Saturday, November 14, 2009

जब दुनिया खत्म हो जायेगी, तो मम्मी को समझाओ ना!वो मेरे पीछे पड़े रहती है।

एक माईक्रोपोस्ट।बाल दिवस पर बाल मन का बाल सुलभ सवाल।कल रात जब घर पहुंचा तो छोटा भाई टीबी(जी हां वो अब टीवी नही टीबी ही हो गया है)पर समाचार देख रहा था।मैंने कहा क्या खास है तो उसने कहा कि आपके भाई लोग बता रहे हैं कि दुनिया खत्म होने वाली है।इतना सुनते ही बार-बार न्यूज़ चैनल बदल कर कार्टून चैनल लगाने कि ज़िद कर रही मेरी भतीज़ी युति बोल उठी बाबा मेरी मम्मी को समझाओ ना!वो मेरे पीछे पड़े रहती है।मैने पूछा क्यों पीछे पडी रह्ती है मम्मी? देखो बाबा आप जब आये तो पापा आप को क्या बता रहे थे?मैने पूछा क्या बता रहे थे?आपको नही पता?सवाल के जवाब मे उसने सवाल किया।मैने कहा नही।इस पर उसने कहा कि पापा आप को बता रहे थे ना कि दुनिया खत्म होने वाली है।मैने पूछा तो?तो क्या?जब दुनिया खत्म होने वाली है तो फ़िर हमको भी खेलने देने चाहिये या नही?सवाल कठीन था।मैंने खामोश रहने मे ही भलाई समझी।उसने फ़िर पूछा बताओ ना बाबा।और मम्मी को देखो पढाई कर पढाई कर कहते रह्ती है,जब दुनिया खत्म हो जायेगी तो पढ कर क्या करूंगी,मस्त खेलूंगी।ठीक है कि नही बाबा।मैने हाथ जोड़ते हुये कहा मेरी मां,मुझे माफ़ कर।अपने मम्मी-पापा का दिमाग खा।इस बात का ज़िक्र करने पर डाक्टर ने बताया कि उसका बेटा सातवी क्लास का स्टूडेंट हनी भी यही कह रहा था।ज़ाहिर है और भी बच्चों के दिमाग मे ये सवाल उठ रहे होंगे।क्या दिखा रहे हैं हम?ये शायद सबसे बड़ा सवाल है?

16 comments:

Unknown said...

बच्चे तो अबोध होते हैं किन्तु उनमें बहुत अधिक जिज्ञासा होती है और छोटी छोटी बातें भी अमिट प्रभाव डालती हैं उन पर। ऐसे समचार कि "दुनिया खत्म होने वाली है" का बहुत ही गलत प्रभाव होना है न केवल बच्चों पर वरन सभी पर।

पता नहीं ये चैनल वाले क्यों इस प्रकार के समाचारों को तूल दे दे कर बताते रहते हैं? महाप्रलय के समाचार ने लोगों की प्राण ले लिये किन्तु इन्हें उनसे कुछ भी मतलब नहीं, इन्हें तो सिर्फ अपने टीआरपी से ही मतलब है।

संजय बेंगाणी said...

बच्चे बातों को बहुत जल्दी पकड़ते है.

बच्चों से बातों में जितना भी मुश्किल है :)

हल्ला मचाने वाले तो कुछ भी चिल्लाते-दिखाते है, सही बात बताना हमारे हाथ में है.

SACCHAI said...

" sahi mudda bal divash per ,aapne jis tarike se apani baat rakhi hai vo kabile tarif hai sir ."

plz visit on my blog to read

" भारत देश की लिलामी चालू है ,क्या आपको बोली लगानी है ?"

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

Anshu Mali Rastogi said...

इस दुनिया के खत्म होने के बाद जो नई दुनिया विकसित होगी उसमें कितना सुकून होगा न!

दिगम्बर नासवा said...

aaj kar bachhe bhi netaaon ki tarah ho gaye hain ... apne matlab ki baat jaldi pakad lete hain ...

Abhishek Ojha said...

बच्चे मन के सच्चे !

PD said...

हम आज ही रिजाईन मारते हैं और 'मैं और मेरी आवारगी' को लेकर निकल लेते हैं यायावरी पर.. :)

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

'जब दुनिया खत्म होने वाली है तो फ़िर हमको भी खेलने देने चाहिये या नही?'
-बेटा, बात ये है कि इस मम्मी को पक्का पता है कि उसके पति की बात में कोई दम नहीं है..

राज भाटिय़ा said...

आनिल जी आप को उस बच्ची को समझाना चाहिये कि यह समाचार तो एक बकवास है, ओर लोग सुनी सुनाई बातो को फ़ेलाते है, जिसे आफ़गाह कहते है, भगवान ने उस ऊपर वाले ने जिस दुनिया को इतनी मेहनत से बनाया है क्या उसे खत्म कर देगा? नही नही बेटा ऎसी बात नही, ओर तुम मन लगा कर पढॊ, ताकि तुम बढे हो कर ऎसी अफ़गाह फ़ेलाने वालो को अच्छी तरह से समझा सको, ओर फ़िर देखे बच्ची आप की बात केसे नही मानती.
वेसे यह बात यहा एक आध बार आई ओर लोगो भुल गये, जब आन्त आयेगा देखा जायेगा, अभी से क्यो फ़िक्र की जाये.
धन्यवाद

Unknown said...

umda post....

abhinandan !

विवेक सिंह said...

अगर देखा जाय तो बात गहरी है,

दुनिया न खत्म हो तो भी हमें तो खत्म होना ही है, फिर टेंशन क्यों लेना ? मस्त रहें ।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

जब यह बात चल रही थी तो हमारा नाती उंगलियों पर गिनती करके अपनी मां से कह रहा था कि यह तो नाइंसाफ़ी है, तो तो मैं केवल पांचवीं मे रहूंगा :)

दीपक 'मशाल' said...

Bachchon ki presence of mind ka hum badon ke paas koi jawab nahin, magar ye jaan kar bhi ki aisi khabron ka baalman par bura asar padega, news channel yahi sab paroste hain... aapne sabke saamne baat rakhke achchha kiya bhaia...
Jai Hind...

Khushdeep Sehgal said...

अनिल भाई,
ये युति असाधारण बच्ची है...जो दुनिया की बोलती बंद कराने वाले आप जैसे शख्स को भी लगातार लाजवाब कर रही है...मेरी सलाह है इसके लिए एक टीवी चैनल अभी से प्लान कर लीजिए....ऐसी-ऐसी स्वस्थ युतियां लगाएगी कि टीआरपी की अंधी दौड़ में भागने वाले किसी कोने में मुंह छुपाते नज़र आएंगे...

जय हिंद...

गौतम राजऋषि said...

कुछ दिनों से ये सब देखकर मैं भी युति जैसा ही सोच रहा था अनिल जी!

सूर्यकान्त गुप्ता said...

आदरणीय समीर लाल जी को मेरा सादर अभिवादन
मेरे ब्लॉग जगत में प्रवेश करते समय आपने अपनी टिपण्णी
के माध्यम से मेरा हौसला आफजाई किया था बहुत बहुत
धन्यवाद और पेड़ के माध्यम से आपने जो मनुष्य को
हरदम समस्यायों में डूबे न रहकर उसका सामना करने व
सदा खुश रहने का जो सन्देश दिया है प्रशंसनीय है.
"हंसते हंसाते बीते हर घडी हर पल" बहुत सुन्दर.