Sunday, October 4, 2009

अरे बापू आप?हां बेटा मैं!बहुत परेशान हो गया हूं,सोचा तू ही कुछ करे पायेगा इसलिये…………

रात्रिकालीन सत्संग थोड़ा लम्बा हो गया था।बापू को लेकर डिस्कशन मे हाट टाक से लेकर हाथापाई तक़ की नौबत आ गई थी।किसी तरह मामला सुल्झा कर घर पंहुचा और लम्बी तान कर झंझटो से मुक्ति की टेम्पररी खुराक खा ली।नींद का मीठा झोंका सपनों की दुनिया में धकेल ही रहा था कि कमरा दूधिया रौशनी से जगमगाने लगा।मुझे लगा कि कंही भ्रष्टराष्ट्र तो फ़िर से नही आ टपका।इधर उधर देखा तो कोने मे बापू को खड़ा देखा।मै चौंक गया।पहले अपने को चिमट कर देखा,फ़िर आंखे मलने लगा तो बापू हंसे और बोला अरे मै ही हूं मोहन दास करम चंद गांधी।मैने कहा बापू!तो बापू ने गहरी सांस ली और कहा कि काहे का बापू!बस मोहनदास करमचंद गांधी।





मैने देखा बापू परेशान लग रहे थे।मैने तत्काल बिस्तर छोड़ा और सीधे उनके चरणो पर लेट गया।बापू ने आशीर्वाद देना छोड़ अपने पैर पीछे खींच लिये।मैने लेटे लेटे ही गरदन उठा कर उनसे पूछा,बापू कोई गलती हो गई मुझसे?उन्होने मुझसे पूछा कंहा से घर आया है वापस?वो बापू दोस्तो के साथ……… वो पार्टी थी ना… अच्छा,रोज़ पार्टी रहती है।जी नही बापू।तो फ़िर कल कंहा था।बापू कल भी पार्टी थी।किसकी मेरे जन्म दिन की।हां बापू……वो क्या है कि…दिन-दहाड़े,बापू ने सवाल किया।अब मेरे पास खामोश होने के अलावा कोई और बहाना नही था।मेरी चुप्पी तोड़ी बापू ने।उन्होने कहा कि उस दिन जब तो मेरी जयंती पर सब कुछ सच-सच बोलने लगा तो मुझे लगा कि तू अच्छा लड़का है,इसिलिये मै यंहा आया लेकिन्……………।बापू खामोश हो गये।मैने पुछा लेकिन क्या बापू?बापू ने कहा कि तूझमे और बाकी लोगो मे बहुत ज्यादा फ़र्क़ नही है।मैने कहा ऐसा नही बापू।सच मे मै आपको बहुत प्यार करता हूं।कोई आपके खिलाफ़ एक शब्द भी कहता है तो ऐसा लगता है कि साले का खून पी जाऊं।वाह।क्या अंदाज़ है प्यार करने का?यही सिखाया था मैने कि कोई विरोध करे तो उसका खून पी जाओ?अरे बापू!आप भी ना।ये तो फ़ार्मल डायलाग है,ठीक वैसे ही जैसे आतंकवदियों के हमलो के बाद नेता बोलते हैं।तो तू कौन सा नेता से कम है?क्या बापू आप मुझे गाली दे रहे हैं।और तू,तू क्या कर रहा था ……क्या कहता है उसे पार्टी………और तू तो उसे सत्संग भी कहता है ना।सारी बापू कल से नही बोलूंगा।बोल,बोल सत्संग बोल,प्रवचन बोल जो चाहे बोल्।तो तू क्या प्रवचन दे रहा था सत्संग मे।वो बापू……… क्या?वो साला कालू आपके बारे मे अंट-शंट बक़ रहा था,मुझसे बर्दाश्त नही हुआ…तो इसका मतलब है उसे गालियां बकेगा,मारपीट पर उतर आयेगा।बहुत प्यार करता है ना मुझसे?ये भी कोई पूछने की बात है बापू।तो फ़िर अहिंसा का नाम नही सुना क्या?सुना है बापू लेकिन वो साला अहिंसा से मानने वाला नही था इस्लिये गाली बक़ना पड़ गया।





