Wednesday, February 17, 2010

राहुल बाबा आप एक बार फ़िर आईये और देखिये आपके दौरे के बाद भी विदर्भ का क्या हाल है!पानी अभी से खत्म हो रहा है और बिजली उसका भी भगवान ही मालिक है!

सप्ताह भर विदर्भ घूम कर कल वापस छत्तीसगढ लौटा हूं।विदर्भ मे अलग राज्य की मांग फ़िर से ज़ोर मार रही है लेकिन अभी कंही तोड़-फ़ोड़ नही हुई,रेल नही रूकी और कंही आगजनी नही हुई इसलिये शायद खबर नही बन पा रही है।वैसे भी इस देश मे खबर तो बनती है धमाकों से,ठाकरे बन्धुओं से,सोनिया जी से,खान से,हिंदू-मुसलमान से और राहुल बाबा से ये राहुल बाबा भी विदर्भ मे किसानों की आत्मह्त्या से द्रवित होकर वंहा का दौरा कर चुके हैं,द्रवित हो चुके हैं।उसके बाद उन्हे शायद याद ही नही रहा है कि इस देश मे विदर्भ नाम की कोई जगह है।मैं ये सब राहुल बाबा से इसलिये कह रहा हूं कि महाराष्ट्र की सरकार तो कठपुतली है और उसके मंत्री तो राहुल बाबा की चप्पलें तक़ उठाते हैं,तो चप्पले उठाने वालों से कहने की बजाय मैने सीधे राहुल बाबा से ही कहना उचित समझा।और रहा सवाल मराठियों के ठेकेदारों का तो उनके लिये मराठी माने मुम्बईकर बस्।विदर्भ के नाम से तो वैसे ही चिढ है,वे अलग होने की बात कर रहे है इसलिये उनके बारे मे सोचना ही उनके लिये पाप है।फ़िर वेसे भी उनके पास फ़िल्म का प्रदर्शन रोकना,खिलाड़ियों को रोकना,एक दूसरे को टोकना और आमना-सामना खेलेने से फ़ुरसत नही है।

ऐसे मे सिर्फ़ राहुल बाबा ही एक नेता हैं जो गरीबी की ब्राण्डिंग मे अपनी दादी इंदिरा जी के रास्ते पर चलते नज़र आ रहे हैं।गरीबी सुनते ही उनके आंसू निकले या ना निकले उनके मुख से डायलाग बरसने लगते हैं।और आनन-फ़ानन मे भी वे उधर दौरे पर भी निकल पड़ते हैं,जैसे पिछ्ली बार घूम आये थे।अरे उसके बाद वंहा का क्या हाल है पूछा भी है कभी?या सिर्फ़ पब्लिसिटी स्टंट करने को ही राजनिती मानते हैं।

मीडिया भी राहुल बाबा से कम नही है।वंहा के लोकल अख़बार चीख-चीख कर कह रहें है कि विदर्भ पर भीषण जलसंकट है।अभी से 6000 गावों में जलसंकट छा गया है।नागपुर संभाग के तीन हज़ार और अमरावती संभाग क तीन हज़ार गांव मे अभी से पानी की मारा-मारी शुरू हो गई है।इसके अलावा अकोला का हाल तो और भी खराब है।जिन गांवों मे पानी मे पानी की आपूर्ती नलों से होती थी वंहा अभी से सप्ताह में दो-दिन,या तीन दिन ही पानी दिया जा रहा है।जिन गांवों मे मैं पहले भी जा चुका हूं और जंहा पानी भरपूर रहा है,वंहा भी पानी खरीदने की नौबत आ गई है।

सिंचाई तो बहुत दूर की बात है अब तो पीने और नहाने के लाले पड़ते नज़र आ रहें हैं।अण्डर ग्राऊण्ड वाटर का लेवेल अभी से एक से तीन मीटर नीचे जा चुका है।अभी फ़रवरी चल रहा है और ये हाल है तो मई-जून की कल्पना करके ही हालत खराब हो रही है।

पानी के अलावा बिजली भी विदर्भ के लोगों के लिये दुर्लभ चीज़ होती जा रही है।सालों से कटौती झेल रहे लोगों ने इस साल थोड़ा राहत पाई थी मगर नागपुर मे हुई एक उच्चस्तरीय सरकारी बैठक में ये बात साफ़ हो गई कि बिजली का संकट भी भीषण ही होगा।चंद्रपुर की दो उत्पादन इकाईयों का बंद होना लगभग तय ही है।वंहा के बांध मे पानी आधा भी नही रह गया है।यही हाल दूसरी जल-विद्युत परियोजनाओं का है।कोयना के भरोसे पूरा प्रदेश चल नही सकता।और सरकार इस संकट से मुंह छिपाने के लिये अभी से बरसात को ज़िम्मेदार ठहरा रही है।उसका कहना है कि बरसात मे कम पानी गिरने का रोना रो रही है।

अब बताईये! पानी नही,बिजली नही!ऐसे में जीना कितना मुश्किल हो जायेगा।भीषण गर्मी और भीषण जलसंकट,भीषणसंकट बिजली संकट आम आदमी जीयेगा तो कैसे जियेगा?

