Sunday, July 11, 2010

फ़िश ज़मीन पर क्यों नही रहती?

एक छोटी सी पोस्ट बहुत कुछ कह्ती हुई।दोस्तों की रोज़ाना की मह्फ़िल मे एक सवाल सामने आया फ़िश ज़मीन पर क्यों नही रह सकती?उसके जितने जवाब हो सकते थे सब सामने आये मगर सवाल पूछ्नए वाले का सिर सिर्फ़ और सिर्फ़ ना मे ही हिलता रहा।थक हार कर सबने कहा अबे चल तू ही विद्वान सही अब तू ही बता दे कि फ़िश ज़मीन पर क्यों नही रह सकती!आप मानेंगे नही जो जवाब उसने दिया वो बेहद चौंकाने वाला था।बात चाहे मज़ाक मे कही गई थी या चुटकुलेबाज़ी में, या दोस्तो की महफ़िल मे हंसी-ठट्ठा करने के लिये,लेकिन बात थी बड़ी गंभीर्।पता है उसने क्या जवाब दिया?उसने कहा फ़िश ज़मीन पर इसलिये नही रह सकती क्योंकि ज़मीन पर सिर्फ़ सेल्फ़िश रह सकते हैं?हंसी मज़ाक का दौर उस जवाब के बाद थम सा गया और उस जवाब ने सबको सोचने पर मज़बूर कर दिया।क्या लगता है आपको क्या फ़िश इसलिये ज़मीन पर नही आती क्योंकि यंहा हम जैसे सेल्फ़िश लोग रह्ते हैं।मुझे तो लगा कि उसके मज़ाक मे ज़माने की सबसे बड़ी सच्चाई छिपी है।आपको क्या लगता है बताईयेगा ज़रूर्।

20 comments:

समय said...

प्रविष्टि का शीर्षक यहां लाया। लगा गंभीर बात होगी।
वाकई गंभीर बात निकली।

शुक्रिया।

राज भाटिय़ा said...

सहमत है जी १००% सहमत

Udan Tashtari said...

है तो खैर बहुत बड़ी सच्चाई इस बात में..बिना सेल्फिश हुए गुजर मुश्किल है.

उम्मतें said...

सही !

Satish Saxena said...

ठीक कहा आपने यहाँ फिश का मज़ाक बनाती हुई सिर्फ सेल्फिश ही रहती हैं !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सेल्फिश जमीन पर ही रह सकते हैं.

प्रवीण पाण्डेय said...

बातों बातों में गहरी बात उतार गये हृदय में ।

अजित गुप्ता का कोना said...

सही कह रहे हैं हम सब स्‍वार्थ के पुतले हैं।

Unknown said...

मजाक मजाक में बहुत बड़ी बात कह दी आपके मित्र ने!

पर यह भी सोचने वाली बात है कि फिश भी सेल्फिश होती है, तभी तो 'बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है'।

Murari Pareek said...

जमीन पर फिश खाने वाले ही रह सकते हैं फिश रहती तो अब तक नहीं रहती! बस कहानियाँ होती की एक जमाना था जब जब मछलियाँ धरती पर रहा करती थी ! लेकिन आज वो हमारे बिच नहीं है !!!

विवेक रस्तोगी said...

सभी सेल्फ़िश हैं, और बिना सेल्फ़िशनेस के दुनिया में रह भी नहीं सकते नहीं तो फ़िश के जैसा पानी मॆं अंदर रहना पड़ेगा, जमीन पर रह ही नहीं सकते :D

CARTOON CHHATTISI said...

waah..

डॉ टी एस दराल said...

अनिल जी , इतना मत चौंकिए --सेल्फिश पानी में भी रहती है ।
इसी तरह ज़मीन पर भी सिर्फ सेल्फिश ही नहीं रहती।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

Due to "Fish in troubled waters"

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

वाकई में सही बात कही... भैया...

Sanjeet Tripathi said...

bahut sahi, kabhi is baat ka bhi khulasa kiyaa jaaye ki rojana ki is mehfil me kaun kaun shamil hote hain ;)

PN Subramanian said...

मछली की आड़ में बड़ी ऊंची बात कही गयी है. वैसे मछलियाँ अत्यधिक स्वार्थी होती हैं.

दीपक 'मशाल' said...

जवाब मजाक में आया लेकिन बिलकुल सच है..

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

भईया नहीं मालूम सम्बन्ध कहाँ जुड़ता है पर आपका यह पोस्ट पढ़कर एक पुराणी घटना याद आ गई. कालेज के दिनों में आकाशवाणी में काव्य पाठ के लिए गया था. भाई कमल शर्मा के पास एक ८ साल की बच्ची भी आई हुई थी जब उसने अपनी छोटी से रचना पढ़ी तो हम अवाक् एक दुसरे को देखने लगे थे.. वह रचना नीचे है...
"माँ ने बताया है
समुद्र में खूब सारी मछलियाँ रहती हैं,
वहां की बड़ी मछलियाँ
छोटी मछलियों को खा जाती हैं,
पता नहीं क्यों मुझे लगता है
हम सब समुद्र में रहते हैं."

शरद कोकास said...

बस एक कविता की पंक्ति याद आ गई....." ज़िन्दगी क्या है जान जाओगे ... रेत पे लाके मछलियाँ रख दो .."