Monday, October 26, 2009
नंगई की हदें पार करते सीरियल और बेशर्मी से उन्हे प्रमोट करते न्यूज़ चैनल
कहना तो बहुत कुछ चाहता हूं इस विषय पर मगर आज सिर्फ़ माईक्रोपोस्ट।जो लोग सीरियलो की फ़ूहड़ता से उकता कर उधर झांकते तक़ नही है उन्हे वो सब न्यूज़ चैनल वाले दिखा रहे हैं।जिसे गंदी गालियां बकने,भद्दे इशारे करने और दुर्व्यवहार के आरोप मे सीरियल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था,उसे आज एक न्यूज़ चैनल ने अपना मेहमान बना लिया।उससे नंगई पर सवाल किये गये जो नंगई के आरोप मे डिस्क्वालाफ़ाई किया जा चुका हैं।न्यूज़ चैनल पर व्यूव देना यानी अब वो इस विषय का एक्स्पर्ट मान लिया गया है।आज उसे बुलाया गया हास्य (अब फ़ूहड़ता को भी हास्य कहना पड़ता है)कलाकार राजू श्रीवास्तव की उसी सीरियल मे दो महिलाओं द्वारा पैंट उतार देने के मामले मे।राजू को नंगा किया गया।यानी सब अपनी औकात पे आ गये।राजू नंगा हुआ,नंगा करने वाले भी कम नही थे मगर अफ़सोस की बात है कि नंगों के सीरियल मे जो नंगई चल उसे बार-बार दिखा के न्यूज़ चैनल वाले प्रमोट कर रहे है।क्या राजू को नंगा करने की खबर नही दिखाई जाती तो देश मे भुचाल आ जाता?सरकार गिर जाती?व्य्वस्था मे बदलाव आ जाता?क्रांति हो जाती?विदेशी आक्रमण हो जाता? नही ना।तो फ़िर ऐसी क्या मज़बूरी थी जो उसे इतनी प्रमुखता से दिखाया गया?नही दिखाते तो शायद बहुत से लोग ऐसी नंग़ई देखने से बच जाते और बार-बार उतरती पैंट को ब्लर करके दिखाना और उसके बाद बेशर्मी की तमाम हदें तोड़ कर खी-खी करके हंसती हुई नंगा करने वालियों को दिखाना कौन सी पत्रकारिता है समझ् से परे है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
35 comments:
सरकार से तो करों में छूट ले ली कि हम खबरें दिखाएँगे...चौबीसों घंटे दिखाएँगे लेकिन जब कुछ है ही नहीं इनके पास दिखाने के लिए तो यही सब दिखाएँगे ...
मैँ तो ये खबरिया चैनल देखने ही छोड़ दिए हैँ
बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर.........
लेकिन क्षमा करें अनिलजी !
आप कहते हैं कि "खी-खी करके हंसती हुई नंगा करने वालियों को दिखाना कौन सी पत्रकारिता है समझ् से परे है।" ये बात मुझे समझ से परे लग रही है...........
अरे दादा ! आप तो सब जानते हैं ..........एक वरिष्ठ पत्रकार होने के नाते भी, सतत सक्रिय लेखक होने के नाते भी और एक जागरूक नागरिक होने के नाते भी,,,,,,,,,,,,
क्यों बचा रहे हैं आप इन उच्च कोटि के नीच लोगों को ? क्यों नहीं सच का पुलन्दा इन के मुंह पर मार देते ? माना कि ये लोग भी पत्रकारिता करते हैं इसलिए आपके मन में इनके लिए थोड़ी सद्भावना हो, होनी भी चाहिए.......लेकिन अगर आपको ये कहना पड़े कि "बात समझ से परे है " तो मामला गड़बड़ है भाईजी !
मैं बहुत कुछ लिखने के मूड में आ चुका हूँ लेकिन क्या करूँ ? आपने पोस्ट ही माइक्रो लगाई है........अब माइक्रो पोस्ट पर मेगा टिप्पणी करूँ तो पाठकों की समझ से परे हो जायेगी...........इसलिए अब तो इस पर पोस्ट ही लिखूंगा ...........और दबा कर लिखूंगा...........
ये टिप्पणी थी आज तक
इन्तेज़ार कीजिये कल तक !
वाकई, बेशर्मी की हद है.
भैया, पत्रकारिता का तो कब का खून कर दिया इन लोगों ने.... अब तो बस लाश को रौंदने और गोदने लगे हैं...
