Sunday, November 8, 2009

हद हो गई बेशर्मी की!पहले गहरी नींद सुलाते हैं और फ़िर चिल्लाते हैं जागो,जागो!

बहुत कुछ है लिखने को मगर आज सिर्फ़ माईक्रोपोस्ट।शेष फ़िर कभी विस्तार से।अब देखिये सरकारी तमाशा पहले नींद की दवा देते हैं और जब नींद असर दिखाने लगती है तो गला फ़ाड़-फ़ाड़ के चिल्लाते हैं जागो-जागो।अब भला जो गहरी नींद सो गया हो वो क्या जागेगा?फ़िर मेरा सवाल है कि जब आपको मालूम है ये गलत है तो उस पर रोक लगाने की बजाये उससे बचने की सलाह देना समझ से परे हैं।अब विज्ञापन के जरिये ग्राहकों को जगाया जा रहा है कि दुबला होने,वज़न घटाने या बाल उगाने जैसे फ़र्ज़ी उत्पादों से बचे।मेरा कहना ये है कि जब सरकार जानती ही है कि ये उत्पाद फ़र्ज़ी हैं तो उसकी बिक्री पर ही प्रतिबंध लगाती,मगर ऐसा करने की बजाय ग्राहकों को जगाया जा रहा है कि वे उन उत्पादनो को न खरीदें।यानी बेचने से रोकेंगे नही,खरीदने से भी नही रोकेंगे सिर्फ़ चेतावनी देंगे या आपको जगायेंगे बस।उस उत्पाद को बिकने से रोका नही जा रहा है?वाह रे व्यवस्था!चोर से कहो चोरी करो और साहूकार से कहो जागते रहो!क्या सिर्फ़ कथित जागृति या सावधान करने वाले विज्ञापन फ़र्ज़ी उत्पादनो को बाज़ार से आऊट कर सकते हैं।क्या सरकार सब कुछ देखते हुये भी धृतराष्ट्र की तरह खामोशी से अधर्म का राज देखती रहेगी?सेक्स वर्द्धक टानिक,ऊंचाई बढाने वाली दवा,जवान बनाने और बुढापा भगाने वाले तेल,बाल उगाने वाले दावे,दुबला करने के चैलेंज़ ,कैंसर को बुलावा देते तम्बाखू के उत्पाद,सिगरेट,शराब,इन सब से बाज़ार अटा पड़ा है और सरकार इन पर प्रतिबंध लगाना छोड़ आम उपभोक्ताओं को लूटने का मौका दे रही है।सरकारी उदासीनता पर सिर्फ़ इतना ही कहा जा सकता है कि हद हो गई बेश्दर्मी की!पहले गहरी नींद सुलाते हैं और फ़िर चिल्लाते हैं जागो,जागो!

23 comments:

Mithilesh dubey said...

बहुत खूब अनिल जी। बेहतरीन तरिके से प्रस्तुत किया आपने लाजवाब व्यंग।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

Bhaiya .....

bahut sahi kaha aapne..... sirf chillate hain hain ..... jaago...jaago.....

aapke is post se hi milti julti meri post hai..... aaj ki....

plz dekhiyega....

काग़ज़ पर स्वीमिंग पूल .......

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

Bhaiya .....

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काग़ज़ पर स्वीमिंग पूल .......

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

जागो-जागो चिल्लाने वाले भी बड़ी स्कीम का ही हिस्सा हैं

M VERMA said...

गम्भीर प्रश्न है.
अभी दीपावली के अवसर पर चेतावनियाँ आ रही थी कि बाजार मे नकली मावे की बनी मिठाईयो की बाढ आ गई है इनसे बचो.
हद है

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

bilkul sahi kaha ki had hai besharmi ki......JAGO GRAHAK JAAGO ka naara dene wale khud so rahe hain...bahut achchha lekh...badhai

Unknown said...

aapka ye andaz man moh leta hai bhaiji !

sachmuch sher ki tarah dikhte hi nahin likhte bhi hain aap ( haalaanki sher kabhi likhta nahin }

maza a gaya..........jai ho

jaagte raho...jagaate raho !

एस.के.राय said...

