धूल और धुयें के लिये शायद दुनिया भर के प्रदूषित शहरों को टक्कर दे रहे रायपुर मे लोगों ने इससे निज़ात नही मिलती देख,मज़बूरी में मुंह पर स्कार्फ़,रूमाल,गमछा या चुनरी लपेट कर अपना बचाव करना शुरू कर दिया था।ये सिस्टम सालों से चल रहा था मगर राजधानी की एक्सपर्ट पुलिस की जितनी तारीफ़ की जाये कम ही होगी।उसने हाल ही में अपनी नाकेबंदी के बावज़ूद बैंक लूट कर भाग रहे लूटेरों और दिनदहाड़े हत्या करके फ़रार होने वाले हत्यारों को पकड़ने मे असफ़ल रहने के लिये ज़िम्मेदार समझा मुंह ढांक कर धूल-धुयें से बचने के तरीके को।सो तुगलक भी शरमा जाये ऐसा फ़रमान जारी कर दिया।अब शहर के लोगों को धुल-धुयें को पुलिस की मेहरबानी से निगलते हुये जीना होगा और उससे बचने के लिये मुंह ढांक कर घुमने का तरीका छोड़ना होगा।छोड़ा तो ठीक नही तो पुलिस के मुस्टंडे हर चौक-चौराहों पर तैनात रहेंगे और आपसे बदतमीजी करके आपके मुंह पर पड़ा कपड़ा नोच कर देखेंगे कंही आप डाकू,हत्यारे,लूटेरे या कोई बड़े शातिर आतंकवादी तो नही है।
है ना कमाल का फ़ैसला पुलिस का और मज़े की बात देखिये शहर से दो-दो ताक़तवर मंत्री हैं और राजधानी होने के कारण सारे बड़े-छोटे नेता यंही उगते और पनपते हैं।कांक्रिट और नेताओं के इस जंगल मे चारों ओर धूल के बवंडर उड़ते रहते हैं।शहर से लगे गांवों मे पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल मे पनपे काला धुंआ उगलने वाले राक्षस हवा को जहरीला बनाने मे कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।खुद सरकारी पार्टी भाजपा के विधायक देवजी भाई पटेल पिछले कार्यकाल मे विधानसभा मे चिल्लाते-चिल्लाते थक़ गये और फ़िर एक बार जीत कर वही राग आलाप रहे है मगर उनकी सरकार उनकी ही नही सुन रही है।शाम को काला धुआं सारे शहर के आसमान पर पसर जाता है और हर इलाके के मकानों की छत पर आप काली परत जमा देख सकते हैं।
अगर ईएनटी यानी नाक कान गला विशेषज्ञ डाक्टरों की मानें तो अधिकांश लोग धुल-धुयें की एलर्जी से होने वाली खांसी-सर्दी से पीड़ित हैं और दमा-अस्थमा के मरीजों के मामले मे शहर शायद सारे देश मे अव्वल होगा।ये समस्या यंहा स्थाई रूप ले चुकी है और नगर पालिक निगम के दो चुनावों मे तो मुख्य नारा ही धूल मुक्त शहर,मच्छर मुक्त शहर रहा है।धूल तो हटी नही हां दो महापौर हट चुके हैं,और दोनो सरकारी पार्टी के थे।इस बार भी जनता ने सरकार के महापौर प्रत्याशी को सिर्फ़ धूल से त्रस्त होकर चुनाव में धूल चटा दी।मगर इसके बाद भी बेशरम नेताओं पर कोई असर होता नज़र नही आया।
