Tuesday, February 23, 2010

उन्नत प्रदेशों और शहरों की खूबसुरती को पिछ्ड़े प्रदेश छत्तीसगढ की उन्नति की चुनौती

छत्तीसगढ अभी दस साल की ही हुआ है और उसने सारे देश मे अपना परचम फ़हराना शुरू कर दिया है।खेल और आवाज़ की दुनिया मे अपनी पहचान बनाने मे सफ़ल हो रहे पिछड़े कहे जाने वाले छतीसगढ की उन्नति दावड़ा ने इस बार उन्नत कहे जानी वाली फ़ैशन और माडलिंग की दुनिया में चुनौती दे दी है।उन्नति दावड़ा ने फ़ेमिना का मिस इस्ट इंडिया खिताब जीत लिया है और अब वे उन दस लड़कियों मे शुमार कर ली गई है जिनमे से एक के सर पर मिस इंडिया का ताज़ होगा।आत्मविश्वास से भरी उन्नति का हम सभी ने प्रेस क्लब मे स्वागत किया और उन्हे उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें दी।
छत्तीसगढ को अब पिछड़ा कहने वालों को शायद सोचना पड़ेगा।खूबसूरती,फ़ैशन और माडलिंग की दुनिया मे छत्तीसगढ की खुबसूरती ने कदम रख दियें हैं।यंहा की खूबसूरत बाला उन्नति ने फ़ेमिना का ईस्ट इंडिया खिताब जीतने का कारनामा कर दिखाया है और इसी के साथ,गरीबी,भूखमरी,नक्सलवाद और पिछड़ेपन के चेचक से भरे चेहरे के साथ ही एक नया और खूबसूरत चेहरा दुनिया के सामने आया है।खेल की दुनिया मे सबा अंजुम हाकी मे और बास्केटबाल मे अंजू लकड़ा से लेकर भारती नेताम तक़ छत्तीसगढ का झंडा फ़हरा चुके हैं।आवाज़ की दुनिया मे भी सुमेधा समेत बहुत से उभरते गायकों ने अपने प्रदेश का नाम रौशन किया है और अब बारी है फ़ैशन और माडलिंग की दुनिया को चुनौती देने की,,और उसे पूरा कर रही है उन्नति।वो ये साबित करने मे कामयाब रही है कि रायपुर कोई छोटा-मोटा गांव नही है और छत्तीसगढ भी जंगल मे रहने वाली आदिमजातियों के पिछ्ड़ेपन का पर्याय नही है।
उन्नति को उसके माता-पिता और भाई का भरपूर सहयोग मिला है।मूलतः बिल्डर और अब शिक्षा के क्षेत्र मे भी बहुत से कालेज खोल चुके प्रकाश और समाजसेवा से जुड़ी रही प्रिती दावड़ा की पुत्री को उसका भाई चिन्मय भी सपोर्ट करता है।उन्नति की इच्छा है कि वो इस स्पर्धा के बाद अपने इलाके मे भी एक फ़ैशन और माडलिंग इंस्टिट्यूट खोले ताकी इस क्षेत्र मे जो परेशानी उन्हे उठानी पड़ी है,वो यंहा की अन्य लडकियों को न उठानी पड़े।
चलिये उन्नति ने खूबसूरती की दुनिया मे उन्नति के लिये अपने कदम बढा दियें हैं।यंहा के मुख्यमंत्री ड़ा रमन सिंह ने भी उनकी उन्नति की कामना की है और उनसे मिलने के बाद कहा न केवल उनकी बल्कि छत्तीसगढ की दो करोड़ जनता की शुभकामनायें उनके साथ है।

13 comments:

Mithilesh dubey said...

बहुत-बहुत बधाई आपको भी ।

Unknown said...

