केंद्रीय गृहमंत्री चिदंबरम कल यंहा आये थे नक्सल विरोधी अभियान की उन्होने जानकारी ली और रटे-रटाये डायलाग मार कर चले गये।उनके जाते ही नक्सलियों ने उनकी चेतावनी का जवाब दे डाला,बस्तर के तेजतर्रार सांसद बलिराम कश्यप के बेटों पर गोलियां बरसा कर्।एक बेटा तानसेन तो अब इस दुनिया मे नही है और दुसरा दिनेश घायल है।नक्सलियों की ओर से जवाबी कार्रवाही की आशंका तो थी मगर वे सांसद के बेटे को मार डालेंगे ये किसी ने सोचा भी नही था।इन दिनो राज्य सरकार नक्सलियों के खिलाफ़ कार्रवाई तेज कर चुकी है और लगातार बढते दबाव के जवाब मे कार्रवाई होना तय माना जा रहा था।पुलिस के पास गुप्त सूचनायें भी थी कि नेताओं को निशाने पर ले सकते हैं नक्सली।
खैर पुलिस लाश गिनने का काम ही नही करेगी इस बयान का भी लगता है नक्सलियों पर कोई खास असर नही हुआ और पुलिस फ़िर एक बार लाश ही गिनने मे लगी है।बस्तर मे नक्स्लियों के खिलाफ़ बलिराम कश्यप काफ़ी खुलकर बोलते थे।वे सही मायने मे नक्सल विरोधी थे वर्ना बाकी तो सब ड्ब्ल्यू डब्ल्यू एफ़ के पहलवानो की तरह कुश्ती लडते नज़र आते थे उनमे पुलिस के कुछ आला अफ़सर भी शामिल है।एक अफ़सर तो हो सकता है इस वारदात पर कोई किताब या कविता लिख मारे,क्योंकि उनका मानना है क्रांतिकारी परिवर्तन साहित्य से ही हो सकते हैं।
ये पहली बार नही है जब नक्सलियों ने किसी बयान का पलट कर जवाब दिया हो।वे हमेशा से बडबोले नेताओं के जुबान का जवाब बंदूक का मुंह खोल कर देते रहे हैं।अब चिदंबरम साब भी नक्सलियों को छोडा नही जायेगा,उन पर चौतरफ़ा हमले होंगे।ज़रा महाराष्ट्र का चुनाव तो निपट जाने दो देख लेंगे नकसलियों को।पता नही कब चुनाव निपटेंगे?मगर तब तक़ यंहा कई निपट जायेंगे।
17 comments:
समस्या यह है कि हम आज भी पूरे देशवासियो को अपना नहीं समझते . अग्रेज चले गए और हम उनकी जगह अपने लोगो पर शासन करने लगे . कभी अपनी धरती से प्यार नहीं किया तो उसका समुचित विकाश कैसे होगा ? कुछ लोगो को रेवडिया बाटी और खुश हो गए, यही जनतंत्र है. सामाजिक सुधार में हम अगर हम निवेश करे तो शायद देश का भविष्य उज्व्वल हो. हमारे नेता इतनी छोटी सी बात नहीं मानना चाहते , सिर्फ गाँधी जी की तस्वीर छपते है.....
माधवी श्री
दिल्ली
अनिल भाई! नक्सलवाद या वामपंथी उग्रवाद जनता का शत्रु है, वह वामपंथ का भी शत्रु है। वामपंथ के दूसरे शत्रु उस का इस्तेमाल जनता और जनपक्षीय वामपंथ के दमन के लिए भी करते हैं इस कारण से उसे जीवित भी रखते हैं। वे जनता के उस वामपंथी उग्रवाद से भी बड़े शत्रु हैं। वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध सही रणनीति,वामपंथी उग्रवाद को जनता से अलग थलग करना है। यह केवल जनपक्षीय ताकतें ही कर सकती हैं। वर्तमान केन्द्र और राज्यों की सरकारें जनविरोधी हैं। वे इस लड़ाई को दिखाने के लिए ही लड़ती हैं। इस लड़ाई को लड़ने के लिए सही नीति जनपक्षीय ताकतों का हर प्रकार के उग्रवाद के विरुद्ध संगठित कर लड़ाई छेड़ना ही हो सकता है।
बड़ा दुखद है यहाँ आदमी निपट रहे है वहां वे चुनावों के बाद देखेंगे. बड़ा हास्यापद है नेताओं की तासीर .
नक्सलवाद के विरूद्ध बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है वर्ना इस दानव कर क़द बढ़ता ही जाएगा और हज़ारों जीवन ऐसे ही बलिवेदि पर चढ़ते रहेंगे.
यह तो बहुत बुरा हुआ।
अब जो किताब/कविता लिख क्रांति हो, उसके बारे में भी सूचित कीजियेगा।
Aapake kalam ma badi aag hai..
सही कहा आपने ! इनके चुनाव निपटने तक तो कई निपट जायेंगे.
रामराम.
ओह बहुत दुखद समाचार, पता नहीं ये नेता लोग बयानबाजी बंद कर कब उन पर सीधे अमल करवाना शुरु करेंगे। ये सब उनकी कार्य करने की इच्छाशक्ति न होना दर्शाता है। क्यों न एक बार मैं ही इन अंदरुनी आतंकवादियों को खत्म कर दिया जाये हाँ गेहूँ के साथ घुन तो पिसेगा ही, परंतु ये जड़ से खत्म होने के बाद एक सुकुन की जिंदगी तो जी सकते हैं।
?
आश्वासन की रोटी कब तक पकती रहेगी:(
बेगैरत लोग हैं..इन्हें कोई फरक नहीं पड़ता.
बहुत पैनी नज़र रख रहे हैं आप...
जो नेता जनता से सोदा करे ( कि पहले चुनाव निपट जाये ) सब से पहले ऎसे सोदागरो को वोट मत दो, ओर कहो जो पहले निपटायेगा वोट उसे मिलेगा...
मध्यप्रदेश के मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या याद आ गई।
बहुत दुःख की बात है. ईश्वर मृतकों की आत्मा को शान्ति दे. इन दरिंदों का कुछ तो करना ही होगा. बेहतर है कि पुलिस/प्रशासन/नेता राजनैतिक इच्छा शक्ति से काम लेकर कुछ वीरता का परिचय दें और लेखन का काम लेखकों/पत्रकारों पर छोड़ दें.
दरअसल नक्सलवाद के विरूद्ध राष्ट्रीय रणनीति की जरूरत है ....... न की बस खाली चेतावनी की ....... हमारे नेता बस बोलना जानते हैं ........ उनको कोई फर्क नहीं पढता ..... मोटी चमड़ी के हो गए हैं सब .........
अनिल जी ये तो एक नासूर होते जा रहा है,"जब रोम जल रहा था तो नीरो बासूरी बजा रहा था,कई सदीयो से प्रक्रीया ही दोहराई जा रही है,
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