इस बात को अच्छी तरह समझ चुकी जनता खुद ही अपनी सुरक्षा आप करने मे लगी रही।शहर मे घूमते समय दुपहिया चालक चेहरे को धुंये और धूल से बचाने के लिये स्कार्फ़/रुमाल से ढंक कर अपने काम पर निकलते थे मगर हमारे शहर की इंटेलिजैंट पुलिस को वो भी रास नही आया।इंटेलिजैंसी मे स्काटलैंड यार्ड की पुलिस को भी मात देने वाली पुलिस को शहर मे हुई दो-दो बैंक डकैती और दो-दो बड़ी हत्याओं के आरोपियों के फ़रार होने का कारण अब महिना बीत जाने के बाद समझ मे आया है कि शायद अपराधी मुंह ढांक कर फ़रार होते हैं।बस इतना बड़ा क्लू मिलते ही पुलिस हरक़त मे आ गई और उसने तत्काल मुंह ढांक कर घूमने पर प्रतिबंध लगा दिया।अब आपको सर्दी होये या खांसी,दमा हो या खाज़-खुजली,आपका चेहरा एलर्जी से बिगड़े या आपके बाल झड़े पुलिस को इससे कोई लेना-देना नही।उसका काम है अपराधी को पकड़ना और किसी भी अपराधी को मुंह ढांक फ़रार होने देन से रोकना।है ना धांसू हमारे राजधानी की पुलिस।भई मैं इससे ज्यादा तारीफ़ नही कर पाऊंगा वरना आप लोग मुझे चमचा कहने से नही चुकेंगे लेकिन मेरा मन पुलिस की तारीफ़ करते हुये अभी भरा नही सो मैं चाहता हूं कि इस पुण्य काम मे आप लोग भी हाथ बटायें।आप लोग मेरे शहर की महान पुलिस व्यवस्था और यंहा के विद्वान और जनहित मे अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देन वाले नेताओं की शान मे दो शब्द कहंगे तो मुझे अच्छा लगेगा।ऐसे लोगों की तारीफ़ ना हो तो फ़िर उनका मनोबल टूटता है ना।स्सो प्लीज़ प्लीईईईईईईइज़ मेरे शहर की पुलिस की तारीफ़ ज़रूर ज़रूऊऊऊऊऊऊऊउर करना।
18 comments:
अनिल जी , घूम फिरकर बात वहीं राजनीति पर आ जाती है ! अफ़सोस की बात यह है कि हर महकमे, हर विभाग, हर क्षेत्र को आज गंदी राजनीति अपनी जकड में ले चुकी है ! पुलिस बल में भी चुन-चुनकर सभी उच्च पदों पर अधिकांशत अपने स्वार्थो की पूर्ती के लिए ये अपने चेलो को ही भर देते है ! नेता की बैक का घमंड उसे कर्तव्यों के प्रति उदासीन बना देता है तो उनसे किसी अच्छी बात की क्या उम्मीद रखी जा सकती है ?
बहुत अच्छी पुलिस है...
अपना कर्त्तव्य बखूबी निभा रही है...
आम जन को परेशां कर ....
खुद कि गलती का ठीकरा ...
सर्वजन पर फोड़ रही है...
जनता परेशां धूल से...
पुलिस परेशां .. शूल से .. ..
शूल जो उड़ गए फुरर्र...
छोड़ गए पीछे धूल धुर्रर्रर...
नमन ऐसी पुलिस को....
दे मौका भागने का जो...
मूंह ढके अपराधियों को....
और करें परेशां आम जन को....
यह पुलिस चोर लुटेरो को तो पकड नही सकती, जब कि इन्हे पता है कि यह चोर लुटेरे है कोन... इस लिये बहाने बना कर केस को दुसरी ओर मोड देना यह भी एक अदा है..
" ye rajneeti ....jab tak janata janarden nahi jaagegi tab tak sayad aisa hi hota rahega ..jahan dekho vahan rishwatkhori namak rakhsh ne apana sikanja failaker rakha hai ."
" sir ye baat maine meri post
" मै भारत के मिनिस्टर के नाते कसम खाता हु की ......"
http://eksacchai.blogspot.com/2009/11/blog-post_17.html#links
me ki hai ..aap agar waqt mile to padh le aapko maza aayega ."
" behatarin post ke liye aapko badhai sir ."
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
वाहन चलाने पर ही प्रतिबन्ध लगना चाहिए. अपराधी वाहनों का उपयोग करते पाए जाते है.
