Saturday, August 14, 2010
मैने भी किया क्वीन्स बैटन का स्वागत
कामनवेल्थ गेम्स अच्छी कम खराब बातों को लेकर चर्चा मे हैं।इस पर देश की राजनीति गर्माई हुई है और सारे देश मे इस पर बहस भी चल रही है।सबकी अपनी-अपनी ढपली है और सबका अपना-अपना राग है।कोई इसे गुलामी का प्रतीक कह रहा है तो कोई इसे अपने ही देश के कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृती बता रहा है।किसी को इससे दासता की बू आ रही है तो किसी को इसमे देश की मिट्टी की खुश्बू।विवादों मे फ़ंसे गेम पर पालिटिकल गेम भी पूरे शवाब पर है।ऐसे मे जब क़्वीन्स बैटन छत्तीसगढ आई तो उसके स्वागत के लिये खेल संघ और खिलाड़ी पलक-पावड़े बिछाये बैठे थे।मैं प्रेस क्लब का अध्यक्ष होने के अलावा बास्केटबाल,टेबल टेनिस,क्रिकेट और अन्य खेल सघों का पदाधिकारी भी हूं सो मैंने भी प्रेस क्लब मे क्वीन्स बैट्न रिले टीम का स्वागत किया।अब अच्छा किया या बुरा सब स्वतंत्र है समझने के लिये।आपको क्या लगा बताईयेगा ज़रुर्।
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19 comments:
मुबारक हो
अच्छी प्रस्तुती के लिये आपका आभार
खुशखबरी
हिन्दी ब्लाँग जगत के लिये ब्लाँग संकलक चिट्ठाप्रहरी को शुरु कर दिया गया है । आप अपने ब्लाँग को चिट्ठाप्रहरी मे जोङकर एक सच्चे प्रहरी बनेँ , कृपया यहाँ एक चटका लगाकर देखेँ>>
आपने सही किया.विरोध खेल का नहीं विरोध उसके नाम से हो रही फ़िज़ूल खर्ची और किसानों दलितों के कोटे के पैसे को खेल में लगा देने का है.
समय हो तो ज़रूर पढ़ें:
विभाजन की ६३ वीं बरसी पर आर्तनाद :
कलश से यूँ गुज़रकर जब अज़ान हैं पुकारती
शमशाद इलाही अंसारी शम्स की कविता
तुम कब समझोगे कब जानोगे
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_12.html
शहरोज़
फिलहाल तो देश का गौरव है, अच्छा किया आपने स्वागत करके.
शाबास!!
फोटो से तो तनाव में दिख रहे हैं !
आप ही बताइये कैसा लगा ?
... यह गर्व की बात है, बधाई !!!
खेल के प्रतीक के रूप में तो अच्छा ही है।
ब्लाग चौपाल में भी इस पोस्ट की चर्चा है....
bahut bahut badhai
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
हमें तो अच्छा लगा, पर अली जी की बात का जवाब जरूर दीजिए।
………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
फ़ोटू देख कर तो लगता है कि लठ्ठ ले कर किसी को मारने वाले है, ओर साथ वाला चशमे बंदु थोडा डर गया कि कही उस के ना लग जाये, बाकी अच्छा किया या बुरा हम क्या जाने जी,
राज भाटिया जी से सहमत ...हुआ क्या था ??
पहले यह बताइये कि यह सच में क्वीन्स बैटन है या लठ :)
क्या यह असली बेटन थी . हमारे यहा तो एक साथ दो जगह बेटन पहुची . पता चला एक डमी थी
commonwealth !!!!
पहले अंग्रेजों की अब ...........
क्वींस बैटन की डिजायन Pattern आपके कुरते से काफी मिल रही है. वैसे हमारी दृष्टि में इस ड्रामे को रोका जाना चाहिए. यदि खेल भावना की बात है तो हम सभी देशों को अपने देशी नाम के साथ इसकी शुरुआत कर लेनी चाहिए. वैसे इतने लम्बे-लम्बे घोटाले देख कर लगता नहीं कि ये सब खेल भावना के लिए होता होगा.
आपकी अपनी सोच है..... जाकी रही भावना जैसी प्रभू मूरत देखि तिन तैसी.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
कॉमनवेल्थ गेम्स का बैटन है, कोई हंसी-खेल नहीं. अनौपचारिक चर्चाओं में बैटन दल के सदस्यों ने माना कि रायपुर में माहौल कुछ अलग ही था.
जय महाकाल
जय महाकाल
जय महादेव
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