एक खबर ने मेरा ध्यान खींचा।इसे सरकार की बेशर्मी कहिये या इस देश की जनता की सहनशक्ति।मंत्रियो के एक समूह ने विमान अपहर्ताओं को मौत की सज़ा देने की सिफ़ारिश की है।ऐसा उस सरकार के मंत्री कर रहे हैं जो पहले से ही मौत की सज़ा के मामले मे ढिलाई बरतने का आरोप झेल रही है।
पी चिदंबरम,वीरप्पा मोईली,कपिल सिब्बल और प्रफ़ुल्ल पटेल ने ये सिफ़ारिश की है।विमान अपहर्ताओं के लिये मौजूदा कानून मे उम्र कैद का प्रावधान है जिसे अब बदल कर मौत की सज़ा मे बदलने की सिफ़ारिश की गई है।याने हवाई जहाज हाईजैक न हो जाये इस बात की चिंता है और जो संसद को हाईजैक करने आये थे उनके बारे मे?पता नही शर्म-वर्म हां वर्म जैसे कीड़े जैसी भी शर्म हो तो पहले के मामले तो निपटा लेते फ़िर नया बयान देते।और सबसे अफ़सोस की बात तो ये है कि ये सब उस योजना के तहत किया जा रहा है जिससे सरकार की नरम छवि बदल सकें।
राजनैतिक मज़बूरियां जो ना कराये वो कम है,लेकिन ऐसा भी बेशर्मी।हमारे देश की संसद पर हमला करने वाले ज़िंदा है और सरकार जो ज़ुर्म हुआ नही और पता नही वो ज़ुर्म होगा भी या नही,उस ज़ुर्म के आरोपियों को मौत की सज़ा देने की सिफ़ारिश कर रही है।अगर उनसे पूछा जाये कि अगर ऐसा हो जाता है और किसी को पाकिस्तानी को इस ज़ुर्म मे अगर पकड़ा जायेगा तो क्या ये मंत्री उसे मौत की सज़ा दिला पायेंगे?जो पहले ही मौत की सज़ा पा चुके है,उन्हे तो फ़ांसी पर लटका नही पा रहे हैं और अब कह्ते हैं कि हाईजैकर को मौत की सज़ा दो!हद हो गई बेशर्मी की इस देश में!गुस्सा तो बहुत आ रहा है मगर कर ही क्या सकते हैं।अच्छा है जो ब्लाग है,वर्ना कुढ-कुढ कर गालियां बकने के अलावा क्या कर सकता था।
29 comments:
"राजनैतिक मज़बूरियां जो ना कराये वो कम है,"
अनिल जी, आपने तो खुद ही बता दिया कि ये सब क्यों होता है!
लोकतंत्र गले की हड्डी बन गया है !
भाऊ, ऑस्ट्रेलिया में हमारे लड़के कुट-पिट-मर रहे हैं इधर एक मंत्री बेशर्मी से ट्विटर की *&%*$$ रहा है, पहले जब एक मुस्लिम युवक को ऑस्ट्रेलिया सरकार ने गलत फ़ंसाया तो मन-मौन सिंह की नींद उड़ गई थी, अब यूरेनियम के लालच में ऑस्ट्रेलिया से *&$*%&*$ को तैयार हैं…। 60 में से 50 साल तक सेकुलरों ने राज किया फ़िर भी शकर 50 रुपये किलो मिल रही है… अफ़ज़ल-कसाब छाती पर मूंग दल ही रहे हैं, और इधर कांग्रेस की स्थापना की 125वीं सालगिरह मनाई जा रही है…। क्या आपको लगता है कि इन लोगों के लिये बेशर्म शब्द काफ़ी है? या फ़िर कुछ और *&$%*^(#) तथा &#$*॰(#&$($ या &*$%()##)॰…
बापू के देश में आप गुस्सा कर रहे हैं? आप जैसे लोगों की वजह से ही गंगा-जमुना संस्कृति का बंटाधार होता आया है. अंहिसा की बात करें, लम्बा साँस खिंचे और धीमे से कहें...जय हो...
कोई माई बाप नहीं है अनिलजी !!! अपनी भड़ास यहाँ ही निकाल सकते हैं !!! हम भी आपही की तरह आपही के साथ हैं!!!
भाई सही तो कहा गया है अब जब सारी सुविधाए जेल में ही उपलब्ध है तो कोन plane को हाई जेक करने की जहमत उठाएगा तो ऐलान कर दिया. कसब हो चाहे अफजल गुरु सब जेल में मजे कर रहे है अब तो जनाब स्थिति ऐसी आ गयी है की अगर कोई इन्हें छुड़ाने आये तो यह खुद जाने से मना कर दे आखिर इतनी मेहमान नवाजी और कहाँ मिलेगी.
