Saturday, February 6, 2010

पटवारी होता तो पूरा निपट जाता मगर ये तो आईएएस अफ़सर है करोड़ो रूपये मिल गये मगर सस्पेंशन के लिये अभी तक़ रिपोर्ट का इंतज़ार है!हद है बेशर्मी की!

एक आईएएस अफ़सर बाबुलाल अग्रवाल के यंहा छापे मे करोड़ो रुपये की सम्पत्ति मिली है।उसके सस्पेंशन के बारे सरकार का कहना है कि अभी तक़ इस बारे मे कोई अधिकृत रिपोर्ट नही मिली है,जब मिलेगी तो कारवाई होगी।अगर आईएएस की जगह कोई छोटा-मोटा पटवारी होता तो सौ-दो सौ रूपये की रिश्वत मे ही पूरा निपट जाता।जेल तक़ पहुंचा के आते उस गरीब को लेकिन मामला यंहा आईएएस अफ़सर का है तो रिपोर्ट का इंतज़ार हो रहा है।

सालों से देख रहा हूं सरकारी ढर्रे को!उसके नियमों की तलवार अगर चलती है तो सिर्फ़ गरीब या छोटी मछलियों पर मगरमच्छ तो खाकर गरियाते रहते हैं।आईएएस अफ़सर बाबुलाल अग्रवाल ने तो कमाल ही कर दिया यंहा।छापे के बाद बड़ी बेशर्मी से वो गरियाये की उनकी सारी सम्पत्ति घोषित है और इसमे उन्हे अपनी छबी धुमिल करने की साजिश भी नज़र आ गई।लेकिन जैसे-जैसे छापे की कार्रवाई आगे बढ रही है उनकी बेनामी सम्पत्ति की लिस्ट भी लम्बी होती जा रही है।

कमाल तो देखिये बाबुलाल अग्रवाल का 300 करोड़ का आंकड़ा तो दो दिन पैतृक व्यापार को तो बढाया ही रिश्तेदार और दामाद तक़ के कारोबार को दिन-दूना रात चौगुना बढा दिया।ये रूपया अगर उनकी सरकारी आय का नही है तो ज़ाहिर है हरामखोरी यानी रिश्वत का ही होगा।इसे तो कायदे से ज़ब्त कर लिया जाना चाहिये लेकिन चूंकी वे आईएएस अफ़सर हैं इसलिये शायद उस पर टैक्स पटा कर काली कमाई को सफ़ेद करने का लोकतांत्रिक मौका दे दिया जायेगा।उनकी जगह अगर कोई मास्टर,पटवारी या बाबू होता तो पहुंच गया होता साला जेल में।रिश्वत जैसे महान काम को अगर छोटा आदमी करे तो उसका यही अंजाम होता है।

इसे तो बाबुलाल जैसे महान लोग ही कर सकते है।देखिये ना बेचारे बाबुलाल ने सिर्फ़ अपने रिश्तेदारों का ही भला नही किया।उसने तो अपने चपरासी,ड्राईवर,हमाल,मज़दूर और नौकरानी तक़ के बैंक खाते खुलवा दिये।ये बात अलग है कि उन बेचारों को ये तक़ पता नही था कि उसमे कितने रूपये जमा हुये है और कितने निकाले गये हैं।उनकी नौकरानी तो तक़दीर वाली है जिसके खाते मे हज़ारो डालर जमा है।सभी ठिकानों से 53 लाख नगद और 73 लाख के जेवर मिल चुके हैं।कार्रवाई अभी जारी है।

ये हाल है एक आईएएस अफ़सर ऐसे और पता नही कितने होंगे।अफ़सोस की बात तो ये है कि ये रहने वाला भी छत्तीसगढ का है।ये इतने बेदर्दी से अपनी जन्मभूमी का खून चूस रहा था तो बाकी लोगों ने तो कमाल ही कर दिया होगा।जब ऐसे कपूत रहेंगे तो अमीर धरती के गरीब लोगो का उद्धार कंहा से होगा।ये पहले अपना उद्धार करेंगे तब तो गरीबों पर नज़र डालेंगे।

23 comments:

नीरज दीवान said...

आईएएस- संगठित गिरोह है. सामंती अवगुणों से भरपूर.. मेवा बटोरने वाली इस सेवा को सिस्टम से हटाया जाना चाहिए।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

कल ऐसी ही एक और खबर पढी थी कि मध्यप्रदेश में छापे के दौरान एक आईएएस दम्पति के घर से तीन करोड़ नगद मिले !

Arvind Mishra said...

इन बेईमान आई ये अस आफीसरों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए .इनका कृत्य बड़े दंड की मांग करता है .
हद है भारत की सर्वोच्च सेवा के नुमायिंदे गरीबों का हक़ छीनते रहे हैं -कहीं ऐसा तो नहीं है की केवल कुछ उनको निशाना
बनाया जा रहा हो जो वहां के नेताओं की न सुन रहे हों ?
बाकी जो सुन रहे हों इनसे भी भ्रष्ट हों ?
भारत के सर्वोच्च सेवा की रीढ़ को भ्रष्टाचार के टी बी कीटाणुओं ने चाट डाला -लोकतंत्र को लकवा होने में अब ज्यादा देर नहीं .
इसका फालो अप भी करते रहें पुसदकर साहब!

Unknown said...

