Thursday, March 25, 2010
यार आईपीएल मे छत्तीसगढ की टीम कब खेलेगी?अबे सब क्रिकेट खेलने लग जायेंगे तो ………………
एक बहुत बड़ी बात कहने के लिये एक बहुत ही छोटी सी पोस्ट।आईपीएल का बुखार सारे देश मे सिर चढ कर बोल रहा है।पुणे और कोच्ची की टीमें भी बिक गई और वे भी खेलती नज़र आयेंगी आईपीएल में।अभी तक़ छत्तीसगढ की क्रिकेट टीम इसमे नज़र नही आई है और निकट भविष्य मे इसके नज़र आने की संभावना भी नही है।इसी बात से नाराज़ कुछ साथियों ने मुझसे पूछा यार आईपीएल मे छत्तीसगढ की टीम कब खेलेगी?अबे सब क्रिकेट खेलने लग जायेंगे तो सट्टा कौन खेलेगा।मेरी बजाय जवाब दिया मेरे एक दोस्त ने।बात हंसी मज़ाक मे निकली थी मगर ये है सच्।सारे देश मे क्रिकेट के बुखार के साथ ही सट्टे की महामारी भी फ़ैली हुई है।खासकर युवा वर्ग बुरी तरह इसकी चपेट मे है।यंहा एक बार नही कई-कई बार सट्टे के खिलाफ़ कार्रवाई हुई।इस बार तो सट्टा बाज़ार की बड़ी मछलियां पकडाई।उनमे से एक तो क्रिकेट का जाना माना खिलाड़ी रह चुका है और उसने अपने एक साथी के साथ मिलकर कुछ ही सालों मे पचास करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति बना ली।इतनी सम्पत्ति का तो पता चला है बाकी छुपी सम्पत्ति का पता नही।ज़ाहिर है ये रुपया सट्टा लगाने वालों का ही होगा जिन्होने अपनी कमाई सट्टे मे गंवाई होगी।आज क्रिकेट जितना लोकप्रिय है उससे ज्यादा उसका साईड इफ़ेक्ट सट्टा पाप्यूलर हो गया है।सट्टा और जुआ के खिलाफ़ कोई ठोस कानून नही होने की वजह से इस पर रोक लगती नज़र नही आ रही है जो इस महामारी के और फ़ैलने का कारण है।इस पर रोक लगाना बेहद ज़रूरी है वर्ना बहुत से परिवार तबाह हो जायेंगे और इस नशे की लत हमारी युवा पीढी को भी लीलने से नही चुकेगी।
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19 comments:
अनिल जी आज एन डी टी वी पर खबरे देख रहा था, सच कहुं तो सभी खबरे देख कर सर घुम गया, एक खबर किसी अभिनेत्री से थी... उस की बात सुन कर दिल खुश तो बिलकुल नही हुआ, शर्म से झुक गया,दुसरी खबर भी इन्ही से लेकिन उदाहरण भगवान कृष्ण ओर राधा का दिया गया..... धन्य है यह लोग.... ओर अब सट्टा बाजार.
आप ने अपने लेख मै मेरे दिल की बात कही है, यह आई पी एल क्या गुल खिलायेगा आगे आगे देखते रहिये... किस ओर हम जा रहे है???मुझे लगता है अब कुछ ही सालो बाद घरो मै लोग गीता ओर रामायण को एक तरफ़ रख कर बच्चो को कोक शास्त्र ओर प्ले वाय नाम के ग्रांथ पढायेगे
सट्टा जुआ हैं ही महामारी
लत लग जाती हैं लोगो को इसकी
बड़ा हाथ मारने का सपना लिए
मेहनत की कमाई लुटा देते हैं
Ek bahut jaroori baat kahi bhaia aaj..
कितने परिवार तो इस आग में तबाह हो ही चुके..इसे रोकना ही होगा.
वाकई अपरोक्ष रुप से सट्टे को बढ़ावा दिया जा रहा है, और कुछ चंद कार्पोरेट्स की जेबों में जा रहा है।
नशे की लत ने तो देश का भविष्य ही दांव पर लगा दिया है.