सच है भैया..... राजनैतिक मज़बूरियां जो ना कराये वो कम है.......
सच है भैया..... राजनैतिक मज़बूरियां जो ना कराये वो कम है.......
तुम्हारा गुस्सा वाजिब है अनिल भाई मगर ये सब क्यों होता है ये भी आपसे बेहतर कोई क्या बता पायेगा. तुम्हारे अनुभव संसार में तो ऐसे अनगिनत
विवरण है.
और गुस्सा तो आना ही चाहिये और ना आने का मतलब...
अब क्या कहे, जनता ही कभी बिद्रोह कर दे तो बात बने गी, वरना यह नेता तो शर्म भी बेच कर खा चुके है...
विद्यमान कानूनों के तहत दी गई सजा पर त्वरित अमल हो अक्षरश: सहमत !
कानूनों के आपरेटिव पार्ट पर बहस और संशोधन की गुंजायश बनती है !
लेकिन इन कमियों को दूर करके नए कानून क्यों ना बनाये जाएं ?
शर्म मगर इन्हें आती नहीं....
अब इसका मतलब यह हुआ कि हाईजैक करिये जिन्दगी आराम से काटिये सरकारी रोटी बोटी और सुरक्षा
न्याय व्यवस्था काम के बोझ से जर्जर हो चुकी है। एक्जीक्यूशन फाइलों में अटका पड़ा है। उसे सुधारने को धन चाहिए वह सरकार के पास नहीं है। लगता है मौजूदा व्यवस्था ऐसे संकट में फंस गई है जिस से निकलना संभव नहीं है। सरकार बदलने से भी काम नहीं चलेगा।
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
सचमुच बेहयाई और निर्लज्जता की पराकाष्ठा है .
सोचने में ख़र्च कहां होता है.
अनिल भाई,
क्यों इतन गुस्सा कर रहे हैं, ये !@##$%^* कभी सुधर नहीं सकत हैं। इसलिये मैं भी सुरेश जी की बातें दोहराता हूँ %#^@#$~~??>#$
वही पुराना गाना और हमारी वही घिसी पिटी सी टिप्पणी
ये देश है वीर जवानों का.....................
न्याय तो इस देश में मिलना अब संभव नहीं लगता, कसाब को उसका कमीना वकील हर-दिन नई नौटंकी सिखाता है, और जिन लोगों को सजा मिल गई है वह भी जेल में मजे लूट रहे हैं
यह वह सड़ेली व्यवस्था है जिसमें कुछ गिरे हुये लोग अदालत को मह्नीनों हाइजेक कर लेते हैं
सकरायेत तिहार के गाडा गाडा बधई.
बड़े बढ़िया बढ़िया आते हैं टिप्पणी करने वाले - खुला सांड़! क्या खूब।
राजनीति में क्या क्या होता है ...... सच कहा है ....... गुस्से होने के अलावा हो भी क्या सकता है .....
जब फांसी होगी तभी तो बचेगा-शिव उवाच
बड़ी विडम्बना है ...
अनिल जी भारत में रहना है तो शर्म छोड़िये और सेकुलरों के राग मैं राग मिला कर बेसर्मी की हद पार कर जाईये, उनत्ति-प्रगति आपके कदम चूमेगी |
उपरोक्त बातें १००% सत्य है पर करें क्या हम आप जमीर बेच नहीं सकते | हम आप को तो ये सेकुलर नेता ऐसे ही जलाते रहेंगे |
100% sahmat hoon Anil bhaia... Rakesh ji ne bhi durust farmaya..
Jai Hind...
"शर्म" यह किस चिड़िया का नाम है
दरअसल इन्हे चिंता हो रही है अपने से ज्यादा सुविधा वीआईपी कैदियों को मिलने के कारण
वीआईपी जी हाँ जो इस देश के मेहमान हैं और मेहमान जो हमारा होता है , जान सेप्यारा होता है उसकी जान कैसे लें.
जनता तो emotional बेवकूफ है उसे कूटनीती क्या समझा आयेगी .
अगला कदम सरकार को होगा इस तरह की उतपतंग सोचें वालों को आजीवन सोचना बंद करने की सजा.
द्विवेदी जी क्षमा चाहूँगा पैसे की नहीं इछाशक्ति की कमी है इस देश में .
bhau,,,, aap jo likhte ho vo logo ke dil me dhdhkta saval hota hai,
yahi hal raha desh ka to hindu aatankvad ko ab paida hone se koi nahi rok sakta hai, maleganv iska taja udahran hai,,,vandematram,,,,
Post a Comment