भाऊ, कल और आज भारत भाई की पोस्ट पर दो कमेंट किये हैं उन्हें इधर रिपीट माना जाये… :)

Unknown said...

समरथ को नहि दोष गुसाई ...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मेरे बहुत सारे IAS दोस्त हैं.... कई बार मैं उनको भी शंका की निगाह से देखने लगता हूँ...

Anonymous said...

मुट्ठियाँ भिंच जाती हैं ऐसी खबरें पढ़

बी एस पाबला

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

करोड़ों का कैश !
ओ भगवान मैंने कौन सा पाप किया था जो मुझे IAS बनाने से चूक गया तू ?

दीपक 'मशाल' said...

aise logon ki jutiyai bahut jaroori hai..

डॉ महेश सिन्हा said...

चुनाव के समय एक मुद्दा उठा था कि विदेशों में छुपा धन वापस लाया जाए क्यों जिससे ये उसे भी डकार जायें . कमाल का हाजमा है इस गिरोह का .

देश में जमा माल ही निकाल लिया जाए तो देश का उद्धार हो जाए . विदेशों में जमा धन तो फ़िक्स्ड डिपॉज़िट में डाल दिया जाए.

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह हमारी व्यवस्था का नंगा सच है। मुट्ठियाँ भींचने से काम न चलेगा। इसे बदलने के लिए कमर कसनी होगी।

कडुवासच said...

अनिल भाई
.....गजब ढा रहे हो .....
..... प्रभावशाली अभिव्यक्ति!!!

उम्मतें said...

अनिल भाई ,
अगर मैं सौ बार जन्म लूं और हर बार कम से कम चालीस साल तक नौकरी करूं तो भी कुल मिलाकर मेरी तनख्वाह इतनी नहीं हो पायेगी जितनी इस "एक नव राजे" का अभी तक ज्ञात आंकड़ा है , फिर देश तो ऐसे हीरों की खान है !

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

पकड़ मे आए वो चोर
बाकी साव जी।
पैसा लेते पकड़े गए
देकर छुट जाव जी।

36solutions said...

बंसी वाले ने बंसी बजाया है, यह सब उसी की माया है.

शरद कोकास said...

यही है ब्यूरोक्रेसी..।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अगरवाल साहब जीडीपी में योगदान दे रहे थे और आप जैसे पत्रकार लोग इसे किस तरह से पेश कर रहे हैं! कुछ तो सोचिये देश का क्या होगा?
किसी आई०ए०एस०(तत्कालीन आई०सी०एस०) का लिखा उदधृत कर रहा हूं, नाम ध्यान नहीं-"आजादी मिलना जब निश्चित हो चुका था, तो हम में से कुछ अधिकारी पंडित जी से मिलने पहुंचे. हम इस आशंका से भयभीत थे कि अभी तक हम लोग क्राउन के वफादार रहे हैं और आजादी मिलने के बाद हम लोगों का भविष्य अंधकारमय होने जा रहा था. लेकिन पंडित जी ने हमे आश्वासन दिया कि हम लोग निश्चिन्त रहें, हमें पूरा संरक्षण दिया जायेगा." शब्दों में कुछ फेरबदल हो सकता है, लेकिन मूल भावना से आप लोग परिचित हो चुके होंगे.
क्राउन के वफादार अब रूलिंग के वफादार हो गये, आदतें वही रहीं, लाट साहब(लार्ड) साहब वालीं. नेताओं और अफसरों ने देश का ******* कर दिया.

वीनस केसरी said...

इससे बड़ा व्यंग भारतीय संविधान पर और क्या हो सकता है जो कहता है कि हर नागरिक को सामान अधिकार प्राप्त हो

वीनस

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

पुसदकर जी!
आपका लेख बहुत सुन्दर है!
यह चर्चा मंच में भी चर्चित है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/02/blog-post_5547.html

अजित गुप्ता का कोना said...

हमारे कानून के दो पक्ष है एक आम जनता के लिए अर्थात प्रजा के लिए और दूसरा राजा याने नेता, अफसर के लिए। यही कारण है कि आज तक इस देश में लोकपाल विधेयक को मंजूरी नहीं मिली है। इस विधेयक के आने के बाद प्रधानमंत्री भी कानून के दायरे में होंगे अभी कानून के दायरे में केवल प्रजा आती है। अंग्रेजों के कानून की नकल जो की है हमने। मुझे नहीं लगता कि इस देश में कभी भी लोकापाल विधेयक को मंजूरी मिलेगी। वाजपेयी जी आए थे तब उन्‍होंने प्रधानमंत्री को भी इस दायरे में रखने की मंजूरी दी और कलाम साहब ने कहा कि राष्‍ट्रपति भी इस दायरे में होना चाहिए। लेकिन इस बिल को पास तो संसद करेगी। और उससे भी बढ़कर ये नौकरशाह करने दे तब ना। इसकारण ही सारे नौकरशाह भ्रष्‍टाचार में लिप्‍त हैं क्‍योंकि उनपर सीधे कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती।

Gyan Dutt Pandey said...

निश्चय ही अधिकतम भ्रष्टाचार नेता-ब्यूरोक्रेट की साठ गांठ में है। पर चरित्र की कमी सर्वत्र है। :)

Smart Indian said...

आशा रखिये. जब मधु कौड़ा के दिन फिरे हैं तो बाबुलाल अग्रवाल के दिन भी फिरेंगे.

Udan Tashtari said...

यही है हाल-बेहाल!