नंगो ओर बेशर्मो का जमाना आ रहा है, इन लोगो ने शर्म को बेच खाया है,
बहुत अच्छा लिखा आप ने, जब कि इन को टी वी पर दिखाना सकत मना होना चाहिये लेकिन यह उतना ज्यादा दिखाते है, लानत है दिखाने वालियो पर भी
राजू के साथ साथ ये चैनल भी तो नंगे हो गये. समाचार चैनल भी तो ----
बहुत बढ़िया लिखा है।
मगर सीरियल बनाने वाले तो सारा दोषारोपण
दर्शकों को ही देंगे ना!
अपनी रुचि को जनता पर थोपने की तो इनकी आदत बन गई है।
अनिल जी, छिछोरियों ने राजू का चड्डा खींच दिया और बात आई गई हो गयी.
ज़रा सोचें, यदि किसी पुरुष प्रतिभागी ने किसी महिला के साथ ऐसा कर दिया होता तो क्या होता!
अनिलजी - बात मुद्दे की है कि आखिरकार ये इलेक्ट्रोनिक मीडिया की समाज में कितनी नैतिक जिम्मेदारी है ?
और हम तो वाकई में बच जाते हैं इन सब चीजों से । घर पर टीवी है परंतु हम देखते नहीं हैं और चीजों में वक्त निकल जाता है तो इस मुए से टाईमपास की जरुरत ही नहीं पड़ती है।
हम तो अपना खुद का रियलिटी शो देखते हैं किसी और का नहीं, औरों की रियल रील लाईफ़ क्यों देखें क्या हमारी लाईफ़ रियल नहीं है।
कल हमें हमारी धर्मपत्नी ने बताया था कि ऐसा कुछ हुआ और किसी न्यूज चैनल पर पूरे एक घंटे तक खबर दिखाई है, हमारी आह निकली कि "ओह अपन तो बच गये"।
ये राजु का कच्छा खींचा भी किसने?अदिति ने,
खबरिया चैनलों के लिए हाट न्युज हो गयी, क्योंकि मामला गरम था,आज दिन भर और गरम करेंगे,
खबरों का टोटा, जय हो अनील भैया-सुबह की राम-राम,
खबरिया चैनल में खबर तलाशनी पड़ती है। सारे चैनल छान मारने के बाद भी न्यूज के लिए इंतजार करना पड़ता है।
jab dikhane ke liye kuch aur hai hi nahi to yehi sab to dikhayenge.
TRP badhane ke liye TV channels kuch bhi kar sakte hain.
दूसरों की उतारने में तो बहुत मज़ा आता है खी खी भी दिखाई जाती है।
खुद की उतरे तो आँसू टपकाओ, वह भी दिखाए जाएँगे।
जनता को व्यस्त रखो, यह एक सूत्री कार्यक्रम है शासकों का।
जनता भी वह देखती है जो वह अपने साथ होता नहीं देखना चाहती।
बी एस पाबला
विपरीत काले, विनाश बुद्धि...
जय हिंद...
न सिरीयल देखते है न समाचार, अतः आपके माध्यम से पता चला.
पता नहीं ये अपने घर में क्या करते होंगे
अनिल बाबू, यही है पूंजीवाद जब तक पूरी तरह से हमें नंगा नहीं करेगा चैन से नहीं बैठेगा. हमें सोचना होगा कि क्या वाकई उदारवादी निति सफल हो सकती है मेरा मानना है नहीं! क्यूंकि अति उदारता (उन मुद्दों पर जो असामाजिक हैं) बेहद घातक है... ये मीडिया तो आलरेडी ही पश्चिम की गुलाम है और हमारी संस्कृति पर लगातार हमला कर रही है.
हमें सोचना होगा और फैसला करना होगा कि क्या इस तहज़ीब और संस्कृति में वाकई इतना दम है जो इनका सामना कर सकने में समर्थ है??? अगर नहीं ! तो हमें क्या करना चाहिए???
हमें उस उच्च कोटि कि तहज़ीब अपनानानी होगी जो इससे लड़ने में सक्षम है...
आपका छोटा भाई
सलीम खान
या बेशर्मी तेरा आसरा.
रामराम.
इलेक्ट्रोनिक मीडिया का स्तर दिन ब दिन इतना गिरता जा रहा है कि कुछ कहते नहीं बन रहा
बेशर्मी ही तो आज का सबसे बड़ा गुण है, जो जितना अधिक बेशर्म वह उतना ही अधिक महान!
Aadarniya Anil bhaiya.... sabse pehle to aapko bahut bahut dhanyawaad,.... aur deri se aane ke liye maafi chahta hoon....