अब तू ही बता ऐसे मे तूझे मेरे चरण स्पर्श करने का हक़ है क्या?क्यों?क्या बापू अभी परसों की ही बात है।आपकी जयंती पर देश के कोने-कोने मे एक से एक कमीनो ने आपके चरण स्पर्श किये तो आपने उनको मना नही किया।वे मेरे क्या लगते हैं जो उन्हे मना करता?क्या बात करते है बापू।आधे से ज्यादा तो खादी पहनने वाले थे और आपकी ही पार्टी के लोग थे,कुछ आपको निपटाने का आरोप झेलने वाली पार्टी के लोग थे।कुछ जगह तो बड़े-बड़े जमाखोरों,सूदखोरों,सटोरियो और हत्यारों तक़ ने आपके चरण स्पर्श किये।आपको माला पहनाई तब आप क्यों खामोश रहे?ये बता उनमे से एक के भी पास गया क्या मैं?ये बात तो है बापू,मगर जब आप मेरे पास आये हो तो मुझे चरण स्पर्श करने दो और आशीर्वाद भी।ठीक है लेकिन एक शर्त है?क्या?तुझे सच बोलना पड़ेगा,हमेशा।बोल मंज़ूर?अरे मरवाओगे बापू?क्यों नही बोलना है?वो बात नही है बापू सच बोलने से नुकसान बहुत है?कितना ?क्या जान से भी ज्यादा?मै समझ गया बापू क्या कहना चाह रहे थे।मै खामोश ही रहा।तो बापू ने कहा ठीक है फ़िर मै चलता हूं।मैने कहा नही बापू ऐसा मत किजिये।बापू,बोले अरे तू तो सच बोलने मे डर रहा है।मै कैसे मान लूं कि तू मुझसे प्यार करता है।बापू कह तो रहा हूं।कोई भरोसा है तेरा?हो सकता है तू झूठ बोल रहा हो।बापू आप मेरी इंसल्ट कर रहे हैं।बापू ने खूब ज़ोर का ठहाका लगाया और कहा कि लगता है अंग्रेज़ अभी तक़ गये नही है।





मै सन्न था।सच मे बापू के चरण स्पर्श के लायक नही था मै।क्या सोच रहा है?अभी भी डर रहा है सच बोलने से तो मुझे साफ़-साफ़ बता दे मै किसी और से बात कर लूंगा।नही-नही बापू मैं सच बोलूंगा?सिर्फ़ सच बोलूंगा।ठीक है तो तू मुझे देश का हाल बता और हां एक बात याद रखना तूझे सिर्फ़ सच ही बोलना है।बापू आपको तो सब पता ही है……………नही पता है इसलिये तो तूझसे पूछ रहा हूं।क्या बात कर रहे हो बापू,आपको कैसे पता नही होगा?आप देश के बापू हैं?देख मुझे जो पता है वो आधा-अधूरा है और वो भी मेरे अनुयायियों का बताया हुआ है।पता नही उसमे कितना सच है और कितना पार्टी का एजेण्डा।बापू आपको जित्ता पता है उत्ता ही ठीक है।क्या करोगे ज्यादा जानकर?तुझे इससे क्या?तुझे बताना है या नही ये बता?बापू आपने शर्त भी तो रख दी है सच बोलने की।वो तो है।बस इसिलिये तो डर रहा हूं बापू।सच कहने मे मेरी हालत खराब हो रही तो सोचो आपको कितना दुःख होगा।मैने तो देश के लिये कुछ किया भी नही है तो इसकी हालत देख के रोना आता है,फ़िर आपने तो इसे आज़ाद कराने के लिये क्या नही किया?आप नही सुन पाओगे बापू?मै नही सुन पाऊंगा या तू सुना नही पायेगा?एक ही बात है बापू?कोई और टापिक नही है क्या आपके पास?देख मै तुझसे देश की जानकारी लेनेआया हूं।समझा।ठीक है बापू जैसी आपकी मरज़ी।दुःख होगा तो मुझे दोष मत देना।ठीक है सुना………। और फ़िर मेरे और बापू के बीच देश के बारे मे लम्बी चर्चा हुई।क्या चर्चा हुई सुनाऊंगा कल्।