राहुल बाबा आप एक बार फ़िर आईये और देखिये आपके दौरे के बाद भी विदर्भ का क्या हाल है!पानी अभी से खत्म हो रहा है और बिजली उसका भी भगवान ही मालिक है!

9 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मुस्लिमों के वोट बैंक की खातिर यह दुर्दशा हो रही है. यदि आबादी पर रोक के लिये कोई विधेयक नहीं आया तो हम लोग भूख और प्यास से मरेंगे. एक सौ पच्चीस करोड़ लोग, जमीन क्या मंगल से लेकर आयेंगे अन्न उगाने को.

अन्तर सोहिल said...

मई जून में क्या हाल होगा जी
यहां हरियाणा में भी अगर कांग्रेस का राज है तो बिजली पानी की किल्लत जरूर-2 होती है।

प्रणाम स्वीकार करें

विवेक रस्तोगी said...

केवल विदर्भ नहीं सब जगह यही हाल है, राहुल बाबा को सब जगह जाना चाहिए

Udan Tashtari said...

अभी यह हाल है तो गर्मी के माहों की कल्पना करके ही रुह कांप जाती है.

दिनेशराय द्विवेदी said...

हालात सभी जगहों पर कम या अधिक बुरे हैं। सरकारों को जनता से बस उतना लेना देना है जिस से उन की पार्टियों को वोट मिल जाएँ। बाकी सब लूट में लगे हैं।
प्राकृतिक विपदा के समय ही यह देखा जाता है कि राजा कैसा है?

शरद कोकास said...

अनिल भाई
मैने अपना बचपन भंडारा मे बिताया है । मैट्रिक तक वहीं पढ़ा हूँ इसलिये आपकी यह पोस्ट पढ़कर ऐसा लग रहा है जैसे अपने गाँव से कोई आया हो और वहाँ के हाल सुना रहा हो ।
हम लोग बचपन में विदर्भ वीर जाम्बुवंत राव धोटे को जानते थे , उनके क्रांतिकारी भाषण सुना करते थे । विदर्भ में उनके बाद सचमुच कोई वीर नहीं हुआ । अभी के वीर कैसे हैं उनका चरित्र चित्रण तो आपने कर ही दिया है । राजनीतिक मजबूरियों के चलते आगे जाकर विदर्भ अलग हो जाये तो कोई आश्चर्य की बात नहीं लेकिन यह उसी तरह होगा कि खाली जेब और बिना कपड़े- लत्ते के बेटे को घर से निकाल दिया जाये ।विदर्भ की शायद यही नियति है ?

राज भाटिय़ा said...

राहू बाबा का ध्यान करो जी, यह काग्रेस जहां भी जाती है लोगो को रोटी के टुकडो के लिये तरसाती है फ़िर भी लोग इसे ही चुनते है..... गर्मियो मे क्या हाल होगा... अभी जो बुरा हाल है तो यह सोच कर ही डर लगता है

Ajay Tripathi said...

"ऐसे मे सिर्फ़ राहुल बाबा ही एक नेता हैं जो गरीबी की ब्राण्डिंग मे अपनी दादी इंदिरा जी के रास्ते पर चलते नज़र आ रहे हैं" आपका राहुल बाबा से सीधे बात करना अच्छे संदेस है ,भारत तो गरीब देस था और है , जब हम आजाद हुए तो पिताजी बताते थे की पाकिस्तान और भारत के हालत एक ही थे ,और आज भारत युवायो के बल पर विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर है आप भी युवा है , ये हमारा कर्त्तव्य है की युवा नेतायो को आपनी टिपनियो से जागरूक करते चली ! साधुवाद आपका अजय त्रिपाठी

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

चिखली गया था, वहाँ पर सभी ने अपने घरों के नीचे पानी के टैंक बना रखे हैं और मुझे पहुंचने से पहले बता दिया था कि पानी की समस्या है। नहाने के लिए मिल जाए तो बडी बात है।

लेकिन एक चीज मैने वहां देखी कि कम पानी होने के कारण उसका ज्यादा से ज्यादा कामों मे किस तरह उपयोग किया जाता है। "वाटर मैनेजमेंट" प्रत्येक गृहणी को आता है।