कहीं नहीं देखा ऐसा ।
Pata nahin bhaia galat hai ya sahi, lekin sach me munh dhanke logon ko dekh to gussa mujhe bhi aata hai lekin kyonki hamari chhoti si galti si galti ka aapradhik tatv ya aatankwadi faida uthakar nikal sakte hain... Police bhi aakhir hai to insaan hi na koi bhagwan to nahin ki bina kapda hataye pahichan le ki kaun hai is nakab ke peechhe... pata chale aapke bagal se koi durdaant apradhi kisi ko maar ke nikal jaye aur aap uska chehra bhi na dekh payen...... haan galti Nagar nigam aur sarkar ki maanta hoon jo dhool aur dhyen se nizaat nahin dila paa rahi..
Gutakhi maaf...
Jai Hind...
पुलिस तो पूरे भारत की ही तारीफ के काबिल है. आप के यहां की कुछ ज्यादा होगी.
पुलिस को कोई ये कोई नहीं समझाता कि भले आदमी, दूसरों को मुंह उघाड़ कर चलाने के बजाय ये खुद ही मुंह छुपा कर क्यों नहीं चलने. कोई नहीं पहचान पाएगा कि -"यह रही वो निकम्मी पुलिस"
पूरे सिस्टम मे ही कुछ वायरस लगा हुआ है अब बहुत जल्दी कोई एंटीवायरस डोज देना पडॆगा.
रामराम.
ऊऊऊऊऊऊऊ करना तो जनता का धर्म है . नासपीटी जनता उसकी ये मजाल जो पुलिसिया फरमान न माने .भले ही नागपुर की अदालत इस बारे में फैसला सुना चुकी है . सरकार को लटद्ते हुए उसने या फैसला सुनाया था की अगर सरकार आदमी के सुरक्षा नहीं कर सकती तो उसे इस तरह के फरमान जारी करने का कोई अधिकार नहीं है .
रायपुर के कुछ समाचारपत्र भी इस मुद्दे को उठाते रहते हैं नकाब के विरोध में , बेचारे युवा सुंदर चेहरा देखने से वंचित रह जाते हैं .
एक पुलिस वाले ने तो ये भी सुझाव दिया की हेलमेट लगा कर बचाओ करो , दोहरी सुरक्षा मिलेगी . लेकिन फिर वही पुलिस की परेशानी अब क्या हेलमेट उतरवा के देखेगी ?
रायपुर में कोई महिला चोर ,डाकू, चैन खीचने वाला गिरोह तो नहीं मिला अभी तक फिर ये महिलाओं के पीछे क्यों पड़े रहते हैं
सिस्टम पर अच्छी चोट है। इसे बदलना होगा। पर कैसे?
Bahut maafi chahta hoon Anil bhaia.. kyonki main bhi pata karne nahin gaya ki aap kahan aur kaise hain, bas yahi sochta rah gaya ki Anil bhaia aaye kyon nahin... sab adhoora sa tha.. bas ab poora ho gaya.. :)
जबरद्स्त दिया है...क्या किया जाये इस पर विचार हो!
अच्छी पोस्ट । उस अंचल से इस तेवर का लिखने वाले बहुत कम हैं , अधिकांश का पुलुस से याराना लगता है । संजय बेंगाणी से सहमत ।
पहले पुलिस सिर्फ ऍफ़ आई आर दर्ज करने से कतराती थी ताकि क्राइम रेट कम रहे।
अब मूंह पर कपडा भी नहीं लेने देती, ताकि प्रदुषण का खुलासा न हो जाये।
अच्छा मुद्दा उठाया है आपने।
अगर प्रदुषण को ही मिटाने की कोशिश करें तो कैसा रहेगा।
अनिल भाई व्यवस्था है सहन कर रहे हैं किसी दिन फट पड़ेंगे , सुधर जायेगी !
भैयाजी
छत्तीसगढ़ की पुलिस प्रशासन पर बहुत ही बढ़िया कटाक्ष है. सचमुच में राजधानी की पुलिस आम लोगों को बेवजह ही ज्यादा परेशान करती है. चोर-डाकू अपना काम करके निकल जाते हैं और फंस जाती है बेचारी जनता. वैसे भी पुलिस को अपना नाकामी छुपाने के लिए कुछ तो चाहिए ही. पुलिस को आइना दिखाने के लिए साधुवाद!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
शंकर चंद्राकर
रायपुर (छत्तीसगढ़)
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