कल संजीव तिवारी की पोस्ट पढ कर लगा कि इन सब फ़ालतू विवादों मे समय नष्ट नही करना चाहिये और मैने इस पर एक शब्द भी नही लिखने का फ़ैसला ले लिया।और आज पंकज के रोचक अनुभव देखे तो होश उड़ गये।उन्होने मीट मे आपस की बातचीत तो लिखी मगर साथ मे भी ये भी लिख दिया कि बैठक के गुप्त उद्देश्य से एक ब्लागरों के एक बड़े वर्ग को परेशानी थी और वे इससे दूर रहे।ऐसा लगा की कोई शानदार रबड़ी-मलाई के ऊपर मरी हुई छिपकली रख कर सर्व कर रहा हो।न चाह कर भी इस बारे मे फ़िर से लिखना पढ रहा है क्योंकि आरोप मामूली नही गंभीर है।अब आप लोग ही बताईये भला ब्लागरों की सामान्य मेल-मुलाकात वाली बैठक के क्या गुप्त उद्देश्य हो सकते हैं?
मैने पंकज जी का नाम पहली बार अपनी पोस्ट मे लिखा है वो भी इसलिये कि कुछ लोगों को बिना नाम की ये पहेली समझ नही आ रही थी और कुछ लोग जानना चाहते थे कि किसने क्या कहा?बस इसलिये मैने आज पंकज जी के नाम से ये पोस्ट शुरू की है।जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूं कि ये मीट महज़ कुछ ब्लागरों के आपस मे मिलने का प्रोग्राम था जो बाद मे ब्लागर मीट मे बदल गया।इसकी शुरुआत राजकुमार ग्वालानी और पाब्ला जी के बीच फ़ोन पर हुई बातचीत से हुई।राजकुमार ने पाबला जी से बहुत दिनों से मुलाकात नही होने का ज़िक्र किया तो उन्होने भिलाई के साथियों समेत रायपुर आने की बात कही।इस पर राजकुमार ने उन्हे निमंत्रण दे दिया और ललित के साथ मिलकर कार्यक्रम तय कर लिया।किसी कारण से मैं उस दिन व्य्स्त था सो उन्होने कार्यक्रम आगे बढा दिया और फ़िर वो दूसरे इतवार को हुआ।इस लिहाज़ से ब्लागर मीट के आयोजक हुये राजकुमार,ललित शर्मा और पाब्ला जी।
इसके बाद डा महेश सिन्हा ने सारे कार्यक्रम को सुव्यवस्थित करने के मुझे निर्देश दिये जिसके बाद मीट के लिये ब्लागरों से सम्पर्क और उन्हे निमंत्रण देने का काम किया बी एस पाब्ला जी,संजीव तिवारी और संजीत त्रिपाठी ने,उनका साथ दिया डा महेश सिन्हा ने।सब ने खूब मेहनत की और छत्तीसगढ के ब्लागरों का एक डाटा भी तैयार किया।करीब अस्सी लोगो के बारे जानकारी मिली और उनमे से कुछ ने बाहर होने की सूचना दी और कुछ ने आने की सहमती।सम्पर्क का काम जिस टीम ने किया उनमे से पाब्ला जी के पास पूरा डाटा अभी भी उपलब्ध है जिसे ज़रुरत हो वो उनसे पूछ सकता है।
अब जिस मीट की रूपरेखा राजकुमार,ललित और पाबला जी ने तय की हो तो उस मीट का अगर कोई गुप्त उद्देश्य होगा तो वो उन्हे ही पता होगा और इसलिये पंकज को पता लगे इस गुप्त उद्देश्य के बारे मे उन्हे बताना चाहिये।कायदे से तो पंकज के सारे सवालों का जवाब भी उन्हे ही देना चाहिये मगर जब किसी ने कुछ नही कहा तो मुझे जवाब देना पड़ा क्योंकि मैने उस मीट के लिये प्रेस क्लब जैसा अच्छा स्थान उपलब्ध कराने की गलती की थी।गल्ती की थी सो भुगत रहा हूं,सब ने मीट की रिपोर्ट पोस्ट की और मैं सफ़ाई कर रहा हूं।खैर गलती एक बार होती है बार-बार नही।वैसे भी पिछली पोस्ट मे मिली एक सलाह मुझे जम गई जिससे मिलना हो अकेले मिलो।सो अब जिससे मिलेंगे अकेले ही मिल लेंगे।ये गुप्त एजेंडा लेकर किसी मीट मे शामिल नही होंगे।हां ब्लागस पर एक वर्कशाप के आयोजन का फ़ैसला जो पिछली मीट मे खुलेआम लिया गया था उसे ज़रूर ज़ल्द ए ज़ल्द पूरा कर देंगे और उसके बाद चल अकेला चल अकेला।
पंकज अवधिया को लगता है कि ब्लागर मीट का कोई गुप्त उद्देश्य था और इसलिये एक बड़ा वर्ग उससे दूर रहा!पाब्ला जी,राजकुमार और ललित बाबू आप लोगो को बताना चाहिये सच क्या है?