अनिल भाई ! आजकल इस देश में इन्सानों की आवश्यकता नहीं हैं ,इसिलिए सरकार जहर बेचने की धंधा कर रही हैं ताकि ऐसे जहरों को जाने अन्जाने में खा और पी कर इन्सान खत्म हो जाए , देश में जो गिने चुने इन्सान बचे ह वे सरकार के आखॉ की किरकिरी बनी हुई है ,यदि ये लोग खत्म हो जाए तो बस देश में हैवानियत की नंगी नाच ये नाचने में स्वतंत्र हो जाऐगें , जहर बेचने के पीछे सरकार की यही मूल उद्देश्य परीलक्षित हो रही हैं ।

शर्म तो इन्हें कब की खत्म हो चुकी हैं ,जिस दिन रात 12 बजे गलत गठबंधन करके सत्ता हथियाने का खेल मुठि्ठ भर नेताओं ने अंग्रेजों के साथ मिलकर खेला था उसी दिन से ये बेशर्म लोग देश को खोखला करने का संकल्प लेकर पिशाच बनके आज भी देश के सीने में बैठ खून चुस रहा है । क्या हम मिलकर इन पिशाचों को देश के सीने से उतार फेंकने में सक्षम हो सकेंगे ?

दिनेशराय द्विवेदी said...

है सरकार कहीं?

मनोज कुमार said...

आपने खुलकर बातें सामने रखी है, दरअसल यह विमर्श का निमंत्रण है।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर,लिखा आप ने ओर सच मै हो भी यही सब रहा है, धन्यवाद

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब। हमने तो आज ही राजकपूर की जागते रहो...देख डाली।

शरद कोकास said...

इसलिये हमे इनसे पहले चिल्लाना चाहिये जागो जागो

Unknown said...

अब आप भी ना अनिल भाई...
शासन की अच्छाई नहीं देखते सिर्फ गलती निकालते हैं ...
शासन तो वही काम कर रहा है जो कभी देवर्षि नारद करते थे ...
चोर से कहते थे चोरी कर और पहरेदार से कहते थे सतर्क रह!
अब गलती कहाँ है?

संजय बेंगाणी said...

यह सब तो फिर भी ठीक. शब्दों के हेरफेर कर वैश्यावृति के विज्ञापन देखें है. क्या अखबार वाले अर्थ नहीं समझते? मगर पैसों के लिए दलाल का साथ देते दिखते है. वास्तव में सरकार भी तो हम लोगों से ही तो बनी है.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

अनिल जी,
जब यह सब फर्जी माल बनाने की तैयारी हो रही थी तो फैक्ट्री के लिए प्लाट आबंटित करते वक्त आवंटी संस्था ने घूस खाई, फिर जब वह फैक्ट्री का मैप पास करवाने गया तो एक्स्जिक्युतिव इंजिनियर ने मोटी रकम ली,फिर जब लाइसेंस लिया तो जारीकर्ता ने घूस खाई, फिर जब उत्पादन सुरु हुआ तो एक्साइज, सेल्स टैक्स, इन्कोमे टैक्स , लेबर इंसपेक्टर इत्यादि ने मोटी रकम ऐंठी ! अब आप ही बतावो, जहां इतना आर्थिक हित निहित हो सरकार का वहाँ वह पहले ही कैसे जगा देती ?

Satyendra PS said...

आपकी बात कुछ अजीब सी लगी। हो सकता है कि सरकार नकली माल न रोक पाती हो, इसमें कौन सी बड़ी बात है। सरकार का जीती मक्खी निगलने का सबसे बड़ा उदाहरण तो मद्यपान विभाग (आबकारी विभाग) और मद्य निषेध विभाग है... क्या इसका मतलब कभी समझ में आया? यह तो आपके प्रदेश में भी होगा। इससे तो सिर्फ इतना फायदा है कि दोनोँ विभाग में लोगों को रोजगार मिलता है।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

सरकार का यही तो काम है...चोर से कहेंगे चोरी कर और चढ़ जा शोहरत की सीढियां [मधु कोडा की तरह]; फिर पुलिस से कहेंगे चोर को पकड ला:) हां, हद तो है भैई बेशर्मी की॥

दिगम्बर नासवा said...

ACHHA LIKHA HAI ANIL JI ...... OOPER SE KAMAAL KI BAAT YE HAI KI SARKAAR JO KHUD SO RAHI HAI VO KAH RAHI HAI JAAGO JAAGO ....

अजय कुमार झा said...

अनिल जी ,
सरकार तो डबल ड्यूटी कर रही है ..यानि ओवर टाईम ...ओवर टाईम की ड्यूटी में यही सब तो होता है ..बहुत ही सटीक बात कही है आपने ..मुझे तो लगता है एक दिन आयेगा जब पब्लिक खुद ही सरकार कि ये ड्यूटी खत्म करेगी ..और एक न एक दिन ऐसा होगा ही

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

ye public hai ye sab jaanti hai???? kya vaakai janti hai?
hamesha ki tarah GAZAB

श्रद्धा जैन said...

bahut sateek baat

डॉ महेश सिन्हा said...

लाईसेन्स भी खुद दो और जुरमाना भी खुद वसूलो, मुट्ठी दोनों हाथ की गरम