Saturday, July 10, 2010
मुक्तिबोध के संघर्ष के दिनो की साथी नही रहीं
कालजयी साहित्यकार और छत्तीसगढ की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पह्चान बनाने वाले गजानन माधव मुक्तिबोध की पत्नी देवलोक सिधार गईं।वे लम्बे समय से बीमार थी और उनका ये संघर्ष कल रात खत्म हो गया।वे 88 वर्ष की थी और मुक्तिबोध की मृत्यु के बाद उन्होने सारी ज़िम्मेदारी बखुबी निभाई।बच्चों के लालन-पालन से लेकर शिक्षा-दिक्षा किसी मे उन्होने कोई कसर नही छोड़ी थी।मुक्तिबोध के संघर्ष के दिनों मे उन्होने हर पल साथ दिया और इस बात का ज़िक्र आदरणीय परसाई जी,नेमीचंद जैन और अशोक बाजपेई ने अपने संस्मरणों मे किया है।सुबह उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।ईश्वर उनके चारों पुत्रो,जाने माने पत्रकार दिवाकर,रमेश,दिलीप और गिरीश को इस दुःख को सहने की शक्ति दे।उस महान आत्मा को मेरी श्रद्धांजलि।
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13 comments:
महान आत्मा को मेरी श्रद्धांजलि।
हमारी भी श्रद्धांजलि
आदरणीय शांता जी को नमन्!
आप से उन का नाम अंकित करना छूट गया।
चरण स्पर्श एवं श्रद्धांजलि.
shrimati shanti mukti bodh ji kaa 88varsh ki aayu me kal nidhan hone par BHARAT KE LOKTANTR SE K,P,CHAUHAN ashrupoorn shrandhaajli arpit karte hai or ish se praarthnaa karte hain ki unko apne charan kamlon me sthaan de or dukhi pariwaar ko saantwnaa pardaan kare
हमारी श्रद्धांजलि !!
आदरणीय शांता जी को हमारी भाव भीणी श्रद्धांजलि
इस महान आत्मा को हमारी तरफ़ से भाव भीनी श्रद्धांजलि!!! पहली टिपण्णी अगर गलत हो तो उसे प्रकाशित ना करे, धन्यवाद
शांताजी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
एक युग का अंत . श्रद्धा सुमन
ताई को विनम्र श्रद्धांजलि.
नमन ,वंदन ...........सादर चरण स्पर्श! ..............
हम कह सकते है कि हमने उनको देखा है ... अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
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