22 comments:
इस ब्लागर मिलन मे एक बहुत ही गुप्त एजेंडा यह था कि 36 गढ के जो ब्लागर भाई नेट पर मिलते हैं वे आमने सामने भी मिल लें,ये हुआ भी। सभी एक दुसरे के विषय जाने।
अवधिया जी - कह दें तो जी का जंजाल न कहे तो रहा ना जाय !
वैसे जिस समारोह में आप हों उसके बारे में कुछ भी ऐसा वैसा मान्य नहीं है .
"पिछली पोस्ट मे मिली एक सलाह मुझे जम गई जिससे मिलना हो अकेले मिलो।सो अब जिससे मिलेंगे अकेले ही मिल लेंगे।ये गुप्त एजेंडा लेकर किसी मीट मे शामिल नही होंगे।हां ब्लागस पर एक वर्कशाप के आयोजन का फ़ैसला जो पिछली मीट मे खुलेआम लिया गया था उसे ज़रूर ज़ल्द ए ज़ल्द पूरा कर देंगे और उसके बाद चल अकेला चल अकेला।"
अनिल जी, "चल अकेला चल अकेला" ये क्या है? साथ ही चलेंगे। अच्छे कामों में कुछ न कुछ विघ्न तो आता ही है तो क्या उससे अच्छे काम को त्याग देना क्या उचित है?
"सिर मुड़ाते ही ओले पड़े"
"दर्द बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों दवा की "
अनिल एक अच्छे कार्य को करने के बाद भी कुछ लोग असंतुष्ट रहते और मीन मेख निकलते रहते हैं .
यही विडंबना है किसी कार्यक्रम के आयोजन में शामिल होने की . यह फैसला तो अब छत्तीसगढ़ के ब्लोगरों को ही लेने होगा की वे भविष्य के लिए क्या चाहते हैं. इस वाद विवाद में शायद उन्होने एक अच्छे आयोजक और उनके द्वारा उपलब्ध कराये गए स्थान को खो दिया .
पंकजजी ने कुछ सवाल संजीव तिवारी के ब्लॉग में उठाये थे उनका जवाब मैंने वहाँ दे दिया था.लेकिन शायद उनके पास 35 सवाल थे जो अब उन्होने छुपा लिए .
मुझे ऐसा लगता है उन्हे विरोध का स्वर ही अच्छा लगता है और प्रेम मिलाप में षड्यंत्र की बू आती है .
यह तो भविष्य ही बताएगा की उसके गर्भ में क्या है .
चलिए आप लगे रहे, हमारा तो दम उखड रहा है|
आज राजिम कुम्भ जाना था| पर इसी में उलझे हुए है|
पिछली बार वहां संजीवनी बूटी बिक रही थी| तीन हजार से अधिक तस्वीरे मैंने ली थी जिन्हें नेट पर डाला था| इस बार लगता है कि बस यही करते रहेंगे हम सब|
चलिए साथ में राजिम कुम्भ चलते हैं और इस विवाद को यही छोड़ देंते हैं|
"ब्लॉगर मीट" को परिभाषित कैसे किया जाता हैं बहुत उत्सुकता हैं ??
सच में-एक मीट और इतना बवाल!
वर्कशॉप का इंतजार है !