=====================
ab nangai ko to yeh log khud nange ho kar dikha rahen hain.... pata nahi kyun censor walon ki nazar yahan kyun nahin jaati hai..... ? shayad yeh log producers ke aage apna zameer bech chuke hain.... ya kah lijiye ki khud nange ho chuke hain.....
ab rahi baat aaj serials aur filmon mein kaam karne wali ladkiyon ki.... inke to kahne hi kya....
pata hai yeh sab itni awaara kyun hotin hain? iska sirf ek reason hai.... ki dhyan dijiyega ki.... kisi ke bhai nahin hai..... sab ya to iklauti hain..... ya phir do-chaar behnen hain..... agar in heroines ke bhai hote to yeh log itna aage nahin badh paatin..... aur jinke hain....bhi bhai..... wo bhai.... khud napunsak hain.... dekhiyega...jitni bhi missworld, miss universe ya miss india ya miss mohalla rahin hain, 99% ke bhai nahin hain.... aur baap hain to yeh log baap ke control mein nahin hain.... kyunki inki maayen kharaab hain.... aur maa ke aage baap ki chalti nahin hai.....
to inko nanga hone aur nanga karne se kaun rokega....? mardon ka kya hai..... mard to paidaishi besharm hota hai..... usko to nature ne hi aisa banaya hai..... par mard ko galat karne se sirf aur sirf sanskar rokte hain....
zaroorat sirf yeh hai ki in saari heroinon ko ishwar sirf bhai de de.... to yeh sab ki sab sudhar jayengi........
aur sahi kah raha hoon jin ladkion ke bhai hote hain , wo ladkian filmon mein kaam nahin kartin hain.....
agar inko kisi ka dar hota ..... to yeh serial wale bhi himmat nahi karte inko nanga dikhaane se....
हर गंगे...... हर गंगे....
आप जिसकी बात कर रहे हैं वो तो कल की सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ थी !
सही कहते हैं आप। क्या इसका कोई इलाज है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
चलिए आखिर सरकार जागी और नोटिस थमा दिया
ये पत्रकारिता नहीं ......... चैनल बेचने की मजबूरी है .......... विदेशी मीडिया को कोपी कर देसी अंदाज़ में परोसने का नया तरीका है ....
सुना है विनोबा ने अखबार पढ़ना बन्द कर दिया था। आधुनिक विनोबा टीवी देखना बन्द कर देंगे!
" bahut hi sacchi aur saaf baat aapne ki hai ...wakai me in serial walo ne apni ssanskriti per mano halla bol kiya hai ..."
" aapki is baat ka jikr maine apne blog jagat me kadam rakhte huve aisi hi post se kiya tha ..waqt mile to vo post padhana ....
" JUNE mahine ki meri 1st & 2 nd post padhana ..aapko pata chal jayega ."
mere http://eksacchai.blogspot.com blog per aapka swagat hai "
areyyyyyyyy...aapko badhai dena to mai bhul hi gaya ..BADHAI HO "
------ eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
हमारा तो सबसे अच्छा सब टी . वी ...
maine pichhle 6-7 saalon se TV ki taraf rukh nhi kiaa hai ..ab lagata hai achchha hua nhi kia.
बाजार और सरकार के हाथों बिकी लोगों से पत्रकारिता की आशा करना ही बेमानी है | नंगे लोग पहुंचे हैं तो नंगाई ही दिखाएँगे ....
और हमारी जनता भी तो वैसी नंगी हो गई है .... वही नागापन देखते हैं और खूब मजे लेकर रोज उनके नंगेपन की चर्चा भी करते हैं |
हमारे घर में तो टी.वी. हैई नई.....।
अत्यंत क्षोभनीय! व्यवसायिकता और पत्रकारिता के बीच का सम्बन्ध हमेशा पेचीदा रहा है. पत्रकार यदि पूर्ण रूपेण व्यावसायिक हितों के लिए कार्य करंगे तो फिर नैतिकता का दामन दागदार तो होगा ही (वैसे दाल में नमक बराबर तो मान्य है और अपेक्षित भी हैं.. समाचार जो बेचने है...) किन्तु इस तरह का अतिक्रमण नैतिक और सामजिक दोनों ही जिम्मेदारी से मापदंड से इस चैनलों को कठघरे में खडा करता है...
आपकी पोस्ट और इसपे कमेन्ट पढ़कर लग गया की ऐसी चीजे देखने वालों की संख्या बहुत है इसीलिये तो दिखाया जाता है, किसी समस्या पर लिखा जाये तो समस्या से ग्रस्त लोग न तो कमेन्ट देते है न पढ़ते हैं.
हद है!
Post a Comment