12 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बापु के जनम दिन पे सत्सँग ठीक नही है भाई अपुन बोला था ना बापु नाराज हो जायेगा,पण टेन्शन नई लेने का भाई बापु को मै समझायगा ना,कबी गलती हो जाता है साल मे एक बार आता है तो पताच नई चलता, जा तु सो जा ओर टेन्शन नई लेने का सर्किट है ना सब फ़िट कर देन्गा,मै बी सोने को जाता,
गुड नाईट

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

कोई आपके खिलाफ़ एक शब्द भी कहता है तो ऐसा लगता है कि साले का खून पी जाऊं।वाह।क्या अंदाज़ है प्यार करने का?यही सिखाया था मैने कि कोई विरोध करे तो उसका खून पी जाओ?अरे बापू!आप भी ना।ये तो फ़ार्मल डायलाग है,ठीक वैसे ही जैसे आतंकवदियों के हमलो के बाद नेता बोलते हैं।तो तू कौन सा नेता से कम है?क्या बापू आप मुझे गाली दे रहे हैं।और तू,तू क्या कर रहा था ……क्या कहता है उसे पार्टी………और तू तो उसे सत्संग भी कहता है ना।सारी बापू कल से नही बोलूंगा।बोल,बोल सत्संग बोल,प्रवचन बोल जो चाहे बोल्।तो तू क्या प्रवचन दे रहा था सत्संग मे।वो बापू……… क्या?वो साला कालू आपके बारे मे अंट-शंट बक़ रहा था,मुझसे बर्दाश्त नही हुआ…तो इसका मतलब है उसे गालियां बकेगा,मारपीट पर उतर आयेगा।बहुत प्यार करता है ना मुझसे?ये भी कोई पूछने की बात है बापू।तो फ़िर अहिंसा का नाम नही सुना क्या?सुना है बापू लेकिन वो साला अहिंसा से मानने वाला नही था इस्लिये गाली बक़ना पड़ गया।

yeh prasang achch laga......

charcha kal zaroor sunaiyega....

Khushdeep Sehgal said...

अनिल भाई, बापू से बातचीत में ये ज़रूर बता देना कि अब आपकी समाधि पर देश-विदेश के खास और आम ही श्रद्धा-सुमन अर्पित करने नहीं पहुंचते...बल्कि बुश जैसी महान आत्मा देश में आती है तो पहले उनके खोजी कुत्तों को आपकी समाधि पर घुमाया जाता है...अब आपका क्या भरोसा, आप भी कहीं नए ज़माने की हवा में न आ गए हों और अपने साथ बम-वम ही न छिपा कर रखा हो...

Anonymous said...

बापू के साथ चर्चा!?
इंतज़ार रहेगा।

बी एस पाबला

दिनेशराय द्विवेदी said...

बापू देश को आप देश के बारे में क्या बताते हैं? जानना चाहता हूँ। वैसे अनुमान कर सकता हूँ।

ताऊ रामपुरिया said...

हम भी इंतजार करेंगे.

रामराम.

अखिलेश कुमार said...

बापू एक व्यक्तित्व न होकर एक प्रोडक्ट हो गए हैं. मोंट ब्लांक ने दो लाख की कलम बापू के नाम पर बेचनी शुरू कर दी है. अब तो इंतज़ार है उस दिन क जब विजय माल्या किसी दिन रायल चैलेंज या ब्लेंदार्स प्राइड के लिए बापू को 'हायर' करेंगे.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

काफी मजेदार लगी बापू के साथ भेंट वार्ता !

अनिल कान्त said...

ये भी खूब रही

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बापू के साथ भेंट्! जरूर ये भी कोई मुन्नाभाई वाला कैमीकल लोचा होगा :)
देखते हैं बापू के साथ किन हालातों पर चर्चा होती है ।

शरद कोकास said...

अनिल भाई बापू के साथ इतनी लम्बी चर्चा के बाद भी कुछ बचा है क्या ? खैर आप कहते है तो बचा होगा , हम भी इंतेज़ार करेंगे लेकिन 30 जनवरी से पहले हाँ ..।

शरद कोकास said...

बापू के साथ इतनी लम्बी चर्चा के बाद भी कुछ बचा है क्या ? खिर आप बोलते है तो बचा होगा लेकिन 30 जनवरी के पहले हाँ ..।