामिनल बना है।अठराः या उन्नीस हज़ार रूपये होगा।मैने कहा बस्।उसने कहा बस्।फ़िर वो बोला अब उसाको गाली मत बकना।उसने शायद गलत सुन लिया होगा।
सब कान लगा कर मेरी बात सुन रहे थे।किसी खूबसूरत आईटम से बात करते समय जैसे नये कबुतरों के चेहरे पर मुस्कान खिलती है कुछ कुछ वैसी ही मेरे चेहरे पर चमकने लगीथी। सब समझ गये थे मामला वैसा नही है और अब गाली खाने का टाईम आ गया है।मैने सीधे पूछा कौन बोल रहा था बे आपका दोस्त डाकू है?सब समझ गये थे।सबने कहा हम लोग नही बोल रहे थे दरअसल पब्लिक ओपिनीयन्………… मैने कहा सालो पंडाल तानोगे,धरना दोगे,दुनिया को बताओगे डाकू है,लूटेरा है।सब बोले देखो भैया इस बार गलती आपकी है। आपको कन्फ़र्म करके बताना था और एक बात और आप चाहो तो सब का मुंह सूंघ सकते हो अभी कोई पीया नही है।मैने कहा देख लिया ना दारू पीने का नतीज़ा।देख लिया है और इतना बिल तो दे ही सकते हैं और आप काहे के लिये हो।मैने कहा सालो…………सबने मेरी बात काटी और कहा भाई डिस्चार्ज़ हो रहा है आप निकलिये और हम लोगो को भी भाई के डिस्चार्ज़ होने पर सेलिब्रेट करने दिजिये!
15 comments:
Celebration must continue Anil bhai ! Beer se zyaada kuchh nahin magar !
किसी खूबसूरत आईटम से बात करते समय चेहरे पर खिली मुस्कान मैं देख पा रहा हूँ।
सावधान अगर मुझे नहीं बुलाया। नहीं तो बाकी की बातें …
आपके ये किस्से पढकर चेहरे पर बरबस मुस्कान खिल ऊठती है. बहुत जोरदार.
रामराम.
to ab iski bhi party...
peene walon ko peene ka bahana chahiye :) :)
kuch jyaada hi celebrate kar liya lagta hai .........
Celebration kuch jyaada ho gaya lagta hai ..........
मैं सोच रहा हूं, कब मेरा रायपुर आना होगा… :)
chalo, jo hua achcha hi hua.
और अनिल भाई, सेलिब्रेशन कहाँ और कैसे मनाया ये अगले ब्लॉग में जरुर बताएं...........
भाई जी सातवें पैग के बाद ये पोस्ट समझ में नहीं आ रही वैसे भी मैं हिसाब-किताब में कमजोर हूं....
एक लाख बचे! उसकी पार्टी-शार्टी कर लो जी। रिटायर्ड हर्ट दोस्त के लिये शुभकामनायें।
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! पढ़कर बहुत अच्छा लगा!
मेरे नए ब्लॉग पर आपका स्वागत है -
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
सही है !!
पीने का नशा तो क्या जानू पर बातों का नशा यहॉं भरपूर है। मजा आ गया:)
हम क्या कहें? गांधीजी के अनुयायी हैं हम।
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