"आज क्रिकेट जितना लोकप्रिय है उससे ज्यादा उसका साईड इफ़ेक्ट सट्टा पाप्यूलर हो गया है।"
कहीं ऐसा तो नहीं है कि सट्टा को पॉपुलर करने के लिये ही क्रिकेट को लोकप्रिय बनाया गया है? (इतना अधिक लोकप्रिय कि आज लोग अपने राष्ट्रीय खेल हॉकी और विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय खेल फुटबाल को भूल चुके हैं, सिर्फ क्रिकेट का नशा छाया रहता है)
जनता का ध्यान उन समस्याओं से हटाने के लिए जो सत्ता को परेशान करती हैं, अनेक उपाय सामने आते हैं उन में से एक मनोरंजन उद्योग भी है। आईपीएल अब केवल खेल नहीं है इस ने उसी मनोरंजन उद्योग का रुप ले लिया है। इस उद्योग में पूंजीपती टूटे पड़े हैं। इस में पूंजीवाद की विफलताएँ भी छिपती हैं और धन्धा भी अच्छा होता है।
आपकी ये चिन्त्ता जायज़ है....अच्छी पोस्ट
भाई तो क्या सिर्फ क्रिकेटर को ही पैसा कमाने का हक है । आखिर उनके भरोसे बहुत सारे लोग पलते हैं कुछ वैध तरीके से कुछ अवैध तरीके से ।
कुछ वर्षों पहले हर राज्य की एक लाटरी होती थी जिसमे लोग बढ़ चढ़ के भाग लेते थे . इसका धन सरकार के पास जाता था जिसका उपयोग जनकल्याण के लिए किया जा सकता था . इसी लत का बहाना बनाकर इसे जनहित में बंद कर दिया गया .
जुआ और नशा इंसानी कमजोरी है गरीबो के लिए और शगल है अमीरों का . शेयर मार्केट और कमोडिटी मार्केट क्या हैं ?
क्रिकेट में सट्टा कई देशों में कानूनी मान्यता प्राप्त है और इससे सरकार को भी धन मिलता है विकास के लिए . कई लोग इस बात का विरोध कर सकते हैं की यह एक बुराई को अनुसंशा देने की बात है , लेकिन इससे कमसे कम कुछ धन तो वापस आएगा वर्ण यह गिने चुने लोगों के यहाँ संचित हो रहा है .
सामाजिक सुधार कानून के सहारे नहीं लाया जा सकता
एक दम सही बात कहे हस संगवारी, अगर इसने चलत रहिस तो एक दिना फिर देश कर ओही हाल होही जून लाटरी से होए रहिस...
अभिनो कुछ नहीं बिग्डीस हवे,
I P L IN C.G. IS DREAM TO BE SEEN BY EVERY CG SPORT LOVER
सब क्रिकेट खेलने लग जायेंगे तो सट्टा कौन खेलेगा
बात तो चिंतनीय है ..पर शरद जी की बात भी सही है..पैसे कमाने का हक़ सिर्फ क्रिकेटरों को ही थोड़े न है.
जिसे क्रिकेट खेलनी नहीं आती वो क्या करे ?
क्रिकेट में जितना पैसा है उसे देखकर कर तो किसी का भी मन डोल सकता है।
फिल्दी रिच गेम है ये ।
जय छत्तीसगढ़!
मगर आँकड़ा 36 का नही होना चाहिए!
khel nahin dhandha hai!!!
chinta jayz hai aapkee.
...चलो कहीं तो हार-जीत का खेल हो रहा है, सट्टेबाजी को देखकर कैसे कह सकते हैं कि छत्तीसगढ में क्रिकेट का "जोर-शोर" नहीं है !!! .... छत्तीसगढ के धुरंधर क्रिकेट के ग्लैमर से जाहिरा तौर पर तो दूर हैं पर ग्लैमर में कहीं न कहीं तो लिप्त हैं !!!!!!!!!
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