"गरीबी,भूखमरी,नक्सलवाद और पिछड़ेपन के चेचक से भरे चेहरे के साथ ही एक नया और खूबसूरत चेहरा दुनिया के सामने आया है।"

छत्तीसगढ़ का चेहरा तो हमेशा से ही खूबसूरत है अनिल जी! इसका गरीबी,भूखमरी और पिछड़ेपन के चेचक से भरा होना तो दुष्प्रचार मात्र था।

उन्नति, सबा, अंजुम, सुमेधा आदि छत्तीसगढ़ की सभी प्रतिभाओं को बहुत बहुत बधाई!

और जानकारी देने के लिये आपको धन्यवाद!

राजीव रंजन प्रसाद said...

यह केवल कहावत नहीं सत्य है - सबसे बढिया: छत्तिसगढिया।

Anonymous said...

जानकारी से अवगत कराने हेतु आभार

उन्नति को शुभकामनाएँ

उम्मतें said...

तो छत्तीसगढ़ इस दौड़ में भी शामिल हुआ ...शुभकामनायें

drsatyajitsahu.blogspot.in said...

छत्तीस गडिया सबले बढ़िया

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत बढ़िया लगा. और आगे जाये ईश्वर करे.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

शुभकामनायें .

डॉ टी एस दराल said...

बहुत अच्छा लगा जानकार ।
आपको भी बधाई।

राज भाटिय़ा said...

अनिल जी छत्तीसगढ़ को तो भगवान से ही बहुत अमीर बनाया है, बस हमारे नेताओ ने ही यहां गरीबी फ़ेला दी, जब हम भारत से बाहर होते हे तो पता चलता है कि हम कितने अमीर ओर कितने गरीब है, क्योकि हम उस समय उन देशो को भी देख रहे होते है जो अमीरो मै सब से ऊपर होता है, ओर जब उस देश की तुलना अपने देश से करते है तो अंतर साफ़ पता चलता है, पुरे विश्व मै मंहगाई नही हुयी, लेकिन हमारे नेताओ के भाषाण ने तो पुरे विश्व को ही दुखी करार कर दिया अपने पाप छिपाने के लिये, ओर यही नेता है जो इतने अमीर देश को ओर उस के वासियो को रोटी के टुकडे के लिये तरसा रहे है... भारत ही एक ऎसा देश है जो अपने यहां सब कुछ पाता है,हमारा देश भगवान की देन से सब से अमीर है कोई माने या ना माने

दिनेशराय द्विवेदी said...

छत्तीसगढ़ में पिछड़ापन बिलकुल न रहे। पूरे भारत में ही न रहे ऐसी कामना है।

Alpana Verma said...

बहुत अच्छा लगा जानकार.
मिस इस्ट इंडिया उन्नति को और छत्तीसगढ़ को बधाई.शुभकामनायें.

शरद कोकास said...

अनिल भाई , छत्तीसगढ के संस्कार यह भी हैं कि यहाँ दिखावे की प्रवृत्ति नहीं है । उपलब्धियाँ होने के बावज़ूद यहाँ के लोग प्रदर्शन में विश्वास नहीं रखते । यहीं अगर दिखावा पसन्द लोग होते तो करते कम और दिखाते ज़्यादा । सबा अंजुम को मैने अपने मोहल्ले में उसके बचपन से देखा है , उसके संघर्ष को भी मैं अच्छी तरह जानता हूँ । और भी यहाँ की बहुत सी बच्चियाँ हैं जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी और छत्तीसगढ़ की पहचान बनाने के लिये संघर्ष कर रही हैं । विगत कुछ माह पहले ग्रहशोभा पत्रिका के कवर पेज पर दुर्ग की ही एक लड़की का छायाचित्र प्रकशित हुआ है । संगीत,साहित्य, कला .लोककला कौनसा ऐसा क्षेत्र है जहाँ छत्तीसगढ़ नहीं है । भारत से बाहर जब भी देश की लोककला का प्रतिनिधित्व होता है छत्तीसगढ़ के कलाकारों को ही ले जाया जाता है ।