अनिल भाई ,
जब ये सब शुरू हुआ और पढने देखने लगा तो यकीनन मन दुखी हुआ था , सोचा छोडो यार कभी कभी कर लेंगे ब्लोग्गिंग भी , कौन यही एक आखिरी विकल्प है , मगर लगा कि नहीं यही तो समय है डटे रहने का , और अब देखिए आगे होता क्या क्या है । आपका दिल साफ़ है और नीयत स्पष्ट है , जिन्हें ढका छुपा दिख रहा है , वे दिव्य दृष्टि रखते हैं शायद तभी दीवार के पार देख पाते हैं , देखते हैं आगे क्या होता है ?? हम आपके साथ थे , हैं और आगे भी रहेंगे
अजय कुमार झा
आप जैसे कलमकार को फालतू के विवादों में ऊर्जा खत्म नहीं करनी चाहिए। आप सार्थक ब्लॉगिंग करें बस हमारे और आने वाले पाठकों के लिए।
राजू बन गया 'दी एंग्री यंग मैन'
बाजारवाद में ढलता सदी का महानायक
फेसबुक एवं ऑर्कुट के शेयर बटन
रायपुर प्रेस क्लब मे आयोजित ब्लागर्स मीटिंग से मैं पूर्णत: संतुष्ट हूं एक बहुत ही अच्छा आयोजन था जिसमे कुछ भी "गुप्त एजेण्डा" दिखाई नही दिया और न ही ऎसी कोई बात नजर आई जिससे लगे कि किसी को जबरदस्ती लाया गया है या बुलाया गया है ।
इस आयोजन से यह जरूर आभास हुआ कि ब्लाग लेखन लोकतंत्र का "पांचवा स्तंभ" है जिसके माध्यम से अभिव्यक्ति, अभिव्यक्ति मात्र नही है वरन एक संदेश की भांति है जो किसी न किसी को राह दिखा सकती है एक ऊर्जा प्रदान कर सकती है।
उक्त आयोजन की गरिमा को ठेस पहुंचाने के द्रष्टिकोण से की गईं टीका-टिप्पणी नजर अंदाज करने योग्य हैं।
भविष्य मे इस तरह के आयोजन की प्रतीक्षा है और रहेगी ।
इत्ते सारे ब्लॉगर एक साथ बैठे हमने नहीं देखे पहले! इत्ती यादगार मुलाकात की ऐसी छीछालेदर होगी तो भैया आगे का कार्यक्रम कैसे करवाओगे! इस तरह की पोस्टों से कुछ हासिल नहीं होता सिवाय कुछ टिप्पणियों और बहुत अफ़सोस के। तैयारी करिये भाई अगले सम्मेलन की!
je hui na baat pankaj ji.
shukriya aap dono ka k aap dono ne is balak kaa maan rakh liya....
din bhar ki mehnat sarthak hui...
shukriya aap dono ka
all is well that ends well :)
हवा न दो उन शमशीरो को जो घर को जला जायें
खामोशी खुद अपनी जुबाँ हो ऐसा भी हो सकता है...
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...
बहुत सी बांते सामने आ रही हैं ।
लोग अब मिलने पर भी पाबंदी लगाना चाहते हैं.... पता नहीं क्यूँ?
कौन सुनेगा, किसको सुनाए,
इसलिए चुप रहते हैं...
जय हिंद...
मस्त राम मस्ती में ...आग लगे बस्ती में !
अरे अनिल जी काहे एकला का राग अलाप रहे हैं ....बकिया तो किसी आधार पर ब्लॉग्गिंग को सीमित करने का प्रयास का तो मैं समर्थक हो ही नहीं सकता ....चाहे गुप्त एजंडा हो या ना हो !
मस्त रहिये ......और हाँ स्वस्थ रहिये !
संजीत जी को मेहनत के लिए बधाई !
अनिलजी
ब्लोगर्स मीट रायपुर में हुई यह बहुत अच्छी खबर है और इसमें मुझे भी आना था लेकिन एन वक्त पर मुझे खरियार रोड के समीप अपने गाँव जाना पडा लिहाजा मैं आ नहीं पाया| भाई संजीत से मैंने क्षमा मांग ली थी| अब यह एक नया प्रपंच मैं न्देख रहा हूँ की इस मीट पर भी नाहक विवाद पैदा किया जा रहा है जो कि प्रथम ग्रासे मक्षिका पातः वाली स्थिति का सूचक है लेकिन मैं मानता हूँ कि इस तरह की छिद्रान्वेषी बातें विघ्नप्रेमी ही करते हैं और विघ्न की चिंता किये बगैर आप और साथी डटे रहें, यह काफिला चलता रहे| वर्कशाप के लिए अग्रिम शुभकामना|
रमेश शर्मा
शर्मारमेश.ब्लागस्पाट.com
हां. संजीत का मैसेज मिला था कि छत्तीसगढ़ में ब्लागर्स मीट हुई लेकिन यह हश्र होगा पता न था। वैसे यहां दिल्ली में भी मीट के दौरान विवाद हुआ था। दरअसल, विद्वानों में मतभेद होते हैं। मनभेद ना हो यही आशा है।
anil bhai...bloger meer har mayne me bahut achcha prayas hai. yah sach hai ki achche kamo me dikkate aati hai. aapka is tarah akla chale..wali manovrati se mujhe shobh hua ki aap jaisa majbut vicharo ka dhani shakhs in thapedo se backfoot par khelega to bhaiji stret-drive ka kya hoga...? aapk jaise dhir-gambhir log frontfoot par achche lagte hai sirji....
shesh aap samajhdar ho.....
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